नहीं है जिले में आवश्यकता के अनुरूप यूरिया व डीएपी
नहीं है जिले में आवश्यकता के अनुरूप यूरिया व डीएपी नहीं है जिले में आवश्यकता के अनुरूप यूरिया व डीएपीनहीं है जिले में आवश्यकता के अनुरूप यूरिया व डीएपी
जमुई । हिन्दुस्तान संवाददाता जिले में इन दिनों उर्वरक की आपूर्ति नहीं होने के कारण किसान काफी परेशान दिख रहे है। बताया जाता है कि जिले में जितना उर्वरक की मांग है उतना उर्वरक जिला को नहीं मिलने के कारण काफी परेशानी का सामना किसानों को करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि जमुई जिला कृषि कार्यालय में जिला वार्ड रवि 24-25 से में उर्वरक की आवश्यकता एवं उपलब्धता संबंधी प्रतिवेदन 18 नवंबर 2024 में उपलब्ध उर्वरक का यूरिया 19000 एमटी आवश्यकता है। वहीं उपलब्ध 3165.345 एमटी ही है। डीएपी 4500 एमटी की आवश्यकता है। जिले में 826.450 एमटी उपलब्धता है। एनपी की आवश्यकता 5000 एमटी हैं। वहीं उपलब्धता 904.50 एमटी हैं। एमओपी की आवश्यकता 900 एमटी है। वहीं उपलब्धता 276 एमटी ही हैं। एसएसपी की 1000 एमटी की आवश्यकता है जिले में उपलब्ध मात्र 838.50 एमटी ही हैं। कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार ने बताया कि आवश्यकता की अनुरूप खाद नहीं आ रहा है जिसके कारण किसानों को परेशानी हो रही है। साथ ही अभी जिले में रबी फसल की बुआई ज्यादा नहीं हो रहा है। जिसके कारण खाद की डिमांड अन्य जिला के अपेक्षा कम है। क्योंकि धान काटने के बाद ही रबी फसल की बुआई होती है और धान जिले में 10-20 प्रतिशत ही कट पाया है। जिले में खरीफ फसल की कटाई के बाद रबी फसल की बुआई चल रही है। लेकिन, खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं। पर्याप्त मात्रा में डीएपी व यूरिया सहित अन्य खादों उपलब्ध नहीं रहने से रबी फसल की बुआई में समस्या आ रही है। गेहूं फसल की बुआई के लिए किसान जहां-तहां से दौड़-धूप कर किसी तरह डीएपी खाद की व्यवस्था में जुटे हैं। जिले में मांग के अनुसार डीएपी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। 15 दिसंबर तक गेहूं की बुआई का आदर्श समय माना जाता है। लेकिन, उर्वरकों की मांग के अनुरूप उपलब्ध नहीं रहना किसानों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। गेहूं के साथ रबी फसलों की बुआई शुरू होते ही डीएपी के लिए हाहाकार मचा हुआ है।
सरकारी दर पर डीएपी की बोरियां उपलब्ध नहीं है। अधिकतर किसानों के खेत गेहूं बुआई के लिए तैयार हो चुके हैं। जबकि, बाजार में सरकारी उर्वरक की दुकानों में पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऊंचे दामों पर डीएपी खाद की धड़ल्ले से कालाबाजारी की जा रही है। रबी फसलों का लक्ष्य जिले में इस बार करीब 45 हजार हेक्टेयर के करीब रबी आच्छादन होना है।
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