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रोजमर्रा की चीजों पर कम हो जीएसटी का दर,इनकम टैक्स स्लैब में हो वृद्धि

बजट उम्मीदें आगामी एक फरवरी को संसद में पेश होनेवाले देश के आम बजट से जिले के व्यवसायियों को भी काफी उम्मीदें हैं।

Newswrap हिन्दुस्तान, गोपालगंजThu, 30 Jan 2025 11:25 PM
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रोजमर्रा की चीजों पर कम हो जीएसटी का दर,इनकम टैक्स स्लैब में हो वृद्धि

बजट उम्मीदें गोपालगंज, हिन्दुस्तान संवाददाता। आगामी एक फरवरी को संसद में पेश होनेवाले देश के आम बजट से जिले के व्यवसायियों को भी काफी उम्मीदें हैं। जिले के व्यवसायियों की नजरें केन्द्र सरकार और केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर हैं। इनकम टैक्स स्लैब में वृद्धि, रोजमर्रा की चीजों और खाद्य सामग्रियों पर जीएसटी दर में कमी, अन्य कई जरूरी सामग्रियों पर जीएसटी में रियायत सहित अन्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद जिले के व्यवसायियों ने लगा रखी है। व्यवसायियों व उनके बच्चों के लिए भी सुविधाएं मिलने की उम्मीद लगायी गयी है। अब मामला सरकार के हाथ में है। आम बजट में सरकार व्यवसायियों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहार जिले के व्यवसायियों को बेसब्री से एक फरवरी का इंतजार है। ------------- बोले चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आम बजट से कई उम्मीदें हैं। सरकार को इनकम टैक्स स्लैब को कम से कम 10 लाख रुपए कर देना चाहिए। इससे व्यवसायियों को काफी राहत मिलेगी। रोजमर्रा की चीजों और खाद्य सामग्रियों पर जीएसटी दर में कमी भी काफी आवश्यक हैं। कई ऐसी चीजें हैं जो कम दाम में बाजार में मिलती हैं, लेकिन उनका जीएसटी दर अधिक निर्धारित है। इससे वे महंगी हो जाती हैं। सरकार अगर छोटी चीजों पर जीएसटी दर कम कर दें तो बाजार में कई सामान सस्ते रेट में बिकेंगे। जो व्यवसायी जीएसटी देते हैं उनके व परिवार के लिए मुफ्त स्वास्थ्य और मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। संजीव कुमार पिंकी, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स गोपालगंज -------------- बोले चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव व्यवसायी वर्ग के माल की ढुलाई के लिए छोटे शहरों तक मालगाड़ी ट्रेन की सुविधा नहीं है। जिससे ट्रक से माल मंगाने में अधिक खर्च होता है। आम बजट में इसे शामिल कर छोटे शहरों के लिए मालगाड़ी का संचालन होना चाहिए। जो कपड़ा 999 रुपए तक का है उसपर 5 प्रतिशत जीएसटी है। इससे यह अधिक दाम में नहीं बिकता है। लेकिन, एक हजार या अधिक के कपड़े पर 12 प्रतिशत जीएसटी है। इससे यह अधिक महंगा हो जाता है। सरकार को आम बजट में कपड़े पर जीएसटी निर्धारण में अलग-अलग भाव नहीं रखना चाहिए। इससे ग्राहकों को महंगे दर पर कपड़ा बेचना मजबूरी है। अमित कुमार रुंगटा, सचिव, चेंबर ऑफ कॉमर्स गोपालगंज

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