हनी ट्रैप में फंसा झाझा के गुड़ियारा ले जाकर किया गया था टुनटुन का कत्ल
झाझा में हनी ट्रैप के जरिए टुनटुन सिंह का हत्या की गई। आरोपित पति-पत्नी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। टुनटुन को एक महिला ने फोन करके बुलाया और फिर उसे धारदार हथियार से गला रेतकर मार दिया...
हनी ट्रैप में फंसा झाझा के गुड़ियारा ले जाकर किया गया था टुनटुन का कत्ल हनी ट्रैप में फंसा झाझा के गुड़ियारा ले जाकर किया गया था टुनटुन का कत्ल
मामले में चार आरोपित गिरफ्तार, आरोपित पति-पत्नी अब भी फरार
पुलिस ने एक टोटो एवं चार मोबाइलें भी बरामद की,
एसडीपीओ ने कहा,आरोपितों ने बीते डीपी के दौरान ही हत्या की रची थी साजिश
फोटो - 02
परिचय - मंगलवार को झाझा थाना में टुनटुन सिंह हत्याकांड के उद्भेदन व गिरफ्तारी का खुलासा करते एसडीपीओ,साथ में अन्य अधिकारी
झाझा, निज संवाददाता
जिस शादीशुदा महिला से अवैध संबंधों की चर्चा थी, उसी ने फोन कर घर से बुलवाया। और....फिर महिला के परिजनों ने एक टोटो से झाझा के गुड़ियारा गांव के समीप ले जाकर किसी धारदार हथियार से गला रेतकर टुनटुन का काम तमाम कर दिया था। लक्ष्मीपुर थाना के पवना गांव के लेढू सिंह के 21 वर्षीय पुत्र टुनटुन कु. सिंह के हत्याकांड की ही कहानी है। स्पष्ट है कि टुनटुन को हनी ट्रैप में फंसाकर आरोपितों ने उसके हत्याकांड की पटकथा लिख दी थी। मामले के उद्भेदन पर मंगलवार को झाझा थाना में आहूत पीसी में एसडीपीओ राजेश कुमार ने बताया कि टुनटुन को जिस टोटो से झाझा के गुड़ियारा गांव ले जाया गया था उस टोटो एवं टोटो चालक श्रवण चौधरी, साकिन दिग्घी थाना लक्ष्मीपुर के अलावा उसी गांव के संजय चौधरी तथा पवना गांव के राजीव एवं सिंटू पंडित नामक दो सहोदर भाइयों यानि कुल चार लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया गया है। पुलिस ने चारों की मोबाइलें भी जब्त कर ली है। हालांकि घटना के केंद्र में रही महिला व उसका पति अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। एसडीपीओ ने माना कि घटना के पीछे मृतक का आरोपित के परिवार की एक महिला संग अवैध संबंध की बात सामने आई है जिसके नतीजे मेंं अभियुक्तों ने साजिश रचकर उक्त हत्याकांड को अंजाम दिया है। एसडीपीओ की मानें तो आरोपितों ने उक्त हत्याकांड को बीती दुर्गा पूजा के दौरान ही अंजाम देने का प्लान तैयार कर रखा था किंतु डीपी में टुनटुन के नहीं लौटे होने से तब संभव नहीं हो पाया था। बताया कि वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी को भी पुलिस की छापेमारी जारी है। उन्होंने बताया कि बीते रविवार की शाम एक व्यक्ति का गला रेतकर हत्या कर शव गुड़ियारा के बहियार में फेंक देने की सूचना पर उनके नेतृत्व में पुनि सह प्रभारी थानाध्यक्ष संजय कु. यादव, एसआई नंदन व कुंजबिहारी कुमार, लक्ष्मीपुर के एसएचओ आलोक कुमार एवं जमुई डीआईयू टीम व सशस्त्र बल ने पुलिस हत्याकांड का उद्भेदन करते हुए उक्त चार अभियुक्तों को गिरफ्तार करते हुए एक टोटो एवं चार मोबाइलें आदि बरामद की है। हालांकि हत्या में प्रयुक्त हथियार अब तक भी पुलिस के हाथ नहीं आ पाया है। एसडीपीओ ने बताया कि एक महिला समेत दो लोग अभी भी वांछित हैं जिनकी गिरफ्तारी को दबिश जारी है।
मृतक की मां ने आठ लोगों को नाय था आरोपित :
इस मामले में मृतक की मां उघा देवी द्वारा अपने गांव में पड़ोस के ही सुलेंदर पंडित व उसकी पत्नी आरती देवी, पिता राधे पंडित, भाई राजीव व सिंटू तथा चंपा देवी, प्रीति व सुमन देवी कुल आठ लोगों को आरोपित करते हुए झाझा थाना में मामला दर्ज कराया था। बकौल आवेदिका, मृतक पूर्व में सुलेंदर के ही यहां ट्रैक्टर चलाने का काम करता था। उसी में विवाद के बाद वह बंगलुरू चला गया था। बताया था कि बंगलुरू से उसके बेटे को आरती देवी ने ही फोन करके बुलाया था। मृतक की मां के मुताबिक गांव आने पर जब उसका बेटा सुलेंदर के पास मजदूरी मांगने गया था तो सुलेंदर ने उस पर उसकी पत्नी से गलत संबंध होने का आरोप लगाते हुए कुछ दिन में ही जान मार देने की बात कही थी।
शिक्षा विभाग के स्थानांतरण के निर्णय से शिक्षकों के परिवार में खलबली
शिक्षक सरकार से पूछ रहे हैं सवाल
शिक्षकों को अवसाद ग्रस्त रखकर क्या मिल पाएगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
ऐसे ही सवाल सोशल मीडिया साइट पर शिक्षक पूछ रहे सरकार से
न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को लेकर शिक्षक कर रहे हैं विचार
झाझा, नगर संवाददाता
शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण के निर्णय से शिक्षकों के परिवारों में खलबली मच गई है। शिक्षा विभाग के निर्णय को लेकर शिक्षक सरकार से सवाल पूछते नजर आ रहे हैं। ऐसे ही सवाल सोशल मीडिया साइट पर शिक्षक सरकार से पूछ रहे हैं। शिक्षकों का मत है कि यदि सरकार ने समय रहते अपने निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया तो शिक्षक या तो स्थानांतरण में नहीं जाने की सोचेंगे या फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को लेकर शिक्षक विचार कर रहे हैं। सोशल मीडिया साइट पर अपने मंतव्य में शिक्षकों ने लिखा है कि शिक्षकों को अवसाद ग्रस्त रखकर क्या गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रदान किया जाना संभव है। आखिर क्यूं कर शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा देने के लिए बाध्य किया गया ? नियमों में बार बार क्यूं फेर बदल किया जाता रहा है ?
