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सोनो के 337 नियोजित शक्षिकों को विशष्टि शक्षिक के रूप में मिला नियुक्ति पत्र

सोनो के 337 नियोजित शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षक के रूप में नियुक्ति पत्र दिया गया। यह वितरण समारोह स्थानीय प्रखंड संसाधन केंद्र में आयोजित किया गया। अब ये शिक्षक नए साल में अपने विद्यालयों में योगदान...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईSun, 29 Dec 2024 01:53 AM
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सोनो के 337 नियोजित शक्षिकों को विशष्टि शक्षिक के रूप में मिला नियुक्ति पत्र सोनो के 337 नियोजित शक्षिकों को विशष्टि शक्षिक के रूप में मिला नियुक्ति पत्र

फोटो-04,05- सोनो में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ करते बीइओ व अन्य

सोनो। निज संवाददाता

सक्षमता परीक्षा उतीर्ण 337 नियोजित शक्षिकों को विशष्टि शक्षिक के रुप मे औपबंधिक नियुक्ति पत्र दिया गया। विभाग के नर्दिेश के आलोक में स्थानीय प्रखंड संसाधन केंद्र में नियुक्ति वितरण समारोह आयोजित कर शनिवार को औपबंधिक नियुक्ति पत्र शक्षिकों के बीच वितरित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रखंड शक्षिा पदाधिकारी सीताराम दास द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। उन्होंने बताया कि प्रखंड के कुल 337 सक्षमता पास नियोजित शक्षिकों को नियुक्ति पत्र दिया गया। इसके बाद अब वे नए साल में एक जनवरी से सात जनवरी तक अपने ही वद्यिालय में विशष्टि शक्षिक के रूप में योगदान करेंगे। यह कदम शक्षिा के क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। अब क्वालिटी एजुकेशन बहुत बड़ा चैलेंज है। बच्चों को बेसिक और गुणवत्तापूर्ण शक्षिा देना हम सब की प्राथमिकता है। मौके पर बीपीएम राजीव कुमार, बीआरपी सुधीर कुमार, कैलाश प्रसाद, योगेंद्र शर्मा, डाटा आपरेटर अविनाश कुमार, राजेन्द्र दास, सुमन कुमार, धर्मेंद्र कुमार सिंह, शशि शेखर सुमन सहित बड़ी संख्या में शक्षिक-शक्षिकिा मौजूद थे।

इससे पहले की हम लौट जाएं अपने घर-बार,एक बार तो आओ नागी के द्वार

यहां प्राकृतिक सौंदर्य का रस बरसता है, जलाशय में कल-कल बहती है सरिता

फोटो-2- नागी में अठखेलियां करते विदेशी पक्षी

फोटो-3- नागी का मुख्य द्वार का तस्वीर

झाझा, निज संवाददाता

इससे पहले की हम लौट जाएं अपने घर-बार,एक बार तो आओ नागी के द्वार....। जी हां,नागी की खूबसूरत झील में अठखेलियां करते विदेशी मेहमां प्रकृति प्रेमी भारतीयों से शायद कुछ ऐसी ही गुजारिश करते प्रतीत होते हैं। इनकी गुजारिश या कहें शिकायत लाजिमी भी है। मलेशिया,इंडोनेशिया,चीन,रूस व आस्ट्रेलिया आदि देशों से 8 से दस हजार किमी जैसी अत्यंत लंबी दूरी तय करके हवाई मार्ग से हमारे देश-प्रदेश,जिले में आते हैं। सर्दियों की पूरी सीजन हमारे पहलू में ही गुजारते हैं। फरवरी से इनका अपने मुल्कों के लिए वापसी का सफर भी शुरू हो जाएगा। पर,विडंबना यह कि इन परदेसियों के हमारे इलाके तक में आने व यहां करीब चार माह तक बसेरा डाले रखने के बाद भी इनसे अंतरंग होने के मामले में कहीं न कहीं हम ही परदेसी बने रहते हैं।

दुनियां में तीसरी सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले राजहंस से ले खूबसूरत पैरों वाले सूरखाब तक भी होते हैंः

