काष्ठ शिल्पी समाज के लिए विश्वकर्मा शेड का निर्माण हो
वैशाली जिले के काष्ठ शिल्पी समाज ने विश्वकर्मा शेड बनाने और आसान किस्तों पर लोन की मांग की है। उनका पारंपरिक व्यवसाय लकड़ी से बनी सामग्री का निर्माण धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। कच्चे माल की कमी और...
बोले हाजीपुर : काष्ठ शिल्पी समाज के लिए विश्वकर्मा शेड का निर्माण हो समुचित ट्रेनिंग मिले, आसान किस्तों पर और सहूलियत से लोन यदि मिले तो हमलोगों की जिंदगी की गाड़ी भी रफ्तार पकड़ सकेगी। यह कहना है कि वैशाली जिले में काष्ठ शिल्पी यानी बढ़ई के काम से जुड़े लोगों का। लोहार समाज की संख्या की जिले में अच्छी खासी संख्या है। परंपरागत काम लकड़ी से बनी सामग्री का निर्माण और व्यवसाय अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है। इनलोगों की मांग है कि इनके लिए विश्वकर्मा शेड बने और बिजली मुफ्त में दी जाए।
वैशाली जिले में काष्ठ शिल्पी यानी बढ़ई लोहार समाज के लोगों का परंपरागत काम लकड़ी से बनी सामग्री का निर्माण और बिक्री ही है। जिले के लालगंज क्षेत्र में बने लकड़ी के सामान की मांग तो जिला ही नहीं, राज्यभर में होती थी। हालांकि अब लालगंज में भी यह व्यवसाय सिमटने लगा है। लकड़ी के व्यवसाय में अब पहले वैली बात नहीं भी नहीं है। घरेलू स्तर पर भी मांग रहने पर निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। कुछ को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश इस समाज के लोग मजदूरी करके अपनी आजीविका चला रहे हैं। कहते हैं कि वर्तमान युग में इस पेशे में कई अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती कच्चे माल यानि लकड़ी के उपलब्ध होने की है। समय के बदलते स्वरूप के साथ प्रशिक्षण काफी जरूरी है। प्रशिक्षण के अभाव में ब्याज मुक्त लोन नहीं होने के कारण आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का मौका नहीं मिल पाता है। ब्याज मुक्त लोन भी तो हमलोगों के लिए नहीं है।
वैश्वीकरण के दौर में रोजी रोजगार के लिए किसी और पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगी, क्योंकि हमारे हाथ के हुनर है। सरकारी योजनाओं का लाभ हमे मिले और और सब्सिडी दी जाए तो हमलोगों का लकड़ी का कारोबार काफी तेजी से आगे बढ़ेगा। वे कहते हैं कि लोहार समाज को आरक्षण भी नहीं दिया जा रहा है। इस बार चुनाव में हमलोगों की बड़ी मांग यह भी है। हमलोगों की संख्या में पूरे सूबे में 40 लाख के आसपास है। लोहार समाज संविधान के अनुसूची क्रमांक 22 पर किस श्रेणी में 1956 से लेकर 1976 तक एसटी में सम्मिलित थी, लेकिन वर्तमान परिवेश में लोहार और लोहारा करके अनुसूची से बाहर कर दिया गया। जिले में लौह-काष्ठ शिल्पी अब भी पिछड़ेपन के शिकार हैं। उक्त समाज के लोगों का परंपरागत हथियार ही अभी काम कर रहा है। जैसे बंसुला, रुखानी, आरी, टांगी समेत अन्य उपकरण से ही काम चल रहा है। बैंक में आने वाली कठिनाइयां भी कम नहीं है।
सरकार की नीतियां हीं कर रही प्रताड़ित
