Hindi Newsबिहार न्यूज़जमुईCritical Shortage of Medical Staff at Jhajha Referral Hospital Raises Concerns

अभियान: 8 डाक्टर के भरोसे तीन लाख आबादी

अभियान: 8 डाक्टर के भरोसे तीन लाख आबादी अभियान: 8 डाक्टर के भरोसे तीन लाख आबादी अभियान: 8 डाक्टर के भरोसे तीन लाख आबादी

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईSat, 23 Nov 2024 12:10 AM
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झाझा । निज संवाददाता क्या आप किसी ऐसे संस्थान की अस्पताल के रूप में कल्पना कर सकते हैं अथवा ऐसे संस्थान को अस्पताल मान सकते हैं जहां कंपाउंडर से ले डे्रसर तक भी उपलब्ध न हो। यदि नहीं कर सकते तो आइए हम आप को ऐसे संस्थान व उसकी हकीकत रू-ब-रू कराते हैं। यह संस्थान कोई और नहीं अपितु झाझा स्थित इकलौता राजकीय अस्पताल पीएचसी सह रेफरल अस्पताल है। सामने आई जानकारी के अनुसार इलाके के इस बड़े अस्पताल के पास कंपाउंडर व डे्रसर तक जैसे बुनियादी जरूरत या कहें आवश्यक आवश्यकता वाले पारा मेडिकल स्टाफ तक भी मयस्सर नहीं हैं। जाहिर है कि ऐसे में डॉक्टरों की कमी की चर्चा शायद बेमानी होगी। हाल-ए-अस्पताल यह है कि अस्पताल आने वाल जख्मी मरीजों की आवश्यकतानुसार ड्रेसिंग सेे स्टीचिंग तक की जिम्मेदारी भरा उक्त कार्य प्रशिक्षित कर्मियों के अभाव में अस्पताल प्रशासन बाहरी अप्रशिक्षित लोगों से करा रहा है, या कहें कि कराने को मजबूर है। अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) डॉ. अरूण कु. सिंह भी इस हकीकत को दिलेरी से स्वीकारते मिले। वैसे संसाधन के अलावा मैनपावर तक के मामले में भी अस्पताल की अत्यंत बिगड़ी सेहत वाली यह सूरत कोई हाल-फिलहाल से नहीं अपितु सालों से कायम है। कितने सालों से है यह हाल,यह बताने में खुद एमओआईसी भी सिर खुजाते मिले। कहा, साल याद नहीं किंतु सालों से यहां उक्त कर्मी उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में दुघर्टना जनित लोगों व जख्मी मरीजों की ड्रेसिंग को कौन व कैसे करता है के सवाल पर एमओआईसी किंचित बेबसी भरे अंदाज में बताते हैं कि उक्त पद वाले कर्मियों के अभाव में यह कार्य अस्पताल में मरीजों का खाना अथवा अन्य सुविधाएं सुलभ कराने वाले आउटसोर्सिंग संवेदकों के लोगों से करवाया जाता है। अस्पताल कर्मियों के दावों के अनुसार सालों से उक्त लोगों द्वारा ही डे्रसिंग,स्टीचिंग आदि की जिम्मेदारी उठाई जाती है। वैसे, अस्पताल के पहरूओं की मानें तो लंबे अर्से से उक्त जिम्मेदारी उठाते आने से अब वे लोग इसमें निपुण हो चूके हैं। संभव है कि अस्पताल के लोगों का उक्त दावा सही भी हो। किंतु, क्या बगैर किसी डिग्री या डिप्लेमाधारी तथा बगैर विधिवत प्रशिक्षण वाले लोगों से ड्रेसिंग,इंज्यूरी की स्टीच आदि जैसे जोखिम भरे कार्य करवाना उचित माना जा सकता है अथवा यह भरोसेमंद हो सकता है के सवाल का एमओआईसी के पास कोई सीधा जवाब नहीं दिखा। बीते साल यह पहलू झाझा के विधायक दामोदर रावत के संज्ञान में लाने पर उन्होंने भी अपनी नाखुशी जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था का जायजा लेने को वे अक्सर इलाके के अस्पतालों का दौरा करते रहते हैं किंतु अस्पताल प्रशासन द्वारा उक्त कमियों की बात कभी भी उनके संज्ञान में नहीं लाई गई है।

डॉक्टर के साथ पारा मेडिकल स्टाफ की कमी की सूरत में इलाज के नाम पर खानापू्त्तित!

डॉक्टरों की कमी से जूझते झाझा के पीएचसी सह रेफरल अस्पताल के पास पारा मेडिकल स्टाफ की भी कमी अफसोसजनक व चिंताजनक है। चिकित्साकर्मियों के भारी टोटे की उक्त स्थिति में यहां मरीजों का इलाज कितना समुचित व संतोषजनक होता होगा यह सहज ही समझा जा सकता है। बता दें कि चंद माह पूर्व यहां के दो चिकित्सकों का भी तबादला कर दिया गया था। इसके मद्देनजर यहां कोई विशेषज्ञ की बात दूर,अस्पताल की ओपीडी को भी गाहे बगाहे आयुष ही संभालते दिखे हैं। जानकारीनुसार अस्पताल की ओपीडी में दैनिक तौर पर औसतन 200 प्लस मरीजों की आवक होती है।

मामूली मर्ज वाले मरीजों को छोड़,शेष प्राय: सभी हो जाते हैं रेफर :

