गांव की गलियों से लुप्त हो रहे आस्था से ओत-प्रोत छठ गीत
अलीगंज में छठ पर्व के दौरान स्वच्छता और सफाई पर जोर दिया जाता है। कार्तिक माह में महिलाएं सुबह-सुबह गांव की गलियों में झाड़ू लगाती हैं और छठ मईया के गीत गाती हैं। हालांकि, कुछ महिलाएं इसे अपमान समझती...
अलीगंज । निज संवाददाता लोक आस्था का महापर्व छठ साफ, सफाई, स्वच्छता पवित्रता नेक नेमत का प्रतीक माना जाता है। जैसे ही कार्तिक माह प्रवेश करती है लोग जहा तहा थूकना बंद कर देते है। गांव की साफ सफाई हर लोग अपना नैतिक दायित्व समझते है। कार्तिक माह आते ही सुबह-सुबह गांव की गलियों में झाड़ू लगाने आई महिलाओं के छठ मईया की गीत से पूरा गांव भक्तिमय माहौल हो जाता है। गांव की मां, बहन, बेटी, मामा पोती, सभी परिजन की यही सोच रहती है कि परवैति का पाव किसी तरह की गंदगी पर नही पड़े इसलिए सुबह-सुबह गांव की गलियों में गीत के साथ झाड़ू लगाया जाता है। पूरा गांव साफ-सफाई धूप अगरबत्ती के सुगन्ध से स्वच्छ लगता है।लेकिन वर्तमान समय मे आज की महिलाएं गांव की गलियों को बोहरना अपना अपमान समझकर छोड रहे है इस लिए गांव की गलियों से लुप्त हो गई छठ मइया की मिठास भरी गीत। न तो आज किसी गली में कोई झाड़ू लगाने वाला है, न ही छठ मैया के मनमोहक गीत गाने वाला, पहले जहा महिलाएं छठ के दौरान गली में झाड़ू लगाने का धार्मिक महत्व समझता था, आज अपनी प्रतिष्ठता का हनन समझ रहे है। लेकिन आज भी अधिकांश पढ़ी लिखी महिलाएं गली में झाड़ू लगातें हुए छठ गीत गाना अपना सौभाग्य समझते है। प्रखंण्ड में कई ऐसे छठव्रती है जो पदाधिकारी के पद पर कार्यरत है, लेकिन गांव आने के बाद गांव के निश्छल माहौल में आज भी झाड़ू ,साफ सफाई कर रही है।
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