जिले में कोरोना संकट के बीच एईएस से जंग की तैयारी शुरू
मुजफ्फरपुर में संदिग्ध केस मिलने पर सदर अस्पताल में 10 बेड का पीकू वार्ड बनाया...
पड़ोसी जिला मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का संदिग्ध केस मिलने सामने आने के बाद जिले में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। एईएस (चमकी बुखार) के संभावित खतरे को देखते हुए जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को पहले से अलर्ट पर हैं। हालांकि कोरोना महामारी के कारण एईएस के रोकथाम व जागरूकता कार्यक्रम प्रभावित हुआ है। अच्छी बात यह है कि अभी जिले के किसी प्रखंड से एईएस का मामला सामने नहीं आया है।
स्वास्थ्य विभाग के जिला वेक्टर बॉर्न डिजिज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि जिले एईएस के निपटने के लिए सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर ली गई है। डॉ. सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी प्रखंडों में खासकर एईएस के प्रभावित भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र में एईएस के बचाव की जानकारी के लिए जागरूकता से संबंधित हैंडबिल का वितरण कराया गया है। आरबीएस के चिकित्सकों की टीम सप्ताह में दो दिन क्षेत्र भ्रमण के दौरान गांव में जागरूकता को लेकर लोगों के बीच गोष्ठी व बीमार बच्चे का स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं। इस दौरान कहीं से कोई एईएस का केस नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में दो-दो बेड एईएस के संभावित मरीजों के लिए सुरक्षित रखा गया है। अस्पतालों में सभी प्रकार की आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित किया गया है। अगर किसी बच्चे में एईएस के लक्षण पाए जाएंगे तो पीएचसी स्तर पर बच्चे का प्राथमिक उपचार किया जाएगा।
जीएनएम व शिशु रोग विशेषज्ञ को दिया गया प्रशिक्षण
उपचार से स्वास्थ्य में सुधार होने पर पूरी इलाज पीएचसी में और नहीं होने पर सदर अस्पताल में रेफर करने का निर्देश दिया जाएगा। जिला वेक्टर बॉर्न डिजिज नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि सदर अस्पताल में 10 बेड का पीड्रियाटिक इंसेंटिव केयर यूनिट (पीकू) चालू है। पीकू में लगाए गए वेंटिलेटर को संचालित करने के लिए जीएनएम व शिशु रोग विशेषज्ञ को प्रशिक्षण दिया गया है। सदर अस्पताल के उपचार के बावजूद एईएस पीड़ित बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार न होने पर तुरंत पीएमसीएच रेफर कर दिया जाएगा। इसके लिए सरकारी एम्बुलेंस 24 घंटे उपलब्ध रखने की व्यवस्था की गई है।
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