रामचरितमानस से बड़ा कोई ग्रंथ नही : विजय लक्ष्मी

रामचरितमानस सबसे बड़ा ग्रंथ है। इसकी प्रत्येक चौपाईयां और दोहे अपने आप में एक रहस्य है। केवल रामचरितमानस का अध्ययन करने मात्र से ही व्यक्ति के विचारों में परिवर्तन होने लगता...

हिन्दुस्तान टीम गोपालगंजWed, 14 March 2018 07:13 PM
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रामचरितमानस सबसे बड़ा ग्रंथ है। इसकी प्रत्येक चौपाईयां और दोहे अपने आप में एक रहस्य है। केवल रामचरितमानस का अध्ययन करने मात्र से ही व्यक्ति के विचारों में परिवर्तन होने लगता है। ये बातें प्रखंड के जयसौली में आयोजित अति विष्णु महायज्ञ में प्रवचन करते हुए श्रीमती विजय लक्ष्मी ने कही। महायज्ञ के अंतिम प्रवचन में उन्होंने कहा कि आप रामचरितमानस का जरूर अध्ययन करें। यह ग्रंथ अद्भुत व अकल्पनीय है। इस ग्रंथ के अध्ययन से पुरा परिवार मर्यादा में बंधता जाएगा। उन्होंने श्रीराम के अयोध्या से लौटने के समय का वर्णन करते हुए कहा कि जब प्रभु के लौटने का समय आया तो उन्होंने अग्नि देव से सीता को लौटाने का आग्रह किया। अग्नि देव को सीता को लौटाने में पुत्री विदाई करने का आभास होने लगा। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। प्रभु ने हाथ जोड़ कर उन्हें प्रणाम किया। वे इतने मर्यादित थे कि अयोध्या में एक रजक के कहने से सीता का त्याग कर दिया। वे अपने राज्य का भ्रमण कर रहे थे कि एक रजक का कथन उन्हे मर्माहत कर दिया। प्रभु ने अपनी प्रिय पत्नी सीता का त्याग कर दिया। वे अपने कष्ट का सहन कर लेते थे परंतु दूसरों का कष्ट नही देखना चाहते। महायज्ञ का पुर्णाहुति गुरुवार को होगा।

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