एपीएचसी / अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नारगंजो समस्याग्रस्त
एपीएचसी / अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नारगंजो समस्याग्रस्त एपीएचसी / अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नारगंजो समस्याग्रस्त

एपीएचसी / अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नारगंजो समस्याग्रस्त एपीएचसी / अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नारगंजो समस्याग्रस्त
एकमात्र आयुष चिकित्सक के सहारे है यह अस्पताल।
चिकित्सक ही खोलते हैं ताला, अस्पताल में लगाते हैं झाड़ू
कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मी एवं दवाओं की अनुपलब्धता
फोटो: 24
झाझा, नगर संवाददाता
कहने को तो सरकार ने स्वास्थ्य उप केंद्र सह हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर नारगंजो को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा देते हुए विभिन्न सुविधाओं से युक्त नव निर्मित भवन नए स्थान में बनवा दिया है परंतु सुविधा के नाम पर वहां उपलब्ध व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की कक्षप गति की चाल को दर्शाता नजर आता है। एक आयुष चिकित्सक अर्थात होम्योपैथिक चिकित्सक वहां पदस्थापित कर दिए गए हैं।
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नारगंजो समस्याग्रस्त है। एकमात्र आयुष चिकित्सक के सहारे इस अस्पताल को तथा आसपास के दर्जनों गांवों की बड़ी आबादी की स्वास्थ्य व्यवस्था को छोड़ दिया गया है। बताया जाता है कि चिकित्सक ही अस्पताल का ताला खोलते और लगते हैं। इतना ही नहीं अस्पताल में पदस्थापित चिकित्सक ही झाड़ू लगाते हैं।
प्रखंड अंतर्गत कभी लाल क्षेत्र के रूप में चिन्हित नारगंजो गांव में नव निर्मित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/एपीएचसी बदहाल स्थिति में है।अस्पताल भवन तो खड़ा है, पर स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद हैं। आवश्यक दवाइयों और सपोर्टिंग स्टाफ की व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों ने मांग की है कि नारगंजो स्वास्थ्य उप केंद्र में तत्काल प्रभाव से नियमित डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए, आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराई जाएं और सपोर्टिंग स्टाफ की तैनाती सुनिश्चित की जाए। नारगंजो क्षेत्र मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों के लिए संवेदनशील माना जाता रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य केंद्र की बदहाल स्थिति चिंता का विषय है। ग्रामीणों को मामूली स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी झाझा का रुख करना पड़ता है, जो गांव से 12 किलोमीटर दूर है। इससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि आर्थिक बोझ भी बढ़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र का होना या न होना एक जैसा है। जब तक स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक यह महज एक निष्क्रिय भवन बना रहेगा। कहना है कि यदि उच्च लागत से बना अस्पताल भी ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ नहीं दे सकता तो यह जनता के पैसों की बर्बादी है। वहां पदस्थापित आयुष होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर अवधेश कुमार मिश्रा ने हिंदुस्तान संवाददाता को बताया कि उनकी इस केंद्र में चंद माह पूर्व में पदस्थापना हुई है। झाझा से बांका मुंगेर भागलपुर आदि जिलों के विभिन्न शहरों को जाने के लिए शॉर्टकट एवं प्रमुख मार्ग के रूप में चिन्हित इस पथ में अवस्थित इस अस्पताल की स्थिति यह है कि आए दिन इस रोड में दुर्घटनाएं होती रहती है। बेहतर सुविधा या कहें कि पर्याप्त सुविधा नहीं रहने के कारण किसी व्यक्ति के बीमार होने पर अथवा एक्सीडेंट होने पर काफी समय एवं दूरी पर अवस्थित झाझा अस्पताल पहुंचाना मजबूरी होती है। डॉ अवधेश बतलाते हैं कि नए भवन का उद्घाटन 6 सितंबर 2024 को हुआ था। एपीएचसी में कुल 9 स्वास्थ्य कर्मी होने चाहिए जिनमें 2 जीएनएम, ड्रेसर कंप्यूटर ऑपरेटर दो चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी फार्मासिस्ट अर्थात दवा वितरक एवं गार्ड होने चाहिए। उन्होंने माना कि अस्पताल में दवाई नहीं है। जब आयुष चिकित्सक के रहते आयुष की दवाई ही नहीं है अर्थात होम्योपैथी की ही दवा नहीं है तो अंग्रेजी दवा का क्या कहना, कहा डॉक्टर मिश्रा ने। उन्होंने बताया कि विभाग से दो-तीन माह में दवा मिलने का आश्वासन मिला है स्थिति यह है कि यहां मरहम पट्टी भी नहीं है। बताया कि बीते वर्ष मार्च में प्रशिक्षण में झाझा आए और जुलाई में ही नारगंजो में मेरी पदस्थापना हो गई। उन्होंने बताया कि मेरी दो वर्षों से सैलरी बकाया है। एएनएम के अलावे इस केंद्र को एक आदेश पाल एक ड्रेसर एक फार्मासिस्ट तो चाहिए ही साथ ही कंप्यूटर ऑपरेटर के बिना कंप्यूटर कक्ष भी बेकार पड़ा है। इस अस्पताल में उपलब्ध कमरों में ड्रेसिंग रूम हेल्थ वर्कर रूम स्टाफ कक्ष थे पेशेंट अर्थात दिन में मरीजों की देखभाल के लिए एक कक्ष के अलावे स्वास्थ्य एवं कल्याण हॉल कंप्यूटर कक्ष उपलब्ध है। इसके अलावे शौचालय की भी व्यवस्था है। बावजूद यदि पर्याप्त मात्रा में कर्मचारी एवं स्वास्थ्य कर्मी की अनुपलब्धता हो, दवाओं की अनुपलब्धता हो तो फिर ऐसे केंद्र का होना या ना होना क्या मायने रखता है, कहते मिले उस क्षेत्र के अनेकों ग्रामीण। ग्रामीणों ने कहा कि इस अत्यंत व्यस्त पथ में जहां रोज हजारों हजार वाहन गुजरते हो और आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हो वैसे स्थान पर अवस्थित अस्पताल में केवल स्वास्थ्य कर्मी ही नहीं चाहिए अपितु विशेषज्ञ स्वास्थ्य कर्मियों की पदस्थापना होनी चाहिए। कार्तिक कुसुम, मोहन पंडित जय प्रकाश पंडित बच्चु हेंब्रम बड़की मुर्मू मंझली सोरेन गणेश पंडित आदि ने कहा कि नारगंजो क्षेत्र राज्य के मलेरिया विभाग मुख्यालय में मलेरिया प्रभावित जोन के रूप में चिन्हित है एवं पूरे वर्ष यहां मलेरिया के मरीज चिकित्सा के लिए निजी चिकित्सालय जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना था कि ना तो स्वास्थ्य विभाग और ना ही जनप्रतिनिधि हम गरीबों के इस केंद्र से उपलब्ध होने वाली स्वास्थ्य सुविधा के प्रति अपनी संजीदगी दिखाते हैं। क्षेत्र में गरीबी इतनी है कि दो शाम का भोजन किसी प्रकार से लोग जुगाड़ कर पाते हैं। ऐसे दर्जनों घर है जिनको एक शाम का भोजन किसी प्रकार से हो पाता है। ऐसी स्थिति में वह इलाज क्या कराएं।
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