डिप्टी आर्मी चीफ रहे एसके सिंह जैसे ‘सही कैंडिडेट’ को तरारी में लड़ाने से कैसे चूक गए प्रशांत किशोर?
- बिहार विधानसभा के उपचुनाव में तरारी सीट पर भाजपा और भाकपा-माले की लड़ाई में पूर्व उप सेना प्रमुख एसके सिंह जैसा ‘सही कैंडिडेट’ खोजकर भी प्रशांत किशोर उनको लड़ाने से चूक गए। जन सुराज पार्टी अब मंगलवार को आरा में नए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगी।
“आप सही कैंडिडेट चुन लीजिए, लड़ाने और जिताने की जिम्मेदारी अपने भाई पर छोड़ दीजिए”। चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर अपनी सभाओं में लगातार ये बात कहते रहे हैं। भोजपुर जिले और आरा लोकसभा के अंदर आने वाली तरारी विधानसभा सीट के उपचुनाव में वो अपनी जन सुराज पार्टी के लिए एक सही कैंडिडेट खोजकर लाए। भारतीय सेना के पूर्व उप सेना प्रमुख रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जेनरल श्रीकृष्ण सिंह उर्फ एसके सिंह। उम्मीदवार आरा का रहने वाला हो, पूर्व डिप्टी आर्मी चीफ रहा हो, प्रशांत किशोर के पैमाने पर जन सुराज के लिए इससे अच्छा तो कोई कैंडिडेट हो ही नहीं सकता था।
एसके सिंह तैयार हो गए तो आगे का काम प्रशांत किशोर का था जो हर जगह कहते रहे कि चुनाव लड़ने, लड़ाने और जिताने का काम उन पर छोड़ दिया जाए। लेकिन बड़ी पार्टियों और नेताओं के लिए चुनावी रणनीति और प्रबंधन देख चुके प्रशांत किशोर अपनी ही पार्टी के कैंडिडेट को चुनने में बड़ी चूक कर गए। इतनी बड़ी चूक कि 16 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर एसके सिंह के नाम की घोषणा कर दी गई। एसके सिंह ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया। प्रशांत किशोर और जन सुराज पार्टी को इतना सब हो जाने के बाद समझ में आया कि एसके सिंह तो तरारी से चुनाव ही नहीं लड़ सकते हैं।
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चर्चा है कि एसके सिंह रिटायरमेंट के बाद दिल्ली-एनसीआर में रहते थे और वहीं के मतदाता हैं। चुनाव आयोग का नियम कहता है कि लोकसभा के चुनाव में तो एक राज्य का वोटर दूसरे राज्य से इलेक्शन लड़ सकता है लेकिन विधानसभा चुनाव में कैंडिडेट का कम से कम उस राज्य का वोटर होना अनिवार्य है। चूंकि एसके सिंह बिहार के वोटर नहीं हैं तो तरारी से चुनाव नहीं लड़ सकते।
एसके सिंह को टिकट देने से पहले पीके की जन सुराज टीम ने बैकग्राउंड चेक नहीं किया?
प्रशांत किशोर चुनाव लड़ने और लड़ाने के प्रोफेशनल खिलाड़ी हैं। कौन सा चुनाव, कौन कैंडिडेट लड़ सकता है और कौन नहीं, ये उनकी टीम के इंटर्न को भी पता होता है। फिर पूर्व डिप्टी आर्मी चीफ एसके सिंह जैसे बड़े कैंडिडेट का नाम फाइनल और घोषित करने से पहले जो बेसिक काम था, वो पेपर चेक करने में चूक कैसे हो गई।
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प्रशांत किशोर ने एसके सिंह को आगे करके एक मॉडल सामने रखा था और ये नैरेटिव बनाया था कि जन सुराज के पास अच्छे और सही कैंडिडेट हैं। लेकिन सही कैंडिडेट खोजकर भी बिहार की मतदाता सूची में सही समय पर उसका नाम दर्ज नहीं करवा पाने की जवाबदेही कौन लेगा। वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना एक सामान्य और सतत प्रक्रिया है। ये कोई बड़ा काम नहीं है लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद अब कुछ किया नहीं जा सकता।
एसके सिंह के बारे में कहा जाता है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर पीएम कैंडिडेट 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का नेतृत्व कर रहे थे, तब राजनाथ सिंह ने उन्हें आरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था। एसके सिंह के मना करने के बाद ही भाजपा ने देश के पूर्व गृह सचिव आरके सिंह को लड़ाया जो लगातार दो बार जीते और केंद्र में लगातार मंत्री बने।
नवंबर 2024 में सेटल, 2025 में मुकम्मल; जन सुराज पार्टी लड़ेगी उपचुनाव, प्रशांत किशोर का ऐलान
प्रशांत किशोर भले दो साल से बिहार की पदयात्रा कर रहे हों लेकिन उनका दल जन सुराज पार्टी इसी महीने 2 अक्टूबर को बना है। प्रशांत किशोर पहले 2025 के विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे थे और लग रहा था कि वो उपचुनाव जैसी चीजों में नहीं फंसेंगे। इससे जलवा और बुलबुला बना रहता। लेकिन पार्टी की घोषणा के दौरान जोश में आ गए प्रशांत किशोर ने कह दिया कि पार्टी नवंबर में चार सीटों का उपचुनाव लडे़गी और नवंबर 2024 में ही सेटल करके 2025 के चुनाव में सबको मुकम्मल कर देगी।
क्या उपचुनाव लड़ने की घोषणा करके प्रेशर में आ गए हैं प्रशांत किशोर?
तरारी में एसके सिंह को कैंडिडेट बनाने में जो चूक हुई, उससे इस आशंका को बल मिल रहा है कि प्रशांत ने अधूरी तैयारियों के साथ उपचुनाव में कूदने की घोषणा कर दी और अब कैंडिडेट खोज रहे हैं। बिना बैकग्राउंड देखे हड़बड़ी में एसके सिंह के नाम का ऐलान प्रशांत किशोर के चुनाव कौशल पर एक गंभीर सवाल बन गया है और किसी भी तरह लड़ने और जीतने की उनकी बेचैनी को दर्शाता है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में जीतने का दम या वोट बिगाड़ने का? उपचुनाव से बिहार को पता चलेगा
बिहार में उपचुनाव वाली चार सीटें तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज में 18 अक्टूबर से ही नामांकन चालू है और इस शुक्रवार 25 अक्टूबर को नॉमिनेशन बंद हो जाएगा। 13 नवंबर को वोट है और 23 नवंबर को नतीजे। जन सुराज पार्टी ने कहा है कि वो मंगलवार को आरा में नए कैंडिडेट के नाम की घोषणा करेगी। जाहिर है कि जन सुराज पार्टी के नए कैंडिडेट के पास अब नामांकन के बाद विधानसभा क्षेत्र में घूमने, प्रचार करने और वोट मांगने के लिए 22 दिन बचे होंगे।