वजीरगंज : मगही भाषा संजोकर बचायेंगे अपनी संस्कृति, मंच सदस्यों ने लिया निर्णय
मगध की पहचान मगही भाषा से है, जो अब लुप्त होने के कगार पर है। वजीरगंज में मगही-हिन्दी साहित्यीक मंच की बैठक में सदस्यों ने संस्कृति और भाषा के संरक्षण पर चर्चा की। सांसद जीतन राम मांझी ने इसे देश स्तर...
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मगध की पहचान मगही भाषा से की जाती है और यह अब लुप्त होने के कागार पर है। इसके संरक्षण के लिये गठित मगही-हिन्दी साहित्यीक मंच वजीरगंज की बैठक रविवार को हुई। इस दौरान सदस्यों ने कहा कि हमार संस्कृति मगही है और मगध की पहचान मगही है, लेकिन एकरा अब सब भुला जा रहलिये हे और खड़ी हिन्दी और अंग्रेजी बोले में अपन शान समझ हियय। लिखित में मगही अब कोई ऑफिस में न चल है, लेकिन हमनी बोले ल भी छोड़ले जा रहलिये हे। जैसे पहनावा में धोती कुर्ता और साड़ी खतम हो रहले हे ओइसहीं अब मगही के हाल हो गेले हे। हमर गया सांसद जीतन राम मांझी बोल हथीन और एकरा देश स्तर पर सम्मान देलावे ला चाह हथीन। हमनियों के प्रयास करे के चाही और कम से कम बोले में मगही के इस्तेमार करे ल शुरू कर देवे के चाही। इकरा ला हमनी शपथ ले हियै और अपन बाल बच्चा के भी मगही बोले ल सिखैवै। मौके पर मंच के अध्यक्ष पंकज कुमार, उपाध्यक्ष ओमप्रकाश यादव, संरक्षक कृष्णचन्द्र चौधरी, उपेन्द्र पथिक, शम्भुशरण शर्मा, बच्चु शर्मा, कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र प्रसाद, अमित कुमार, राजेश कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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