झाझा के नागी-नकटी पक्षी अभ्यारण्य विविधताओं व कई विशष्टिताओं से भरे हैं। इसकी खासियत व अहमियत को मानों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी स्वीकारा है। इसके मद्देनजर ये झीलें पक्षी संबंधी वैश्विक मानचत्रि में आईबीए,यानि इंपोर्टेंट बडर्स एरिया के बतौर तो जहां पहले से ही अधिसूचित हैं। वहीं,अब गुजरते साल में इन्हें रामसर साइट का प्रतष्ठिति वैश्विक दर्जा भी सीब हो गया है। वन विभाग के दावों के मुताबिक इन झीलों के आगोश में 152 प्रजातियों के पक्षी,जिनमें अधिकांशतःप्रवासी पक्षी ही हैं। इसके अलावा 36 प्रजातियों की मछलियां एवं 16 प्रकार के रेप्टाइल्स यानि रेंगने वाले जंतु तक भी समाए रहते हैं। इतना ही नहीं,कई ऐसे भी हैं जो जल व थल दोनों में ही अपना गुजर बसर कर लेते हैं। पक्षी वैज्ञानिकों की भाषा में इन्हें एंफीबियंस कहा जाता है। जबकि इंडियन क्रॉसर,सैंड ग्राउंड नामक ऐसे पक्षी भी हैं जो यहां जलीय व पथरीली या कहें शुष्क माहौल में जीवनयापन करते हैं। इसके आंचल में रमने या पलने-बढ़ने वाले प्रवासी पक्षियों के कुनबे में जहां एक ओर दुनिया का तीसरी सबसे ऊंची उड़ान भरने तथा मध्य एशिया में विचरण करने वाले राजहंस (बार हेडेड गूज),जन्हिें काजहंस भी कहा जाता है,भी हैं जो अपनी सर्दियां हर साल नागी-नकटी के ही आंचल में बिताते आए हैं। तो,खूबसूरत पैरों की मिसाल के बतौर मुहावरे में इस्तेमाल होने वाले सुनहरे सूरखाब भी। पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मश्रिा के अनुसार विगत में किए गए एक सर्वे में नागी-नकटी में अठखेलियां करने वालों में राजहंस व सूरखाब,लालसर,डिघौंच,सरार व इंडियन क्रॉसर आदि के अलावा दुनियां के कई अन्य दुर्लभ पक्षियों समेत कुल 133 प्रजातियों के पक्षी शामिल मिले थे। विगत के सर्वे में यहां 16 सौ बार हेडेड गूज यानि राजहंस तथा इसी तरह रेड क्रेस्टेड पोकार्ड नामक एक और दुर्लभ पक्षी की गणना करने पर वे भी बड़ी तादाद में पाए गए थे,ये संख्या दुनियां में उन दोनों की आबादी का 3-3 फीसद बताया गया था। श्री मश्रिा का मानना था कि यदि इन झीलों में खासकर जाड़े के मौसम में फिशिंग व अन्य प्रकार की बाधाओं की स्थितियां न बने तो उक्त झीलों के अंजुमन में 20 हजार से भी अधिक पक्षियों का बसेरा सहज ही देखने को मिल सकता है।

नागी-नकटी की भौगौलिक खासियत व अहमियतः

सूबे के दक्षिण-पूर्व में जमुई जिले के झाझा की गोद में एक-दूसरे के महज 4 किमी के फासले के पड़ोस में सगी बहनों सी पसरीं नागी-नकटी झीलें पक्षी संबंधी वैश्विक मानचत्रि में आईबीए यानि इंपोर्टेंट बडर्स एरिया के बतौर अधिसूचित हैं। संभवतः इसी के मद्देनजर सरकार ने साल 1987 1987 से ही इसे राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण्य के विशष्टि तमगे या दर्जे से नवाज रखा है। पटना से करीब 200,जमुई स्टेशन से 31 व शहर से 35 तथा मेजबान झाझा रेलवे स्टेशन से महज 7 किमी की दूरी पर स्थित नागी व 11 किमी पर नकटी देवघर से करीब 70 कमी के ही फासले पर स्थित है।

पहलः पक्षियों के प्रति प्रेम अंकुरित करने को चलाया जाता रहा है जन जागरणः

स्थानीय लोगों में पक्षियों के प्रति प्रेम की भावना अंकुरित करने व उन्हें ही पक्षियों का सरपरस्त बनाने के नजरिए से विभाग एवं विशेषकर भागलपुर के मंदार नेचर क्लब द्वारा इस क्रम में विगत में जन जागरण का सतत अभियान भी चलाया जाता रहा था। उस दौरान विभाग ने भी इलाकाई लोगों की सहभागिता से बर्ड्स लवर्स ग्रुप नामक एक विंग भी बनाया था। साथ ही,फिशिंग पर नजर रखने को महिलाओं का एक गश्ती दल भी गठित किया था।

विशेषज्ञों से ले पर्यटन सचिव का मानना,पर्याप्त प्रचार-प्रसार की है जरूरतः

विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय युवा प्रशक्षिण प्राप्त कर आगंतुकों के लिए गाइड का किरदार निभा रहे हैं। किंतु,इस आश्रयणी की कुदरती खूबसूरती व समृद्धि को ले व्यापक प्रचार-प्रसार हो व झाझा की रेंज ऑफिस में इसकी एक गाइड बुक्स भी सुलभ हो। साथ ही दूसरे स्थानों से आने वाले पर्यटकों के परिवहन एवं आवासन के समुचित इंतजाम हों। बीते साल 17 फरवरी को नागी-नकटी में पारस्थितििकी पर्यटन यानि ईको टूरज्मि की संभावनाओं का जायजा लेने आए सूबे के पर्यटन सचिव अभय कु.सिंह ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर एवं रास्तों में होर्डिंग आदि के जरिए इन आश्रयणियों की खूबियों के प्रचार-प्रसार की जरूरत बताई थी।

