Hindi Newsबिहार न्यूज़जमुईDev Uthani Ekadashi Significance and Rituals of Worshiping Lord Vishnu

चार मास की घोर निंद्रा के पश्चात जागे सृष्टि के पालनहार

चंद्रमंडीह में देवउठनी एकादशी की मान्यता के अनुसार भगवान श्री विष्णु चार महीने तक क्षिरसागर में विश्राम करते हैं। इस दिन उपवास रखने से व्यक्ति को सहस्त्र एकादशी का फल मिलता है। इस एकादशी के बाद सभी...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईWed, 13 Nov 2024 12:38 AM
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चंद्रमंडीह, निज संवाददाता सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री विष्णु ने भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को महा पराक्त्रमी देत्य शंखसूर के साथ लम्बे युद्ध के पश्चातदेत्य क़ा बध करने के बाद सृष्टि के पालन करता भगवान श्री विष्णु आराम करने के लिए क्षिरसागर में जा कर सो गए थे जिसे देवश्यनी एकादशी के नाम से जाना गया। फिर चार मास के लम्बे अंतराल के बाद कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को जागे जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना गया। इस अंतराल को चतुरर्य मास भी कहा जाता है। इस चार मास के अंतराल में विवाह एवं सभी मांगलिक कार्य बंद रहते हैं। देवउठनी एकादसी जिसे प्रबोधनी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी के पश्चात सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है ऐसी मान्यता है की इस एकादशी को ज़ो भी व्यक्ति उपवास रहकर संध्या वेला में ज़ो विधीपुर्वक भगवान बिष्णु क़ा पूजा करता है उसे सहस्त्र एकादशी करने क़ा फल प्राप्त होता है। पदमपुराण के अनुसार आज के दिन किया गया जप, दान होम,सब अक्षय होता है इस एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ, तथा सो राजसूय यज्ञ करने के बराबर फल देने वाला बताया गया है।

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