विदेशी मेहमानों के लिए नागी-नकटी पसंदीदा बसेरा, लगती भीड़
झाझा में नागी-नकटी जलाशय अब विदेशी पक्षियों का आकर्षण केंद्र बन गया है। सर्दियों में यहाँ दो हजार से अधिक प्रवासी पक्षी पहुँच चुके हैं, जिनमें कई दुर्लभ प्रजातियाँ शामिल हैं। ये पक्षी बर्फीली झीलों से...
झाझा। रामसर साइट्स के वैश्विक दर्जे वाली सूची में शुमार नागी-नकटी जलाशय इन दिनों लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। नागी, नकटी के आंचल में विदेशी मेहमान पहुंचने लगे हैं। वशेषज्ञों के अलावा स्थानीय बर्ड्स गाइड संदीप कुमार के अनुसार सर्दियों के मौसम में कई प्रजाति के विदेशी पक्षियों का पूरा का पूरा कुनबा ही झाझा की आश्रयणियों में अपना डेरा डाले रहता है। बताया कि अब तक दो हजार से अधिक प्रवासी पक्षी पहुंच चुके हैं। इनमें लालसर, सरार ,तिदारी, टिटहरी, कॉमन पोचार्ड, ओस्प्रे, व्हाइट वेगटेल, बार हेडेड गूज यानि राजहंस, ब्राउन हडेड गल, ब्लैक स्टॉर्क यानि सुरमाई गेडवॉल कुल 11 प्रजातियों के पक्षी अब तक नजर आ चुके हैं। विगत सीजनों में यहां लिटल ग्रेबे,लिटल कार्मोरेंट,ग्रे हेरॉन,पर्पल हेरॉन,इंडियन पाण्ड्स हेरॉन,केटल एग्रेट व लिटल एग्रेट आदि प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों के कुनबों के अलावा कई दुर्लभ प्रजाति के विदेशी मेहमान भी देखे जाते रहे हैं।
बता दें कि सर्दियों के इस मौसम में अपने देशों की झीलों में बर्फ जम जाया करने के मद्देनजर उक्त बर्फीली झीलों से परेशान ये बेचारे विदेशी पक्षी रूटीन तौर पर हर साल ही सर्दियों की सीजन में अपनी ठिठुरती काया की ठिठुरन को कम करने के इरादे से अपेक्षाकृत कम ठंडे इन जलाशयों का रूख करते आए हैं। और....करीब 4 महीनों तक नागी-नकटी को ही अपना बसेरा बनाए रहते हैं। विगत में हिन्दुस्तान के दौरे पर आए एक फ्रांसिसी फ्री लांसर पत्रकार युगल ने न केवल नागी की सैर की बल्कि इसकी गहराइयों में काफी देर तक खोए रहने के बाद फिर नागी के इन खूबसूरत नजारों को कैमरे में कैद किया था।
‘दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की खान है नागी-नकटी: पक्षी आश्रयणियों के दौरे पर अक्सर आते रहने वाले अरविंद मिश्रा ने बताया था कि विगत में उन्हें नागी में करीब 9 हजार तथा नकटी में करीब 4 हजार देसी-विदेशी पक्षी अठखेलियां करते मिले थे। जबकि,बकौल श्री मिश्रा,सूबे के अन्य वेटलैंड, मसलन वैशाली में बरैला, बेगुसराय में काबर एवं उत्तर बिहार का ही कुशेश्वर स्थान जलाशय क्षेत्रफल के मामले में नागी-नकटी से दर्जनों गुना बड़े हैं। पर मृतप्राय प्रतीत होती उन झीलों में हालिया वर्षों में बमुश्किल 40-50 पक्षी ही देखे जाते रहे हैं।
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