विशेषज्ञों की नजर में इन आश्रयणियों की खासियतः

प्रख्यात पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मश्रिा का मानना है कि पक्षियों के लिए बिहार में यदि कोई स्वर्ग है तो व झाझा के नागी-नकटी ही हैं। कहा,यहां की संस्कृति,वातावरण एवं कम आबादी की वजह से पक्षियों को मिलने वाला सकून सूबे में कहीं और मयस्सर नहीं होता है। इलाकाई लोगों का घर-आंगन तक भी इन विदेशी मेहमानों का बसेरा बन जाता दिखा है। साथ ही गंगा पार इलाकों की भांति यहां पक्षियों की मार-काट वाली संस्कृति भी नहीं है। यही वजह है कि प्रवासी पक्षियों के लिए नागी-नकटी पसंदीदा डेस्टीनेशन रहे हैं।

देसी को ही नहीं विदेशियों को भी मोहती,लुभाती रही है नागी

झाझा।

कोई यूं ही दीवाना नहीं हो रहा है नागी-नकटी झीलों का। झाझा के नागी पक्षी अभ्यारण्य को प्रदेश के पहले प्रदेश स्तरीय पक्षी महोत्सव जमुई जिले के झाझा प्रखंड के आंचल में पसरे नागी व नकटी डैम जिला ही नहीं बल्कि पूरे बिहार प्रदेश का नूर या कहें कोहिनूर है। पथरीली पहाड़ियों व लैंडस्केप सुंदर नजारों के आगोश में सगी बहनों से पसरी उक्त झीलों को प्रकृति व कुदरत ने मानों अपने अनमोल खजाने से सजा-संवार रखा है। इसकी कुदरती खूबसूरती का दीवानापन स्थानीय ही नहीं विदेशी लोगों तक को भी मोहित करता रहा है। इसके दीदार को विगत में एक फ्रांसीसी जोड़ा भी पहुंचता व फिर इसकी कुदरती खूबसूरती से मोहित हो घंटों तक इसी के आंचल में रमा देखा गया था। जाने के पूर्व उसने कई एंगल से सकी तस्वीरें भी अपने कैमरे में कैद की थीं।

दरवाजे एवं बक्सा का ताला तोड़कर चोरी

थाना में प्राथमिकी दर्ज

खैरा। निज संवाददाता

अमारी पंचायत के डुमरकोला गांव टोला ठेकही में गत रात्रि में दरवाजे एवं बक्से का ताला तोड़कर चोरी कर लिया। ठेकही गांव के मुसाहिब राम के पुत्र शंभू राम ने खैरा थाना में दिए अपने आवेदन में कहा कि गत रात्रि में वे लोग अपने-अपने कमरे में सोए हुए थे। अज्ञात चोरों के द्वारा दरवाजे का ताला तोड़कर अंदर घुसा और जिस-जिस कमरे में लोग सोए हुए थे उसी कमरे से बक्सा निकाल लिया और फिर कमरे में बाहर से दरवाजा बंद कर दिया और वही संदूक का भी ताला तोड़ दिया और उसमें रखे कीमती कपड़ा भी चोरी कर लिया। बक्से में रखे सोना का आभूषण वजन लगभग 30 ग्राम मंगलसूत्र, चेन और कंगन चांदी का आभूषण वजन लगभग 300 ग्राम कीमती कपड़ा आदि चोरी कर लिया। इस संबंध में शंभू राम ने खैरा थाना में एक आवेदन दिया है जिसके आलोक में प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

जमुई के शैलेश बने अभाविप के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य

आरा में अभाविप के दक्षिणी प्रांत के 66 में अधिवेशन में हुई घोषणा

फोटो-01- अभाविप प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शैलेश भारद्वाज

जमुई । नगर प्रतिनिधि

आरा में अखिल भारतीय वद्यिार्थी परिषद दक्षिण प्रांत के 66 में अधिवेशन के समापन सत्र में जमुई के शैलेश भारद्वाज को प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है जबकि चकाई से कृष्ण गोपाल राय को प्रांत जनजाति कार्य छात्र प्रमुख का दायत्वि दिया गया है। वहीं प्रदेश कार्यकारणी सदस्य राजीव रंजन जमुई व रूपेश भारती झाझा को दायत्वि दिया गया। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बनाए जाने के बाद शैलेश भारद्वाज ने बताया कि प्रदेश के सभी पदाधिकारी को धन्यवाद देता हूँ जो मुझे दायत्वि सौपे हैं। बताते चलें कि अभाविप से शैलेश भारद्वाज 2012 से जुड़े हैं। प्रदेश कार्यकारिणी समिति से पूर्व में नगर मंत्री नगर सह मंत्री जिला संयोजक, विभाग संयोजक, वश्विवद्यिालय संयोजक जैसे विभन्नि पदों का नर्विहन कर चुके हैं। जिला संयोजक शांतनु कुमार, कुंदन यादव ,नगर मंत्री अमन कुमार ,अर्जुन आर्य, मिथुन शाह, कॉलेज अध्यक्ष रोहित राज ,विवेक कुमार सनी ,अमित सिंह ,हरेंद्र प्रजापति ,कृष्ण कुमार गुप्ता ,श्रुति प्रभात ,प्रवेश कुमार, अखिलेश कुमार ,शुभम कुमार ,अभिनव बाजपेयी आदि ने खुशी जताई है।

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