जमुई: साधरण सर्दी खांसी से भी लोग हो रहे हैं भयभीत
साधरण सर्दी खांसी से भी लोग हो रहे हैं भयभीत साधरण सर्दी खांसी से भी लोग हो रहे हैं भयभीत सिमुलतला। निज संवाददाता। कोरोना के दूसरे लहर ने लोंगों...
सिमुलतला। निज संवाददाता।
कोरोना के दूसरे लहर ने लोंगों को इतना डरा दिया है कि सीजनल खांसी सर्दी से भी हो जा रहे भयभीत। जानकारी अनुसार कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला संकेत गले में खरांस,सर्दी ,जुकाम तथा खांसी एवं बुखार है। लेकिन डॉक्टरों का कहना तथा मानना भी है कि हर सर्दी खाँसी तथा बुखार कोरोना नहीं होता। वर्षो से ये देखा गया है कि मौषम में बदलाहट होने के साथ ही लोंगों के शरीर में भी कुछ न कुछ बदलाहट होता है तथा सर्दी जुकाम प्रायः लोंगो को हो ही जाता है। लेकिन अभी कोरोना काल में मौषम बदलने के क्रम में साधरण सर्दी खांसी होने पर भी लोग इतने घबरा जा रहे हैं कि कहीं कोरोना तो नहीं हो गया ओर बड़े डॉक्टर तो दरवाजे बंद रखे हैं साथ ही सरकारी अस्पतालों में ओपीडी नहीं चल रही ऐसी अवस्था में लोग भागे भागे वैसे डॉक्टरों के पास जा रहे है जिन्हें किसी प्रकार की मेडिकल डिग्री नहीं ओर न ही कभी मेडिकल का क ख ग पढ़ा हो। वल्कि किसी बड़े डॉक्टर के यहां कुछ दिन रह कर सुई देने तथा सलाइन लगाने के साथ कुछ दवाइयों के नाम जान कर गांव देहात में डाक्टरी करने लगे हों। बाद में आरएमपी की डिग्री का प्रमाणपत्र भी हासिल कर अब डॉक्टर का बोर्ड लगा इस कोरोना काल के आपदा को अवसर में बद्वल दिए हैं। लोग जो भी उनके पास जाते हैं 25 रुपये का सलाईन चढ़ाने का 150 से 200 रुपये तथा वगैर जरूरत के तरह तरह के दवाइयां जिसमें उन्हें मोटी कमीशन मिलती हो देकर मुद्रा मोचन करने में लगे हैं। ऐसे डॉक्टरों को इस घड़ी में न तो कोई देखने वाला है न ही कोई कार्यवाही करने वाले। बहुत डॉक्टर ऐसे भी हैं जिन्होंने मैट्रिक की परीक्षा भी पास नहीं की है तथा कुछ ऐसे जो कि दवा के कम्पोजिशन तक नहीं जानते लेकिन लिखते हैं दवाई वो भी अंग्रेजी में नहीं हिंदी में। जो भी हो कोरोना के कहर से लोग डरे तथा सहमे हैं तथा कुछ भी करने को तैयार हैं।
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