धान की कटनी में यंत्रों का बढ़ने लगा प्रचलन
यंत्रों के प्रचलन बढ़ने से कटनी में आई तेजी, प्रखंड में धान की कटनी में यंत्रों का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। यंत्रों के प्रयोग बढ़ने से धान की कटनी समय पर होने लगी है।
यंत्रों के प्रचलन बढ़ने से कटनी में आई तेजी मजदूरों के बोझ हो रहे कम, मशीन से ही हो रही बुआई व कटाई मखदुमपुर, निज संवाददाता। प्रखंड में धान की कटनी में यंत्रों का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। यंत्रों के प्रयोग बढ़ने से धान की कटनी समय पर होने लगी है। पहले आमतौर पर पूरे पूस महीने तक धान की कटनी चलती थी। लेकिन हार्वेस्टर और ट्रैक्टर का प्रचलन बढ़ने से कटनी समय से काफी पहले हो जा रही है। कटनी के साथ दोनी में भी मशीनों का प्रयोग बढ़ रहा है। यंत्रों का प्रयोग बढ़ने से लोगों को सुविधा हो रही है। पहले धान काटने से लेकर बोझा ढोने पीटने ,अनाज साफ करने में मजदूरों का प्रयोग होता था। बोझा ढोने का अधिकांश काम ट्रैक्टर के माध्यम से होता है। हार्वेस्टर से धान काटने पर धोनी और सफाई दोनों साथ-साथ हो जाता है। जो किसान मजदूरों से कटवाते हैं धान उनकी दौनी भी ट्रैक्टर के माध्यम से थ्रेसर से किया जा रहा है। किसान रामनरेश शर्मा ने बताया कि धान की कटनी में 75 प्रतिशत किसान किसी न किसी रूप में मशीन का प्रयोग कर रहे हैं। इससे सबसे अधिक समय की बचत हो रही है। मजदूर खोजने के परेशानी से बचा जा सकता है। आमतौर पर इस सीजन में मजदूरों की काफी कमी हो जाती है। लेकिन एक कमी यह है कि ट्रैक्टर भाड़ा एवं अन्य भाड़ा पैसे लग जाते हैं। तो दूसरे किसान राम विनय कुमार ने बताया कि ट्रैक्टर भाड़ा लगने पर भी मजदूरी के बराबर ही खर्च आता है। मशीनों के प्रयोग से खेती करना काफी सुगम होते जा रहा है। फोटो-23 दिसंबर जेहाना-19 कैप्शन-मखदुमपुर के सेवतीं गांव में खेत से ट्रैक्टर पर लादकर धान की नेबारी ले जाते किसान।
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