ऐसे में कैसे हारेगा सर्वाइकल कैंसर? टीकाकरण में ढिलाई, अब तक वैक्सीन का टेंडर भी नहीं
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जल्दी वैक्सीन खरीद के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर खरीद होगी।
बिहार में किशोरियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए टीकाकरण में देर होगी, क्योंकि अब तक टीका (वैक्सीन) की खरीद के लिए टेंडर भी नहीं हो सका है। टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने से लेकर वैक्सीन की आपूर्ति होने में दो महीने से अधिक समय लग सकता है। सर्वाइकल कैंसर से बचाने वाले इस टीके को बनाने वाली कंपनियां आधा दर्जन से भी कम हैं। हालांकि टीकाकरण की औपचारिक शुरुआत स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय कर चुके हैं। नीतीश कैबिनेट से इसे मंजूरी मिल चुकी है।
विभिन्न जिलों में 9 से 14 आयुवर्ग की लगभग 95 लाख लड़कियों को मुफ्त में टीका दिया जाना है। मुख्यमंत्री बालिका कैंसर प्रतिरक्षण योजना के तहत लड़कियों के लिए ह्यूमन पेपिलोमा वायरस टीकाकरण को लगभग दो माह पहले ही राज्य कैबिनेट से स्वीकृति मिल चुकी है। वैक्सीन की दो खुराक छह महीने के अंतराल पर देना है। इस योजना पर लगभग 150 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी।
दिसम्बर तक प्रशिक्षण पूरा होगा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जल्दी वैक्सीन खरीद के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर खरीद होगी। टीकाकरण के इस अभियान को सफलतापूर्वक पूरा कराने के लिए आशा और परिचारिका सहित स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है। संभावना है दिसंबर तक विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा। टीकाकरण के लिए स्वास्थ्यकर्मी स्कूलों में जाकर 9 से 14 आयुवर्ग की लड़कियों को टीका लगाएंगे। अस्पतालों में भी टीका लगाया जाएगा।
टीकारण के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समिति (एनटीएजीआई) गठित किया है। इस समिति ने सभी राज्यों को टीका लगाने का परामर्श जारी किया है। पंजाब, सिक्किम, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पायलट प्रोजेक्ट के तहत टीका लगाए जा चुके हैं जबकि बिहार में मंत्री द्वारा टीकाकरण अभियान की शुरुआत की जा चुकी है।