मुआवजे को लकर आमस में जीटी रोड चौड़ीकरण का काम है लटका
फोटो-जीटी रोड के किनारे आमस के चंडीस्थान बाजार का बसावट।मुआवजे को लकर आमस में जीटी रोड चौड़ीकरण का काम है लटका मुआवजे को लकर आमस में जीटी रोड चौड़ीकरण
भूस्वामियों को जमीन और दुकान-मकान के उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण आमस में जीटी रोड चौड़ीकरण का काम लटका हुआ है। इसकी सीमा से सटे प्रखंड शेरघाटी और मदनपुर में सिक्स लेन का काम महीनों पूर्व शुरू हो चुका है। जीटी रोड चौड़ीकरण में जा रही जमीन के साथ दुकान और मकान के उचित मुआवजे को लेकर आमस प्रखंड के 31 कस्बा के भूस्वामी अड़े हुए हैं। भूअर्जन से बात नहीं बनने पर मामले को मगध आयुक्त के कोर्ट तक पहुंचा दिया है। जानकारी के अनुसार, आयुक्त दरबार से इनकी मांग की स्वीकृति मिल चुकी है। इसके बाद भी इनकी व्यवसायिक जमीन का मुआवजा धनहर व भीठ के तौर पर दिया जा रहा है। इसे लेने से भूस्वामी साफ इनकार कर दिया है। चंडीस्थान, हमजापुर, मोलनाचक, महापुर, आमस, बुधौल, ताराडीह आदि जगहों पर जीटी रोड के किनारे वर्षों से बाजार की बसावट है। हैरत की बात यह है कि जिस जमीन पर व्यवसायी बाप-दादा के समय से दुकान चलाकर जीविकोपार्जन करते आ रहे हैं। उसका मुआवजा भी धनहर का दिया जा रहा है। इसे लेकर व्यवसायियों में आक्रोश है।
सौ साल से भी अधिक समय से चंडीस्थान बाजार की है बसावट
डॉ. रजेंद्र प्रसाद सिंह, राजेश्वर लाल, नवीन, प्रमोद कुमार आदि व्यवसायियों ने बताया कि सौ साल से भी अधिक समय से जीटी रोड के किनारे चंडीस्थान बाजार की बसावट है। सिक्स लेन में जा रही जमीन पर बाप-दादा के समय से दखल कब्जा के साथ मकान-दुकान बना हुआ है। हर वर्ष लगान भी भरते आ रहे हैं। इसके बाद भी मुआवजा धनहर का (लाख रुपये डिसमील का चार गुणा) दिया जा रहा है, जबकि फिलहाल यहां 15 लाख रुपये में भी एक डिसमील नहीं मिल पा रही है। बताया कि इस पर बने मकान-दुकान का मुआवजा तीन हजार रुपये मीटर का दिया गया है। इनके अनुसासर मगध आयुक्त के कोर्ट ने एमवीआर (मॉर्केट वैल्यू रेट) के अनुसार तीन हजार रुपये फीट देने का आदेश दिया है। यहां के व्यवसायी इसकी लड़ाई 2022 से लड़ते आ रहे हैं। इस साल जून माह में मगध आयुक्त का फैसला आने के बाद भी इन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। व्यवसायी इस मामले को अब कोर्ट में लेकर जाने की तैयारी में हैं।
कोट
जिस जमीन पर बने मकान व दुकान का मुआवजा आवासिय के तौर पर दिया गया। उस जमीन को धनहर बताया जा रहा है। इस पर विचार करने की जरूरत है। आखिर आवासीय वाली जमीन धनहर और भीठ कैसे हो सकती है। बिना उचित मुआवजा मिले चौड़ीकरण के लिए अपनी जमीन नहीं दे सकते।
शेखर चौरसिया, श्रृंगार स्टोर व्यवसायी चंडीस्थान, आमस
जिस जमीन पर बाप-दादा के समय से दखलकब्जा है, हर वर्ष लगान भरते आ रहे हैं। उसे आवासीय की जगह धनहर का मुआवजा तय करना अपने आप में बड़ा प्रश्न है। सरकार को हर हाल में उनकी मांग पर विचार करनी चाहिए।
अनिल कुमार सिंह, सीमेंट-छड़ व्यवसायी चंडीस्थान, आमस
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