फर्नीचर की दुकान चलाने वाला व्यवसाई दुकान सालों भर चलती रहे इसलिए अधिक ब्याज दर पर कर्ज लेने को मजबूर है। इस अतिरिक्त ब्याज दर के कारण वह सालोंभर कर्ज में ही रहता है। वर्तमान में लगन का मौसम है, यदि हमारे पास पूंजी नहीं होगी तो कैसे हम लकड़ के फर्नीचर, बेड, दिवान, डायनिंग टेबल आदि बनाकर रखेंगे। हर कस्टमर एडवांस देकर काम का ऑडर्र देने नहीं आते,कई तत्काल माल खरीदना चाहते हैं, ऐसे में हमारे पास स्टॉक का होना जरूरी है। अर्जुन शर्मा कहते हैं कि सरकार लोहार जाति की अवहेलना कर रही है। अगर किसी के पास फर्नीचर की दुकान भी है तो उसे बैंक प्रशासन, वन विभाग टैक्स की ओर से प्रताड़ित किया जा रहा है। करोना काल के पहले स्थिति ज्यादा खराब नहीं थी। उसके बाद जो फर्नीचर का व्यवसाय बंद हुआ, किसी के ऊपर बैंक का कर्ज बढ़ गया तो किसी को दुकान बंद कर संपत्ति नीलाम पर चढ़ा दी गई। सरकार की ओर से ऐसे लोगों को कोई नदद नहीं मली।
सुझाव
1. काष्ठ शिल्पी विकास परिषद की स्थापना की जाए, जिससे समाज के लोगों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को सुदृढ़ किया जा सके।
2 . हाथों के मेहनत के बदौलत काम करने वाले दुकानदारों को उनके पूंजी के लिए ब्याज मुक्त दो लाख का ऋण सरकार को उपलब्ध कराना चाहिए।
3 . लकड़ी से बने फर्नीचर को बाजार देने के साथ ही विश्वकर्मा शेड का निर्माण कराया जाए एवं बिजली फ्री करने का प्रावधान किया जाए।
4. स्कूल,कॉलेज एवं कार्यालय में लकड़ी लोहा निर्मित फर्नीचर और बेंच डेस्क का सरकारी क्रय दर पर बढ़ई लोहार प्रतिष्ठान से ही खरीदा जाए।
5. कर्मियों को श्रम विभाग के कल्याण बोर्ड की योजना का कैंप लगाकर पंजीयन कराया जाए।
शिकायतें
1. काष्ठ शिल्पी विकास निगम की स्थापना अब तक नहीं की गई है। जिस कारण काष्ठ शिल्पकारों को सरकारी सुविधओं का लाभ नहीं मिल पाता है।
2. पीएम विश्वकर्मा के तहत मिलने वाली लोन पर सब्सिडी नहीं है। जिस कारण बढ़ई समाज के लोगों को इसका ज्यादा फायदा नहीं होता है।
3. सरकार द्वारा बढ़ई समाज के लोगों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने को लेकर चलाई जाने वाली योजनाओं की जानकारी नहीं दी जाती है
4. कच्चा माल समय पर नहीं मिलने के कारण भी व्यवसाय प्रभावित हो रहा है साथ ही वहीं सामग्री पर भी कोई सब्सिडी नहीं दी जाती।
5. मेहनत के अनुसार मजदूरी नहीं मिलती है। परिवार और बच्चों का पालन व पोषण करने में समस्या का सामना करना पड़ता है महंगाई है।
उभरा दर्द
पीएम विश्वकर्मा के तहत मिलने वाले लोन पर सब्सिडी नहीं मिलने से बढ़ रही है समस्याएं। जिनके नाम पर विश्वकर्मा योजना की शुरूआत की गई है। आज वही लोग इस आर्थिक लाभ को लेने से वंचित हो जा रहे हैं। इसके कारण हमारी परेशानी काफी बढ़ जाती है। - नीलेश कुमार शर्मा
बढ़ई व लोहार समाज को सब दिन काम नहीं मिलता है। हमारा भी परिवार है हमारे भी कई प्रकार के खर्चे हैं। कठिनाइयों में जी रहे परिवार के बच्चों को हम अच्छी शिक्षा तक नहीं दिलवा पा रहे हैं। बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने में समस्याएं आती हैं। - दिलीप कुमार
महंगाई के समय में व्यवसाय नहीं होने के कारण सब दिन काम नहीं मिलता है। उच्च शिक्षा के लिए आगे का पढ़ाई का महौल देने के लिए प्रयासरत रहना पड़ता है। आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है बच्चों की पढ़ाई भी छूट जाती है। - लक्ष्मीकांत शर्मा
