26 सालों बाद कैसे लौटी गोशाला के वीराने में बहार,सरकारी सहायता का अब तक भी इंतजार
झाझा में 4 सितंबर को पुलिस ने मवेशियों की तस्करी करते तीन ट्रकों को पकड़ा। 74 गोवंश को गोशाला में स्थानांतरित किया गया, जहाँ उनकी देखभाल के लिए स्थानीय समाजसेवियों ने मदद की। गोशाला को चलाने का खर्च...
झाझा, निज संवाददाता हुआ यूं कि बीते 4 सितंबर की शाम झाझा पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि से जमुई-देवघर एनएच 333 के रास्ते मवेशियों की एक बड़ी खेप तस्करी को ले जाई जाने वाली है। सूचना पर तत्कालीन एसएचओ राजेश शरण संग पुलिस ने झाझा के कर्पूरी चौक के करीब नाकेबंदी कर रखी थी। आधी रात के वक्त पुलिस अथवा आम लोगों को भनक तक हीं लगने पाए, इस नजरिए से गोवंश लदे तीन ट्रक चहुंओर से तिरपाल से पैक किए हुए गुजरते दिखे। पुलिस ने खदेड़ करउन्हें रोका और जब्त किया। साथ में 11 आरोपित भी धराए थे। पशु क्रूरता अधिनियम (पीसीए) की धज्जियां उड़ाते हुए उक्त गोवंश को ऐस स्थिति में परिवहन किया जा रहा था कि जब पुलिस ने उनका हाल लिया तो उनमें कई गाएं बीमार हाल में मिली। ऐसे में अब पुलिस की पेशानी पर बल पड़ गए थे। परेशानी यह थी कि जब्त गोवंश की समुचित देखभाल व उनके तीनों वक्त के आहार की व्यवस्था कैसे होगी। अपनी उक्त चिंता के समाधान को पूर्व एसएचओ ने कुछेक स्थानीय समाजसेवियों को फोन घुमाया। और....अंतत: उनके सहयोग से 5 सितंबर,23 के तड़के कुल 69 गायों व 5 उनकी संतानों,कुलजमा 74 अदद गोवंश को जब्त ट्रकों से गोशाला में अनलोड करा दिया था। वह मगलवार की सुबह थी जिसने मानों गोशाला के भी ‘मंगल की नींव रख दी थी। उधर,अनलोड होते-होते एक ने एक बच्चे को जन्म भी दे दिया था। बहरहाल, पुलिस ने तो अपनी परेशानी दूर कर ली थी और अब चिंता की सूरत समाजसेवियों के खेमे में थी कि उक्त बड़ी तादाद में लैंड हुए गोवंश की देखभाल व परवरिश किस बूते की जाए। उनके चारे मात्र पर ही 18 हजार रूपए प्रतिदिन के खर्च का आंकड़ा सामने आ रहा था। बहरहाल, कुछ समाजसेवी संकल्पित हो कई तरह के सुख-दुख,समस्या व परेशानियां झेलते व किसी तरह उसे पार पाते हुए गोशाला को आज गर्व व गौरव के उसी मुकाम परले आए हैं जहां वह 26 सालों पहले हुआ करती थी। तमाम झाझावास भी ऐसे समर्पित गो-सेवकों को साधुवाद देते व उनकी पुरजोर सराहना करने से नहीं अघा रहे। इधर गोशाला ने जब फिर से अपना स्वर्णिम इतिहास रचना शुरू कर दिया तो फिर गोशाला के पदेन अध्क्ष सह जमुई के एसडीएम अभय कु. तिवार ने भी गोशाला के दौरे एवं स्थानीय लोगों संग बैठकों का दौर शुरू कर दियाथा। हालांकि,लोगों को इस बात का भी मलाल देखने को मिलरहा है कि सरकारके नुमाइंदे के गोशाला का पदेन अध्यक्ष होने के बाद भी गोशाला को अब तक सरकार के स्तर से फूटी कौड़ी भी सहायता नसीब नहीं हो पाई है। ऐसे में गोशाला का संचालन व खर्च से निपटने की पूरा बोझ गोशाला समिति एवं स्थानीय लोगों के कंधों पर ही बना हुआ है।
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