बंगाल और चुनार वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की मांग
जमुई के बाजार में दीपावली के नजदीक आते ही मूर्तियों की मांग बढ़ गई है। पश्चिम बंगाल और चुनार की आकर्षक मूर्तियों की बिक्री में इजाफा हो रहा है। पारंपरिक मूर्तियों की मांग कम हो रही है जबकि फल-सब्जी और...
जमुई । एक प्रतिनिधि दीपावली नजदीक आने के साथ ही जमुई के बाजार की चमक बढ़ गयी है। दीवाली की रात पूजा-अर्चना के लिए श्रीगणेश और माता लक्ष्मी की तरह-तरह की छोटी प्रतिमाएं सजी हैं। इन्हीं में पश्चिम बंगाल और चुनार की बनीं मूर्तियां बेहद आकर्षिक कर रही हैं। इन मूर्तियों की मांग लगातार बढ़ रही है। यही वजह से जमुई के थोक बाजार में अब अधिकतर दुकानदार बंगाल, लखनऊ और चुनार वाली मूर्तियां बेच रहे हैं। इस साल भी सुंदर-सुंदर मूर्तियां हैं। इनकी डिमांड बढ़ने पारंपरिक तार वाली भी मूर्तियां की मांग कम गयी है। देवी-देवताओं की मूर्तियों के अलावा फल-सब्जी और तरह-तरह की पशु-पक्षी की प्रतिमाओं भी लोगों को आकर्षित कर रही हैं। हाल के वर्षों में यूपी और पश्चिम बंगाल की प्रतिमाओं का क्त्रेज बढ़ने के कारण बिक्त्री के साथ ही दुकानें भी बढ़ गई हैं। पारंपरिक मूर्तियां कहीं-कहीं बिक रही हैं। मिट्टी वालीं मूर्तियां महंगी, चुनार वाले की कीमत कम है। यूपी और बंगाल वाली मूर्ति बेहद आकर्षक होने के कारण कीमत सामान्य मूर्तियों की तुलना में काफी अधिक है। शहर के एक दुकानदार रवि कुमार घने बताया कि पश्चिम बंगाल के अलावा लखनऊ व बनारस वाली मूर्तियों की मांग हर साल बढ़ रही है। शहर के विभिन्न इलाकों में करीब 100 छोटी-बड़ी दुकानों में से अधिकतर में दूसरे प्रदेश वाली मूर्तियां ज्यादा दिख रही हैं। अधिकतर दुकानदार ये हीं मूर्तियां लाकर बेच रहे हैं। इस साल तो कीमत भी नहीं बढ़ी है। बंगाल और लखनऊ की प्रतिमाएं मिट्टी से बनती हैं और जरी का काम होता है। लखनऊ की प्रतिमाएं ज्यादा खूबसूरत हैं। इसलिए महंगी होती है। कीमत 200 से लेकर 1500 रुपए जोड़ा है। चुनार का प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी होने से इनकी कीमत कम होती है। ग्रामीण इलाकों में भी दुकानदार कई तरह की मूर्तियों की बिक्त्री कर रहे हैं। इसे लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं।
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