वर्तमान परिवेश में जो लोहार मजदूरी का काम कर रहा है। वह जीवन भर मजदूरी करने के बाद भी बेवश और लाचार नजर आता है। जैसे बढ़ई समाज के लोग काफी मेहनती होते हैं, लेकिन दिनभर श्रम करने के बाद भी कीमत नहीं मिलने से बढ़ रही मंहगाई में परिवार चलाने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है - वैद्यनाथ शर्मा
बढ़ई समाज के लोग आर्थिक तंगी के कारण अत्याधुनिक उपकरण खरीदने में असहज महसूस करते हैं। यदि हमलोगों को सहायता के रूप में लोन और सब्सिडी मिले तो हमारे समाज के लोग भी आधुनिक उपकरण खरीदकर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते है। -विवेक शर्मा
बढ़ई और लोहार समाज के लोग बैंक से लोन नहीं मिलने के कारण आज भी बंधुआ मजदूर की तरह मेहनत कर जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं। कम ब्याज दर पर लोन देकर मुख्य धारा में लाने का प्रयास करें।
- केसी शर्मा
सूखी लकड़ी समय पर नहीं मिलने के कारण भी व्यवसाय पर इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। वहीं समग्री पर भी किसी प्रकार की सब्सिडी नहीं दी जाती है। ऐसे में लकड़ी से बनने वाली समाग्री की कीमत अधिक होती है। - कृष्णा शर्मा
सभी काठकर्मियों को बिहार भवन एवं सनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में निबंधित कराने के लिए कैंप का आयोजन करना चाहिए। योजना को लेकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि लाभ मिल सके।
- देवेंद्र कुमार
व्यवसाय को बढ़ाने के लिए लोन नहीं मिलने से परेशानी बढ़ जाती है। मजबूरी में हमें बाहर से महंगे ब्याज दर पर लोन लेकर व्यवसाय को आगे बढ़ाना पड़ता है। इसके बाद शुरू होती है जंग। उस ब्याज को चुकाने में ही पूरा दम निकल जाता है। - राजेश शर्मा
वैश्वीकरण और आधुनिकता के दौर में भी हमलोग पिछड़े हुए हैं। बच्चों को उच्च शिक्षा देना चाहते हैं लेकिन आर्थिक समस्या आड़े है। पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन बैंक लोन तक की व्यवस्था नहीं है। बिना रुपए के कैसे कोई आगे बढ़े। लकड़ी कटाई में कई बार वन विभाग और पुलिस परेशान करती है। हमें योजनाओं की जानकारी मिलनी चाहिए ताकि लाभ मिल सके। - अजीत कुमार
फर्नीचर उद्योग को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इससे कारोबारियों को अपना व्यवसाय बढ़ाने का उचित मौका नहीं मिलता है। ऐसे में करोबारियों को सरकारी योजना का लाभ मिलना चाहिए। परिणाम स्वरूप परेशानी दूर हो पाएगी। - प्रमोद शर्मा
सुविधायुक्त प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की जाने से राहत का सांस लेंगे हमलोग। समाज के युवा वर्ग अपने हुनर को चमका कर अपने परंपरागत व्यवसाय को आगे बढ़ा सकेगा। इसके साथ ही आर्थिक उत्थान हो सके। - सत्येनंद्र शर्मा
फर्नीचर उद्योग को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इससे कारोबारियों को अपना व्यवसाय बढ़ाने का उचित मौका नहीं मिलता है। ऐसे में करोबारियों को सरकारी योजना का लाभ मिलना चाहिए। परिणाम स्वरूप परेशानी दूर हो पाएगी। - प्रमोद शर्मा
प्रस्तुति :- विवेकानंद
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