शब-ए-बारात पर की कब्रों की साफ सफाई, अपने पूर्वजों को किया याद
गोरौल। संवाद सूत्र शब-ए-बारात पर की कब्रों की साफ सफाई, अपने पूर्वजों को किया यादशब-ए-बारात पर की कब्रों की साफ सफाई, अपने पूर्वजों को किया यादशब-ए-बारात पर की कब्रों की साफ सफाई, अपने पूर्वजों को...
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गोरौल। संवाद सूत्र गुरुवार की शाम से लेकर शुक्रवार के दिन निकलने से पहले तक शब-ए-बारात का पर्व मुस्लिम भाइयों द्वारा मनाया गया। इस रात में मस्जिदों व घरों में खुदा की इबादत की गई। मुस्लिमों ने अपनी-अपनी बिरादरी के कब्रिस्तानों में अपने अपने मृतकों की कब्रों की साफ सफाई के साथ मोमबतियां जलाई एवं खुश्बू के लिये अगरबती भी जलाकर खुदा से उनकी मग्फिरत की दुआयें की। इसके बाद अर्धरात्री में सेहरी खाकर रोजा रखने की नियत कर रोजा रखा गया। उसके बाद शुक्रवार को अहले सुबह फर्ज की नमाज अता की। इससे पूर्व गोरौल, हरशेर, मानपुरा, इनायतनगर, भिखनपुरा, गुलजारबाग, आदमपुर, हुसेना, बेलवर सहित अन्य गांवों में मस्जिद के मौलानाओं के अलावे जाहिद बारसी, मो इरशाद अहमद, मो अंसार अहमद , तरन्नुम परवीन सहित अन्य मुस्लिम भाइयों ने शब-ए-बारात पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शब-ए-बारात की रात तमाम रातों में अव्वल रात होती है। इस रात में खुदा की जितनी भी इबादत की जाये वो कम है। अल्लाह को तन्हाई की इबादत ज्यादा पसंद है लेकिन इस रात को हम लोगों ने किसी और मकसद की रात बना लिया है। हालांकि अल्लाह जानता है कि मेरा बंदा क्या कर रहा है लेकिन फिर भी वे फरिश्तों से पूछते हैं कि मेरा बंदा क्या कर रहा है तो जब फरिश्ते कहते हैं कि वो आपकी इबादत कर रहा है तो वे बहुत खुश होते हैं। अल्लाह पाक कहते हैं कि आज शब-ए-बारात की रात पर है कोई मांगने वाला ताकि मैं उसको दूं। है कोई बेरोजगार जिसको मैं रोजगार दूं, है कोई औलाद मांगने वाला जिसको में औलाद दूं, है कोई बंदा आज की रात जो अपनी बख्शीश कराये और मै उसकी बख्शीश करुं। मौलाना मुस्ताक ने कहा कि शब-ए-बरात की रात अल्लाह से माफी मांग लो ताकि वो तुम्हारी मग्फिरत कर दे। उन्होनें कहा कि हम इस रात में पटाखे छोड़ते हैं हुडदंग करते हैं, ये सब हराम है। इस्लाम धर्म जिस चीज को करने से मना कर रहा है उसे मत करो। किसी को आपकी इबादत से अगर तकलीफ पहुंच रही है तो वो इबादत नहीं बल्कि दूसरों को बिना वजह परेशान करने वाली बात है। ऐसी इबादत से बचो जिस इबादत से किसी को परेशानी होती हो । उन्होनें कहा कि हर ईद बकरीद व शब ए बारात पर हम कब्रिस्तान जाते हैं। कब्रिस्तानों मे कब्रों की सजावट करते हैं , उनको चिन्हित करते हैं अगरबत्ती जलाते हैं सजदा करते हैं, रोशनी या दिया जलाते हैं, इन सब के अलावे जो करना चाहिये वो नहीं करते। इसका असली महत्त्व है कि हम पूरी रात इबादत कर फर्ज की नमाज को जमाअत के साथ पढें, तभी जाकर शबे ए बारात मनाने से फायदा मिलेगा।
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