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बोलबम के जयकारों से गूंजा झाझा रेलवे स्टेशन

बोल बंम का नारा है,बाबा एक सहारा है। विश्वास भरे इस शोर से गूंजने लगे हैं बाजारों से लेकर रेलवे स्टेशन तक और सड़कों से लेकर रेल...

हिन्दुस्तान टीम जमुईThu, 26 July 2018 11:34 PM
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बोल बंम का नारा है,बाबा एक सहारा है। विश्वास भरे इस शोर से गूंजने लगे हैं बाजारों से लेकर रेलवे स्टेशन तक और सड़कों से लेकर रेल तक।

पूर्णमासी के पावन दिन सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरने की हसरत को ले गुरुवार को कांवरियों की गहमागहमी शबाब पर दिखी। प्लेटफॉर्मों से लेकर टे्रनों की बोगियों तक में अधिकांश मुसाफिर केसरिया आवरण में ही नजर आ रहे थे। बाबाधाम की कांवर यात्रा पर जाने के क्रम में झाझा स्टेशन के अप प्लेटफॉर्म पर मिले कांवरियों के एक छह सदस्यीय झुंड ने बताया कि उनकी परेशानियों के दौर की शुरूआत झाझा स्टेशन से ही हो जाती है।

आसां नहीं है बाबा की डगरिया: कांवरिया प्रेम कुमार, अक्षय कुमार, सुदामा ठाकुर, मनोहर साव व रामजी प्रसाद आदि का कहना था कि टे्रन के इंतजार की घड़ियां बिताने को स्टेशन पर न बैठने को बेंच-कुर्सियां हैं,न ही पीने का पानी। प्लेटफॉर्म पर शेड व सीटों की संख्या सीमित होने से या तो खड़े होकर ही वक्त गुजारना होता है या फिर किसी सामान पर बैठकर। उधर पानी वाले अनेकों बूथों की कई नलें टूटी पड़ी होने से जो एकाध नल ठीक-ठाक है तो मुसाफिरों की सारी भीड़ उसी पर टूटी होती है। बोगियों में भीड़ की अधिकता की वजह से उन्हें धक्का-मुक्की झेलने समेत पायदान पर लटककर जाने तक की नौबत से दो-चार होना होता है।

कांवर के रास्तों पर भी परेशानी व लूट के शिकार होते शिव भक्त: सिमुलतला के संजीप सिंह,रजला के राकेश कुमार,केशोपुर के राजेंद्र प्रसाद आदि कई कांवरियों का कहना था कि सरकार कांवरियों की सुविधाओं में इजाफे के चाहे लाख दावे करे। पर,सरकार के दावों से इतर सच यह है कि कांवर के रास्ते कहीं अधिक परेशानियों व लूट की दुकानदारी से भरे हैं। कहा, रास्ते में कहीं भी ठहरने को उन्हें दुकानदारों द्वारा रखी चौकियां ही किराए पर लेकर सड़कों के किनारे ही रात गुजारनी होती है। इसके अलावा खाने से लेकर फल आदि तक के दामों में भी भारी लूट मची होती है।

इस संदर्भ में प्रशासन की कोई निगरानी नहीं होने से उनके पास दुकानदारों की मनमानियों का शिकार होने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बच जाता है। सुदामा ठाकुर ने बताया कि फल के मामले में तो उन्हें तिगुनी,चौगुनी कीमत तक चुकानी पड़ जाती है।

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