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राजस्व व पंचायत कर्मियों की हड़ताल से नहीं बन रहा प्रमाणपत्र

थमा सरकारी कामकाज का पहिया, विकास योजनाओं पर पड़ रहा प्रतिकूल असरए 400 से अधिक ऑनलाइन आवेदन सत्यापन नहीं होने से सभी आवेदन लंबित, किसी को नहीं मिल पा रहा प्रमाण पत्र कुचायकोट। एक संवाददाता राजस्व...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोपालगंजWed, 7 May 2025 09:57 PM
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राजस्व व पंचायत कर्मियों की हड़ताल से नहीं बन रहा प्रमाणपत्र

थमा सरकारी कामकाज का पहिया, विकास योजनाओं पर पड़ रहा प्रतिकूल असर 9 सूत्री मांगों को लेकर 2 मई से है पंचायत सचिव संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर 17 सूत्री मांगों को लेकर राजस्व कर्मचारी संघ भी चला गया सामूहिक अवकाश पर बुधवार को अंचल कार्यालय में प्रमाणपत्रों के लिए आए 400 से अधिक ऑनलाइन आवेदन सत्यापन नहीं होने से सभी आवेदन लंबित, किसी को नहीं मिल पा रहा प्रमाण पत्र कुचायकोट। एक संवाददाता राजस्व कर्मी और पंचायत सचिवों के अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले जाने से कुचायकोट अंचल में प्रशासनिक कार्यों की रफ्तार थम-सी गई है। एक ओर जहां पंचायत स्तर पर विकास योजनाएं पूरी तरह ठप हैं, वहीं छात्र-छात्राओं और बेरोजगार युवाओं को आवश्यक प्रमाणपत्र हासिल करने में परेशानी हो रही है।

राजस्व कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष रमेश चौधरी और सचिव शफीक अहमद ने बताया कि राज्यस्तरीय आह्वान पर 17 सूत्री मांगों को लेकर बुधवार से कर्मी सामूहिक अवकाश पर हैं। इधर, पंचायत सचिव संघ भी अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर 2 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। संघ के जिलाध्यक्ष ललन कुमार साह ने स्पष्ट कहा है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आरटीपीएस काउंटरों पर सन्नाटा हड़ताल के चलते आरटीपीएस काउंटरों पर पूरी तरह सन्नाटा छा गया है। बुधवार को स्थानीय अंचल कार्यालय में 400 से अधिक प्रमाणपत्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन किए गए, लेकिन सत्यापन नहीं होने से सभी आवेदन लंबित हैं। संगवाडीह के राजू भगत, सिरिसिया बाजार के खालिद कलाम और स्थानीय बाजार के रौशन कुमार जैसे कई युवाओं ने बताया कि समय पर प्रमाणपत्र नहीं बनने से वे नामांकन और नौकरी के अवसर से वंचित हो सकते हैं। ठप पड़े पंचायत स्तर के कार्य पंचायत सचिवों की हड़ताल का सीधा असर ग्राम स्तर पर दिख रहा है। विकास योजनाओं के अलावा राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं पूरी तरह बाधित हैं। कई पंचायतों में लोग रोजमर्रा के जरूरी कामों के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। वर्जन स्थिति को देखते हुए दो संविदा आधारित राजस्व कर्मियों के माध्यम से सीमित वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। हालांकि, आवेदनों की संख्या और कार्यभार के अनुपात में यह व्यवस्था फिलहाल अपर्याप्त साबित हो रही है। मणिभूषण, अंचलाधिकारी कुचायकोट

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