क्यूं कहा गया कि मेरिट लिस्ट में आने वाले लोगों को ऐच्छिक स्थानांतरण मिलेगी ? और क्यों किसी को भी ऐच्छिक स्थानांतरण नहीं मिल रहा ? क्यूं विकल्प के रूप में 3 जिला मांगा गया था ? क्यों सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों से दस विकल्प मांगे जा रहे हैं ? दस विकल्प के रूप में दस विद्यालय नहीं, दस पंचायत भी नहीं, दस प्रखण्ड भी नहीं, गृह जिला और वर्तमान पदस्थापित अनुमंडल छोड़ कर क्यों शिक्षकों से दस अनुमंडल का विकल्प मांगा जा रहा है ? अभी स्थानांतरण नीति आई भी नहीं और अभी से ही क्यों ये बोला जा रहा है कि प्रत्येक 5 सालों में पुन: स्थानांतरण होती रहेगी ? सरकार जिन शिक्षकों के एक मिनट पहले विद्यालय से निकलने और एक मिनट देर से विद्यालय आने पर उस दिन का वेतन ही काट रही हैं उसी सरकार के डीएम पटना सदर चंद्रशेखर सिंह द्वारा 10:30 सुबह के बाद जब उसी शिक्षा विभाग का औचक निरीक्षण किया गया तो वहां के डीईओ, डीपीओ सहित कई कर्मी भी मौजूद नहीं मिले। फिर सारी गलती केवल शिक्षकों की ही क्यूं ? शिक्षा की अभी पूछते मिले कि 3:15 में बच्चों की छुट्टी होने के बाद क्यूं शिक्षकों को 4:30 तक बिना मतलब रोका जा रहा है ? इसके कारण शिक्षक स्वयं अवसादग्रस्त हो रहे हैं। आए दिन नई नई घटनाओं में वृद्धि हो रही है। क्यूं जब बच्चे ख़ुद त्योहारों में विद्यालय नहीं आते हैं फिर भी शिक्षकों की छुट्टी रद्द कर उनको त्योहारों में विद्यालय बुलाया जा रहा है ? क्या शिक्षकों के परिवार नहीं है ? या सरकार चाहती हैं कि कोई शिक्षक अपने परिवार के साथ न रहे ? शिक्षकों के साथ छोटे छोटे बच्चे हैं जिन्हें किसी स्कूल में बड़ी जद्दोजहद कर माता पिता पढ़ा रहे हैं, उनके यहां वृद्ध माता पिता की भी जिम्मेदारी है। उनके घर जवान बेटी है जिसकी शादी करनी है। उन्होंने बड़ी मुश्किल से कर्ज ले कर कहीं जमीन खरीदी है बसने के लिए तो कई ने मकान बनाए हैं और अब चैन से रहने लगे थे। शिक्षा विभाग के शिक्षकों के स्थानांतरण के निर्णय को बिल्कुल गलत विचारधारा वाला निर्णय बदलते हुए कहना है कि इससे लाखों शिक्षकों के परिवार में ख़लबली आने वाली हैं। ऐसा प्रयोग और ऐसे कार्य को कर के शिक्षा विभाग द्वारा आखिर क्या हासिल किया जाएगा ? जब शिक्षक स्वयं अवसाद ग्रस्त होंगे तो वो क्या सही पढ़ा पाएंगे? रोज़ विद्यालय में झगड़ा हुआ करेगा, रोज लोगों के भागने की खबरें आया करेंगी, रोज़ मुहावरों तक का गलत अर्थ पढ़ाया जाएगा, ये सब कुछ तो अभी होना शुरू हो चुका है भगवान ही जाने इसके अलावा और क्या क्या होगा? अंत में लिखा है कि कोई माननीय सिद्धार्थ सर को इन बातों से भी अवगत कराए कि शिक्षकों की भी जिंदगी में कुछ सुधार हो, शिक्षक समुदाय को भी कुछ सुकून मिले।
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