जमुई: केशोपुर पंचायत के स्वास्थ्य केंद्र पर ईलाज की सुविधा नहीं
पंचायत के वार्ड नंबर 13 में स्थित केशोपुर पंचायत का विकास आज भी अधूरा है। कोरोना संक्रमण के समय भी पंचायत का दादपुर स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र भी...
झाझा। निज प्रतिनिधि
पंचायत के वार्ड नंबर 13 में स्थित केशोपुर पंचायत का विकास आज भी अधूरा है। कोरोना संक्रमण के समय भी पंचायत का दादपुर स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र भी बेकार पड़ा है, जिससे बीमार पड़े लोगों को ग्रामीण चिकित्सक को खोजना मजबूरी है। एक दशक पहले निर्माण हुए स्वास्थ्य उपकेंद्र की सुध लेने वाला कोई नहीं है। एक तरफ उपकेंद्र पर ताला लटका है। दूसरी तरफ उपकेंद्र पर डॉक्टर नहीं होने तथा दवा नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
लाखों रुपये खर्च कर करीब एक दशक पूर्व उपस्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ था। सरकार के प्रयासों के बावजूद उपकेंद्र की सुध लेने वाला कोई नहीं है। पूर्व सरपंच गौरखनाथ सिंह, सरपंच धर्मेंद्र पासवान, पंचायत समिति सदस्य मुकेश पासवान, विनोद पासवान, मुखिया प्रत्याशी बिहारी मांझी,अशोक कुमार आदि ने बताया कि अभी कोरोना संक्रमण के समय बुखार, खांसी, सर्दी, जुकाम की रोकथाम के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को ग्रामीण चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है।
पंचायत में अभी तक नहीं हुआ मास्क का वितरण
पंचायतों के वार्ड क्षेत्रों में अभी भी अधिकांश लोग बिना मास्क पहने नजर आ रहे हैं। हालांकि सरकार द्वारा कोरोना महामारी से बचाव के लिए दिए गए निर्देश के अनुसार 15वें वित्त आयोग की राशि से सभी पंचायतों में मास्क का वितरण किया जाना है। सरकार के आदेश के आलोक में विभिन्न पंचायतों में मुखिया द्वारा वार्ड सदस्यों को वितरण करने के लिए मास्क दिए गए हैं। लेकिन, कई वार्ड सदस्यों द्वारा अपने क्षेत्रों के लोगों में वितरण का काम उदासीन तरीके से करने के कारण अभी सभी लोगों को मास्क नहीं मिल सका है। बताया गया है कि हर परिवार को छह मास्क दिया जाना है लेकिन, मास्क का वितरण नहीं किए जाने के कारण ग्रामीण गमछा से मुंह ढंककर किसी तरह काम चला रहे हैं। हालांकि वार्ड सदस्यों का कहना है कि सबको मास्क दिया जा रहा है। लेकिन, लोग लापरवाही में मास्क का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। इससे वार्ड क्षेत्रों में लोग बिना मास्क पहने नजर आ रहे हैं।
पंचायतों में शुरू नहीं हुआ सैनिटाइजेशन
पंचायत में अब तक कोरोना महामारी से बचाव के लिए सरकार द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सेनेटाइजेशन कराने का निर्देश दिया है।सेनेटाइजेशन कार्य की मॉनिटरिंग भी नहीं की जा रही है। ग्रामीण ने बताया कि इस बार कोरोना की दूसरी लहर में कोई पदाधिकारी जवाबदेही नहीं लेना चाह रहे हैं। इसलिए वह क्षेत्र में कम देखे जा रहे हैं।
ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच गौरखनाथ सिंह ने बताया कि गांव गांव जाकर लोगों से जानकारी ली है लेकिन किसी भी ग्रामीण के द्वारा सर्वे की टीम के बारे में नहीं बताया गया सरपंच ने सरकारी सिस्टम पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही का नतीजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ सकता है।
सर्दी-खांसी का मौसमी बीमारी समझकर करा रहे इलाज
ग्रामीण इलाकों में बुखार जुकाम खांसी के रोगियों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है । लेकिन ग्रामीण इसे मौसमी बीमारी समझकर ग्रामीण चिकित्सक से अपना इलाज करा रहे हैं । ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण चिकित्सक ग्रामीणों के इंजेक्शन और बोतल चढ़ा कर इलाज कर रहे हैं। पंचायत केशोपुर की जहां पर ग्रामीण बुखार जुकाम और खांसी से बीमार है ।लेकिन इसके बावजूद भी ग्रामीण कोरोना के भय के कारण झाझा रेफरल अस्पताल आठ किलोमीटर दूर जाने से कतराते हैं। पंचायत में उप स्वास्थ्य केंद्र रहने के बावजूद भी लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोग ग्रामीण चिकित्सक से अपना ईलाज कराने को मजबूर हैं। इन दिनों कोरोना के साथ-साथ वायरल फीवर भी फैला हुआ है ।जिससे ग्रामीण चिकित्सकों की क्लीनिक पर भीड़ लग रही है ।जहां बोतल, इंजेक्शन और एलोपैथिक दवाई देकर इलाज किया जा रहा है। यही ग्रामीण क्षेत्र में लोगका एक मात्र सहारा है।
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