महुआ आज भी है ग्रामीण क्षेत्र में गरीब लोगों का भोजन
झाझा, नगर संवाददाता महुआ आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों के पेट भरने

झाझा, नगर संवाददाता महुआ आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों के पेट भरने का एक प्रमुख साधन है। क्षेत्र में गरीबी इस प्रकार है कि लोग जंगल जाकर सुबह-सुबह इसे चुनकर लाते हैं और अपने वर्तमान एवं भविष्य में भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। महुआ न सिर्फ गरीब लोगों के लिए भोजन का एक साधन है अपितु ऐसे किसान जो महुआ का गुण जानते हैं, वे भी इसका उपयोग स्वास्थ्यवर्धक भोजन के रूप में करना पसंद करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि ताजा महुआ चुन कर घर लाकर उसके रेशे को चुन कर बाहर निकाला जाता है। उसे बढ़िया से धोकर एक बर्तन में बहुत हल्का पानी देकर चूल्हे पर चढ़ा कर सब्जी की तरह इसे पका लिया जाता है।
ठंडा हो जाने के बाद जिनके लिए संभव है इसे सूखे सत्तू या दही दूध के साथ अथवा जिनके पास सत्तू के लिए व्यवस्था की कमी है वैसे व्यक्ति परिवार बाल बच्चे के साथ बैठ कर इसका भोजन के रूप में उपयोग करते हैं और अपनी क्षुधा को शांत करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि महुआ का वर्तमान में तो उपयोग करते ही हैं, इसे धूप में सुखा कर भविष्य के लिए भी भोजन के रूप में उपयोग करने के लिए रखते हैं। ग्रामीण ताज़ा महुआ पका कर खाते हैं तो सूखा हुआ महुआ लठ्ठा अर्थात लड्डू बनाकर खाते हैं। लट्ठा अर्थात लड्डू बनाने अलसी अर्थात तीसी एवं चना को भूंज कर तीनों को महुआ के साथ मिलाया जाता है और उसे कूट कर लड्डू अर्थात लठ्ठा बनाया जाता है जिसे ग्रामीण काफी पसंद से कहते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि यह बहुत ही शक्ति वर्धक होता है। साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल करता है। पशुओं के लिए कृषि सिजन में उपयोगी साबित होता है।
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