जिले के किसानों को जल्द मिलेगी प्याज भंडारण योजना का लाभ
‘बोले गोपालगंज का असर के बोले गोपालगंज अभियान के तहत विगत 5 मई को ‘कोल्ड स्टोरेज की सुविधा हो तो बढ़ेगी प्याज उत्पादक किसानों की आमदनी शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट का असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है।...

‘बोले गोपालगंज का असर जिला उद्यान पदाधिकारी बोले- राज्य मुख्यालय को भेजा गया प्रस्ताव प्रदेश के 23 जिलों में पहले से चल रही यह योजना, गोपालगंज था वंचित किसानों को फसल खराब होने और घाटे में बिक्री की समस्या से मिलेगी राहत गोपालगंज। नगर संवाददाता आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान के बोले गोपालगंज अभियान के तहत विगत 5 मई को ‘कोल्ड स्टोरेज की सुविधा हो तो बढ़ेगी प्याज उत्पादक किसानों की आमदनी शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट का असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। वर्षों से प्याज की उपज के बाद भंडारण की कमी से परेशान किसानों के लिए यह राहत की खबर है।
जिला उद्यान विभाग ने इस दिशा में पहल तेज कर दी है। गोपालगंज को प्याज भंडारण योजना में शामिल करने के लिए राज्य मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है। जिला उद्यान पदाधिकारी आकाश कुमार ने बताया कि बिहार के 23 जिलों में पहले से प्याज भंडारण योजना चल रही है। लेकिन, गोपालगंज इस योजना से वंचित था। ‘बोले गोपालगंज में जब इस विषय को किसानों की आवाज बनाकर उठाया गया तो प्रशासन ने त्वरित संज्ञान लिया और राज्य मुख्यालय को प्रस्ताव बना कर भेजा गया। अब उम्मीद है कि जल्द ही जिले के किसानों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि यदि योजना स्वीकृत होती है, तो किसानों को फसल खराब होने और घाटे में बिक्री की समस्या से राहत मिलेगी। साथ ही उन्हें अपनी उपज बेहतर दाम पर बेचने का अवसर मिलेगा। प्रति बोरिंग मिल रहा 40 हजार रुपए अनुदान इधर, पंचदेवरी प्रखंड के उद्यान पदाधिकारी सतीश कुमार राय ने बताया कि कृषि को लाभकारी बनाने के लिए किसानों को कई योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। सिंचाई के लिए प्रति बोरिंग 40 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा। जिससे किसान निजी ट्यूबवेल लगा सकें। इसके अलावा सर्टिफाइड बीज खरीदने पर किसानों को प्रति किलो 900 रुपए तक की सब्सिडी देने की योजना है। ताकि गुणवत्तापूर्ण फसल तैयार हो सके। फसल का बीमा जरूर कराएं किसान उन्होंने कहा कि किसानों को नुकसान से बचने के लिए अपनी फसल का बीमा अनिवार्य रूप से कराना चाहिए। एक छोटी-सी राशि उनकी बड़ी मदद कर सकती है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए यह बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार 33 प्रतिशत नुकसान को ही फसल क्षति मानती है। ऐसे में फसल बीमा बेहतर विकल्प है। इसके लिए विभाग की ओर से किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
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