शहर में बढ़े शोर का लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर -
प्रेर्शर हॉर्न के कारण लोग धड़कन व बहेरापन के हो रहे शिकार, वाहनों का प्रेशर हार्न लोगों को बहरा और चिड़चिड़ा बना रहा है। शहर में बढ़े शोर का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

प्रेर्शर हॉर्न के कारण लोग धड़कन व बहेरापन के हो रहे शिकार ट्रैफिक थाना को यह तक पता नहीं है कि शहर में कितने डेसिबल तक के हॉर्न का इस्तेमाल गाड़ियों में कर सकते हैं जहानाबाद, नगर संवाददाता। वाहनों का प्रेशर हार्न लोगों को बहरा और चिड़चिड़ा बना रहा है। शहर में बढ़े शोर का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। लोग अनिद्रा, बेचैनी तथा बहरेपन के शिकार हो रहे हैं। अधिक शोर हृदय रोग को और बढ़ा दे रहा है। ट्रक और बस के अलावा चारपहिया तथा ऑटो में भी प्रेशर हॉर्न का उपयोग हो रहा। पीछे से जब यह बजता है तो लोग बेचैनी महसूस करते हैं।
लेकिन, वाहन जांच के क्रम में प्रेशर हॉर्न पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। शहर के कई इलाकों में वाहन चेकिंग अभियान चलता रहता है। इस अभियान में मुख्य रूप से हेलमेट तथा सीट बेल्ट, कागजों की त्रुटि और चोरी के वाहन पर जांच में शामिल अधिकारियों की नजर तो रहती है, लेकिन रहवासी इलाकों के बीचो-बीच से गुजरने वालों के वाहनों से बजते कर्कश हॉर्न पर इनका ध्यान नहीं जा रहा है। इतना ही नहीं, इन तेज बजने वाले हॉर्न पर ट्रैफिक पुलिस फाइन तक लगाना मुनासिब नहीं समझती है। जबकि, नियमानुसार फाइन का प्रावधान होता है। आलम यह है कि हाल ही में खुले ट्रैफिक थाना को यह तक पता नहीं है कि शहर में कितने डेसिबल तक के हॉर्न का इस्तेमाल गाड़ियों में कर सकते हैं। ऐसे में धड़ल्ले से बड़े और छोटे वाहन तेज हॉर्न के साथ वाहनों का परिचालन करते रहते हैं। इतना ही नहीं, खराब वाहनों के इंजन भी जरूरत से ज्यादा शोर मचा रहे हैं। इसका असर आम लोगों की सेहत पर पड़ रहा है, लेकिन इस समस्या की ओर चेकिंग अभियान का ध्यान नहीं जा रहा है। तेज हार्न के कारण सबसे ज्यादा वैसे लोगों को परेशानी हो रही है, जिनका प्रतिष्ठान और घर सड़क किनारे हैं। उनके लिए यह कर्कश शोर नासूर बनता जा रहा है। इससे शहर में तेजी से ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा है। इंजन में खराबी के कारण वाहन के इंजनों से निकलनी वाली आवाज मापदंड से ऊपर चली जाती है। इससे ध्वनि प्रदूषण का खतरा बढ़ने लगता है। लगातार अधिक शोर स्वास्थ्य के लिए खतरा 90 डेसिबल तक आठ घंटे सुरक्षित 95 डेसिबल तक चार घंटे तक रह सकते हैं सुरक्षित 100 डेसिबल तक दो घंटे तक सुरक्षित रहने की क्षमा 105 डेसिबल में एक घंटे तक सुरक्षित 110 डेसिबल तक आधा घंटा ही रह सकते हैं सुरक्षित प्रेशर हॉर्न स्वास्थ्य के लिए होता है हानिकारक चिकित्सक डॉ गिरिजेश कुमार कहते हैं कि वर्तमान में कई गाड़ियों में 110 डेसीबल से अधिक हॉर्न का प्रेशर रहता है। यह लोगों के लिए हानिकारक है। खासतौर से घनी आबादी में रहने वाले इलाकों में ऐसे प्रेशर हॉर्न बजाने पर रोक होनी चाहिए। इससे हृदय रोगी सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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