धमना गढ़ में सजा मां दुर्गा का दरबार
झाझा के धमना स्टेट यानी राजघराने में भी सजा है मां का दरबार। दर्शनों को कई गांवों से आते हैं श्रद्धालु। बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि मां के आगमन व उनकी प्रतिमा-अधिष्ठापन का इतिहास राजपरिवारों के...
झाझा के धमना स्टेट यानी राजघराने में भी सजा है मां का दरबार। दर्शनों को कई गांवों से आते हैं श्रद्धालु। बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि मां के आगमन व उनकी प्रतिमा-अधिष्ठापन का इतिहास राजपरिवारों के इतिहास जैसा ही काफी पुराना है।
धमना के राजघराने में मां की उपासना की प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा भले ही सौ से अधिक सालों पुरानी हो तथा हुकूमत की राजतंत्रीय व्यवस्था या राजशाही ठाट-बाट भले ही गुजरी सदी की बातें बन कर रह गई हों। पर.....कालचक्र के इस परिवर्त्तन के बावजूद हर शारदीय नवरात्र के दौरान राजघराने में विराजने वाली माता के नवरात्र के उत्सव का अंदाज आज भी राजशाही जैसा ही बताया जाता है। शिव और शक्ति के अनन्य उपासक माने जाने वाले उक्त राजघराने की मौजूदा पीढ़ी मानती है की गुजरी सदी में उनके हाल-हालातों में कई तरह के उतार-चढ़ाव आए,माली नजरिए से कभी-कभी तो अवर्णनीय सूरतों से भी सामना हुआ। इन सब प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद किसी भी पीढ़ी के सदस्यों ने कभी मां के नवरात्रोत्सव के वैभव में कहीं कोई कमी नहीं आने दी।
पप्पू दा बताते हैं कि महादेव सिमरिया के रामेश्वर शर्मा जहां उनके पुरोहित के वंशज हैं।
मां के पूजन का कार्य बीते तीस सालों से पं. विश्वनाथ आचार्य निभाते आ रहे हैं।
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