कई पंचायतीराज प्रतिनिधि तो यह कहने से भी गुरेज करते नहीं दिखे कि विभागीय उदासीनता व संवेदनशून्यता के कारण यहां इलाज के नाम पर महज खानापू्त्तित होती है। बकौल प्रतिनिधि,यही वजह है कि सर्दी, खांसी, बुखार जैसी मौसमी बीमारी एवं डायरिया,मलेरिया आदि जैसे मामूली मर्ज वाले मरीजों को छोड़ बाकी प्राय: सभी को या तो अस्पताल के चिकित्सक ही रेफर कर देते रहे हैं। या फिर, मरीज खुद ही किसी निजी चिकित्सक का रूख कर लेते रहे हैं। जबकि उधर विभागीय मुख्यालय ने मरीजों को विशेष परिस्थितियों में ही रेफर करने की नसीहत बीते दिनों जारी की है।

मरीजों के लिए महत्वपूर्ण मुकाम होता है झाझा का सरकारी अस्पताल :

जिला मुख्यालय जमुई एवं जिला का अंतिम प्रखंड चकाई के तकरीबन मध्य मुकाम पर स्थित होने की वजह से झाझा स्थित पीएचसी सह रेफरल अस्पताल हर मरीज का प्राथमिक व महत्वपूर्ण मुकाम हुआ करता है। हाल के सालों में सड़क हादसों के मामले में आई बेतहाशा तेजी के मद्देनजर हादसों में गंभीर रूप से जख्मी मरीजों के सबसे पले इसी अस्पताल पहुंचने के अलावा रेल का प्रमुख केंद्र होने की वजह से टे्रन से गिर पड़कर जख्मी मुसाफिरों को भी इलाज को इसी अस्पताल लाया जाता है।

लोड 3 लाख प्लस की आबादी का, डॉक्टर महज 8 :

बता दें कि झाझा के स्वास्थ्य संस्थानों के कंधों पर तीन लाख प्लस की आबादी के इलाज व तिमारदारी की जिम्मेदारी है। उक्त आबादी की बीमारी व सेहत की समुचित देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग की झाझा इकाई के तहत झाझा स्थित एक रेफरल अस्पताल सह पीएचसी के अलावा सिमुलतला,बुढ़ीखार व धमना के तीन पूर्व के एपीएचसी के अलावा नरगंजो एवं सिकरडीह में दो नए एपीएचसी यानि कुल 5 एपीएचसी हैं। इसके अलावा 13,वेलनेस सेंटर एवं 28 स्वास्थ्य उपकेंद्र यानि एचएससी हैं। अब बात चिकित्सकों की उपलब्धता की करें तो इतनी बड़ी आबादी के इलाज व 50 के करीब उक्त स्वास्थ्य इकाइयों हेतु संविदा आधारित समेत कुलजमा 8 ही डॉक्टर हैं। इनमें भी दो लेडी डॉक्टर शामिल हैं जो गाहे-बगाहे महिला मरीजों के चेक अप,अल्ट्रासाउंड आदि तक से ही वास्ता रखती नजर आई हैं। इनमें भी राजीव कुमार नामक एक अन्य चिकित्सक सिर्फ बुढ़ीखार एपीएचसी से ही वास्ता रखते बताए गए हैं। इस तरह लेडी डॉक्टरों को भी गणना में ले लें तो इलाज हेतु हर 50 हजार की आबादी पर औसतन एक डॉक्टर है। और....यदि महिला चिकित्सक को परे रखा जाए तो एक डॉक्टर के कंधों पर करीब 75 हजार की आबादी के इलाज का जिम्मा है। ऐसे हालातों में कई समाजसेवी स्वास्थ्य सुविधा के विस्तारीकरण व बेहतर होने का दावा करने वाले स्वास्थ्य विभाग से यह सवाल करता नजर आ रहा है कि क्या विभाग ऐसे ही हालातों को बेहतर इलाज वाली व्यवस्था मानता है!

डॉक्टरों व संसाधनों की सुलभता की स्थिति :

झाझा में रेफरल अस्पताल के अलावा पीएचसी भी है। उक्त दोनों महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थानों को मिलाकर यहां डॉक्टरों एवं अन्य संसाधनों की सुलभता की स्थिति,बकौल एमओआईसी डॉ.अरूण कुमार,निम्नवत है।

रेफरल अस्पताल 01

पीएचसी 01

एपीएचसी 05

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर 13

एचएससी 28

डॉक्टर 08 (नियमित 5,संविदा पर 3)

आयुष चिकित्सक 07 (नियमित 5, संविदा पर 2)

सीएचओ 16

एएनएम 72(नियमित व संविदा मिलाकर)

दवाएं: ओपीडी 211 के विरूद्ध 155, इंवार्ड 98 के विरूद्ध 76

क्या कहता है अस्पताल प्रशासन :

अस्पताल में कंपाउंडर, ड्रेसर आदि बीते कई सालों से उपलब्ध नहीं हैं। इनके अलावा ऑपरेशन अडेंडेंट तथा लेबर रूम इंमर्जेंसी एवं ऑपरेशन इंचार्ज भी सुलभ नहीं होने से इंचार्ज वाली जिम्मेदारी जीएनएम ग्रेड-1 द्वारा संभाली जा रही है। उक्त कर्मियों के पदस्थापन को ले वरीय पदाधिकारी को कई बार स्मारित किया जा चूका है।

डॉ.अरूण कुमार

एमओआईसी, रेफरल अस्पताल सह पीएचसी, झाझा

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