धरी रह गई पीएम से बातचीत करने की किसानों की उम्मीदें

प्रधानमंत्री के वीडिओ कांफ्रेंस कार्यक्रम को लेकर बुधवार को सुबह नौ बजे ही जहानाबाद के करीब दो दर्जन किसान कांफ्रेंस हॉल पहुंच चुके थे। घड़ी की सुईजैसे हीं साढ़े नौ पर...

हिन्दुस्तान टीम जहानाबादThu, 21 June 2018 04:04 PM
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प्रधानमंत्री के वीडिओ कांफ्रेंस कार्यक्रम को लेकर बुधवार को सुबह नौ बजे ही जहानाबाद के करीब दो दर्जन किसान कांफ्रेंस हॉल पहुंच चुके थे। घड़ी की सुईजैसे हीं साढ़े नौ पर पहुंची। सामने टीवी स्क्रीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुखातिब होते हैं। उत्सुकता के साथ किसान प्रधानमंत्री का अभिवादन करते हैं। जहानाबाद के किसानों को सीधे संवाद की उम्मीद थी। जहानाबाद के किसानों ने प्रधानमंत्री के समक्ष समस्याओं को रखने की पूरी तैयारी की थी। इसके लिए कृषि विभाग के पदाधिकारियों द्वारा खास-खास किसानों को संवाद कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। लेकिन जिले के किसानों को प्रधानमंत्री से संवाद करने का मौका नहीं मिला। संवाद कार्यक्रम में जिले के किसानों ने सिर्फ प्रधानमंत्री की बातें सुनी। देश के अलग-अलग राज्यों के किसानों के अनुभवों से अवगत हुए। खेती से दोगुनी आय को लेकर प्रधानमंत्री किसानों को प्रोत्साहित कर रहे थे। हांलाकि जिस राज्य के किसानों से प्रधानमंत्री बातचीत कर रहे थे, वहां के किसान काफी उत्साहित थे। लेकिन जिले के किसान पूरे संवाद कार्यक्रम में चुपी साधे रहे।

बोले किसान, कार्यक्रम में सिर्फ हुआ गुणगान

प्रधानमंत्री के वीडियो क्रांफ्रेंसिंग के दौरान किसान संवाद सुनकर मुस्कुराते रहे। इस मौके पर किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की है। कई किसानों का कहना था कि कार्यक्रम में पढ़ा-पढ़ाया किसानों से बोलवाया गया है। स्थानीय किसान विश्व मोहन का कहना है कि कृषि कार्य घाटे का सबब बन गया है। कृषि का लागत खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। अन्य राज्यों के किसान जिस तरह से अपनी बातें रख रहे थे, वह धरातल से कहीं ज्यादा दूर दिख रहा था। कार्यक्रम में सिर्फ गुणगान किया गया। किसानों की समस्या पर कहीं भी बातें नहीं हुई।

संसाधन उपलब्ध नहीं, कैसे बढ़ेगी आय

संवाद कार्यक्रम में हुलासगंज तीर्रा से आए किसान गौरव राज ने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों की आय बढ़ाने की बात कह रहे हैं। जबतक किसानों को संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, खेती कार्य से बेहतर आय संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती यहां के बेरोजगारों के लिए अच्छा विकल्प है। लेकिन जिले में बढ़िया ट्रेनर नहीं हैं। सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। बाजार में सही बीज उपलब्ध नहीं है। ऐसे में किसी भी खेती में बेहतरी की उम्मीद नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में अन्य राज्यों के जितने किसानों ने अपनी बात रखी। वह सच्चाई से कोसों दूर थी।

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