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IGIMS डायरेक्टर के डॉक्टर बेटे का ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द, विवाद के बाद दिया था एम्स से इस्तीफा

पटना के डीएम ने आईजीआईएमएस के डायरेक्टर बिंदे कुमार के बेटे डॉक्टर हर्षित राज के बेटे का नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिया है।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, पटनाMon, 7 Oct 2024 10:39 PM
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पटना के डीएम चंद्रशेखर ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईजीआईएमएस) के डायरेक्टर डॉक्टर बिंदे कुमार के बेटे हर्षित राज के नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है। डॉक्टर हर्षित ने खुद ओबीसी सर्टिफिकेट को लेकर विवाद उठने के बाद डीएम को अपना प्रमाण पत्र रद्द करने के लिए आवेदन दिया था। उन पर फर्जी ओबीसी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी लेने का आरोप लगा था। विवादों में आने के बाद हर्षित राज ने पटना एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग से ट्यूटर के पद से 26 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था।

डीएम चंद्रशेखर ने सोमवार को कहा कि इस मामले में पटना सदर के सीओ से इस मामले में जानकारी मांगी गई है। इसी के बाद तय किया जाएगा कि डॉक्टर हर्षित राज को नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी सर्टिफिकेट जारी किए जाने के मामले में कोई कार्रवाई की जाए या नहीं।

बीते 10 सितंबर को डीएम ने पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल के बेटे औरोप्रकाश पाल को ओबीसी सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में भी जांच शुरू की थी। डॉक्टर गोपाल कृष्ण के बेटे ने नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी सर्टिफिकेट दिखाकर गोरखपुर एम्स के माइक्रोबायोलॉजी पीजी कोर्स में 30 अगस्त को एडमिशन लिया था। उस वक्त उनके पिता गोरखपुर एम्स के अतिरिक्त प्रभार में थे। विवाद होने पर कार्यकारी निदेशक के बेटे ने 3 सितंबर को वहां से इस्तीफा दे दिया और 3 लाख रुपये का जुर्माना भी भरा।

नियमों के मुताबिक केंद्र और राज्यों में ग्रुप ए या वर्ग एक स्तर के अधिकारियों के बेटे एवं बेटियां क्रीमी लेयर के अंर्तगत आते हैं। इस तरह वे बिहार में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकते हैं। वहीं, डॉक्टर जैसे प्रोफेशनल पदों में क्रीमी लेयर 8 लाख या उससे ज्यादा की सालाना आय वाले परिवारों पर लागू होता है। हालांकि, इसमें कृषि से होने वाली आय शामिल नहीं है।

आईजीएमएस डायरेक्टर के बेटे डॉक्टर हर्षित राज ने नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी सर्टिफिकेट के आधार पर पटना एम्स में ट्यूटर के पद पर आवेदन किया था। हालांकि, हर्षित की नियुक्ति अनारक्षित वर्ग में हुई थी। एम्स की चयन समिति ने ईडब्लूएस की सीट को अनारक्षित वर्ग में बदल दिया था। एम्स के कार्यकारी निदेशेक डॉक्टर पाल ने कहा कि 30 मई 2023 को इंटरव्यू में शॉर्टलिस्ट किए गए अभ्यर्थियों में एक भी ईडब्लूएस आवेदक नहीं था। इस कारण चयन समिति ने इस वर्ग की सीट को अनारक्षित वर्ग में बदलने का फैसला लिया था।

उन्होंने बताया कि डॉक्टर हर्षित राज ने बीते 26 सिंतबर को निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने तुरंत इस्तीफा मंजूर किया और हर्षित ने एक महीने की 1.20 लाख रुपये सैलरी (नोटिस पीरियड की) का भुगतान करके तुरंत अस्पताल छोड़ दिया।

डॉक्टर हर्षित राज ने पटना एम्स में करीब 15 महीने काम किया। जब कार्यकारी निदेशक से पूछा गया कि क्या वे हर्षित को भुगतान की गई 15 महीने की सैलरी फिर से वसूल करेंगे, तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस मामले पर डॉक्टर हर्षित और उनके पिता बिंदे कुमार से बात करने की कोशिश की गई। मगर दोनों ने फोन या मैसेज का उत्तर नहीं दिया।

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