Hindi Newsबिहार न्यूज़जमुईCrowds Surge in Jhajha Market on Dhanteras Amid Mixed Sales

धनतेरस के ‘शगुन को दुकानों पर खूब उमड़ी खरीदारों की भीड़

धनतेरस के ‘शगुन को दुकानों पर खूब उमड़ी खरीदारों की भीड़ धनतेरस के ‘शगुन को दुकानों पर खूब उमड़ी खरीदारों की भीड़

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईThu, 31 Oct 2024 12:42 AM
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धनतेरस के ‘शगुन को दुकानों पर खूब उमड़ी खरीदारों की भीड़ धनतेरस के ‘शगुन को दुकानों पर खूब उमड़ी खरीदारों की भीड़

उम्मीद के उलट ग्रामीण ग्राहकों ने भी बनाया कारोबारियों का ‘शगुन

मू्त्तितयों समेत बर्त्तन व जेवरातों से ले बाइक व मोबाइलों तक की दुकानों पर देर रात तक लगा रहा मेला

फोटो- 02 : तक, झाझा में धनतेरस की शाम दुकानों पर उमड़ी भीड़

झाझा, निज संवाददाता

धनतेरस पर खरीदारी के जरिए साल भर का ‘शगुन बनाने को ले मंगलवार की रात झाझा बाजार की दुकानों पर खूब उमड़ी थी खरीदारों की भीड़। शहर के तमाम बाजार ग्राहकों की गहमागहमी से गुलजार नजर आ रहे थे। एक ओर भगवान गणेश-लक्ष्मी एवं कुबेर की मू्त्तितयों तथा बही-बसने व पूजन सामग्रियों से ले सजावट के सामानों की तमाम दुकानें तक ग्राहकों से ही पटी पड़ी थीं। तो उधर बर्त्तन व जेवरातों से ले बाइक,मोबाइल एवं इलेक्ट्रिक व इलेक्ट्रोनिक्स सामानों तक की दुकानों पर भी देर रात तक मेला लगा दिया। जेवरों की दुकानों पर जहां जोरदार बिकवाली की वजह से चांदी के सिक्के खूब खनकते दिखे। किंतु इन सबसे उपर झाड़ू का ‘सिक्का सबसे अधिक चलता दिखा। लोगों ने झाड़ू दुकानों पर खरीदारी के मामले में तो मानों ‘झाड़ू ही लगा दी थी। उक्त आइटमों के अलावा पटाखे एवं भारी खरीदारी से विशेषकर मिठाई दुकानदार भी काफी मिठास का अनुभव करते दिखे।

सोना 81 हजार और चांदी भी ‘लखटकिया हो जाने से जेवर दुकानदारों के चेहरों पर दिखी कम कारोबार की कसक

झाझा,

बाजार के मिजाज से परे,धनतेरस के मौके पर गुलजार रहा करने वाले कुछ आइटमों के दुकानदारों के चेहरों पर कम कारोबार होने की कसक भी साफ झलकती दिखी। खासकर जेवर दुकानदारों के चेहरों पर धनतेरस का कारोबार उम्मीद व अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो पाने की टीस स्पष्ट नजर आ ही थी। सर्राफ कम बिकवाली की वजह सोने-चांदी के भावों के आसमां छूना बताया। कहा,झाझा,जमुई आदि इलाके करीब 90 फीसद लोग दाल-रोटी व छोटी-मोटी जरूरत की पू्त्तित कर पाने की कमाई तकही सिमटे हैं। ऐसे में जहां सोना 81 हजार रूपए प्रति दस ग्राम और चांदी भी एक लाख रूपए किलो के ऑल टाइम हाई के मुकाम पर पहुंच गई हो वहां अब सोने के आइटम शो केस तक में ही सिमट कर रह गए हैं। बताया कि शगुन के नाम पर लोगों ने कुछ हद तक चांदी के सिक्के अवश्य खरीदे। किंतु अन्य सामान मोटे तौर पर शोकेसों में ही सजे रह गए। बताया क उनकी दुकानों पर भी भीड़ रही,पर वह खरीदार में कम ही तब्दील हो पाई। ग्राहकों के उक्त मिजाज से हताश-निराश एक जेवर दुकानदार ने कहा दुकान पर लोगों का बड़ी तादाद में पहुंचना पर उनका खरीदार में तब्दील नहीं हो पाया,यह कुछ वैसा ही था जैसा चुनाव के वक्त किसी नेता की सभा में उमड़ी भीड़ का वोट में तब्दील नहीं हो पाना। कुछ दुकानदारों ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि धनतेरस की दुकानदारी पर पूरे साल की उम्मीदें टिकी होती हैं। बंपर सेल होगी,इस भरोसे के तहत उधार पैचा करके भी माल के भारी स्टॉक हेतु भारी पूंजी निवेश करते हैं। महीनों की उक्त कसरत के बाद यदि कारोबार का ऐसा फलाफल पूरे बाजार के लिए एक जोरदार झटके के रूप में रहा। कहा,विगत में दो-तीन साल कोरोना की काली छाया छायी रही थी और अब आसमां छूते भावों ने लोगों को कहीं न कहीं लाचारी वाले हाल में ला छोड़ा है। वैसे,परंपरा के मद्देनजर हर किसी ने अपनी सामर्थ्य के मुताबिक किसी न किसी धातु की खरीदारी की। महंगाई की मार भी बेसाख्ता है। ऐसे में निम्न मध्यम वर्गीय लोगों के लिए अपनी परंपरा को निभाना भी मुहाल बना हुआ था। फिर भी जिस से जो बन पड़ा,शगुन के बतौर उसकी खरीदारी की।

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