संस्कार से दुर्जन के घर भी संत पैदा होते हैं : विजय लक्ष्मी
संस्कार से दुर्जन के घर भी संत पैदा हो जाते हैं। संस्कार में बड़ी शक्ति होती है। संस्कार परिवार से मिलती हैं। यह खरीदने से नहीं...
संस्कार से दुर्जन के घर भी संत पैदा हो जाते हैं। संस्कार में बड़ी शक्ति होती है। संस्कार परिवार से मिलती हैं। यह खरीदने से नहीं मिलती। ये बातें कटेया प्रखंड के जयसौली में चल रहे अति विष्णु महायज्ञ में प्रवचन करते हुए मानस कोकिला पंडित विजय लक्ष्मी शुक्ला ने कही। उन्होंने संस्कार शब्द का शाब्दिक अर्थ बताते हुए कहा कि संस्कार का अर्थ शुद्धिकरण होता है। जब जीवात्मा एक शरीर को छोड़ कर दूसरे शरीर को धारण कर लेता हैं, तब पूर्व जन्म का संस्कार और प्रभाव उसके अन्दर आ जाता है। संस्कार की उत्पत्ति परिवार से होती है। इसके लिए स्त्रियां सर्वोच्च शक्ति होती है। आज धन के लोभी लोगों के द्वारा नारी शक्ति का अपमान किया जा रहा है। लेकिन नारी सनातन संस्कृति को मजबूत करने का काम करती है। उन्होंने कहा कि नारी इन चारों के सम्मान में अपना संपूर्ण जीवन गंवा देती है। पिता,पति, पुत्र एवं समाज के प्रति आदर की भावना रखती है। लेकिन अगर मर्यादा से हट जाए तो पिता ,पुत्र एवं पति की हत्या भी हो जाती है। इसलिए उचित होगा कि नारियां भी अपने संस्कार का त्याग न करें। बच्चा भले ही बुरे प्रभाव को लेकर नए जीवन में प्रवेश करता है । श्रीमती शुक्ला ने कहा कि ज्ञानी में प्रेम ना हो तो परमात्मा का दर्शन कभी नहीं हो सकता है। परमात्मा को बुलाने के लिए प्रेम आवश्यक है। ध्यानी एवं ज्ञानी होना जरूरी नहीं प्रेम के वशीभूत होकर भगवान कौशल्या के गोद में खेले। ज्ञानी को ज्ञान का अहंकार नहीं प्रेम करना चाहिए। क्योंकि ज्ञान के साथ जब प्रेम होता है तभी ज्ञानी परिपूर्ण होता है। आयोजित महायज्ञ संत शिरोमणि श्री विश्वम्भर दास जी महाराज के पावन सानिध्य में आचार्य डॉक्टर वीरेंद्र शुक्ला के देखरेख में संचालित हो रहा है। महायज्ञ में मथुरा की सुप्रसिद्ध रासलीला मंडली श्री राधा सर्वेश्वर रास मंडल के कलाकारों के द्वारा प्रतिदिन भगवान की लीलाओं का मंचन किया जा रहा है। महायज्ञ की पूर्णाहुति 15 मार्च को की जाएगी ।
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