बारह सालों से सामुदायिक भवन में चल रहा झरी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
बारह सालों से सामुदायिक भवन में चल रहा झरी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बारह सालों से सामुदायिक भवन में चल रहा झरी अतिरिक्त प्राथमिक...
आमस। एक संवाददाता
प्रखंड की झरी पंचायत के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र झरी सालों से पुराने सामुदायिक भवन में चल रहा है। जहां पोस्टिंग के बाद भी कोई डॉक्टर नहीं आते। विशेष टीकाकरण के दौरान ही केन्द्र खुलता है। जिस वजह पंचायत के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। साधारण बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को आमस, मदनपुर व शेरघाटी जाना पड़ता है। वहीं कई महादलित गांव-टोला मुख्यमंत्री सात निश्चय योजनाओं से अछूता है। जंगल-पहाड़ों के पास बसे निमियाटांड़, बघमरबा, कुशा, चमरूआ आदि महादलित टोले के लोगों में नल का जल नहीं मिलने से नाराजगी है। इन गांवों में नाली-गली के भी खास काम नहीं हुये हैं। पंचायत के सभी 14 वार्डों में लाखों रुपये की लागत से नल-जल के काम तो हुये हैं। किन्तु सभी घरों में ठिक से पानी नहीं मिल रहा है। एक हजार से अधिक आवादी वाले झरी गांव की कई नालियों का पानी बीच सड़क पर बह रहा है। जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है।
पंचायत भवन : दो कमरे वाली पुराने भवन में चल रहा पंचायत
जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण पंचायत सरकार भवन बनने का दूर-दूर तक आसार नहीं दिख रहा। बहेरा मिडिल स्कूल परिसर में सालों पुराने एक कमरे वाली भवन में जैसे-तैसे पंचायत कार्यालय चलाया जा रहा है। जहां ठिक से फाइलें भी सुरक्षित नहीं है। पंचायत के लोगों को आय, जाति, आवासीय आदि प्रमाण पत्र बनवाने व अन्य कार्य के लिए अंचल-ब्लॉक का चक्कर लगाना पड़ता है। मुखिया प्रतिनिधि विनोद यादव ने कहा कि पंचायत सरकार भवन के लिए जिला को प्रस्ताव भेजी गई है। जमीन की तालाश करायी जा रही है।
सिंचाई के साधन : सोनदाहा डैम बनने से किसानों को है उम्मीद
करबी 35 सालों से अधूरा सोनदाहा डैम में जंगल-पाहाड़ों के बरसाती पानी संचय करने के लिए पइन की खुदायी होने से किसानों में सिंचाई व्यवस्था सुदृढ होने की उम्मीद जगी है। हालांकि करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी पिछले साल खेतों तक डैम का पानी नहीं आने से किसानों में मायुषी है। भोली यादव, दीपू, सतीश, नरेश मांझी आदि ने बताया कि लेवल से अधिक गहरी पइन की खुदायी कर दिये जाने से नदी का पानी डैम में नहीं गिरा। वल्कि उल्टे डैम का पानी पइन के माध्यम से नदी में ही चला गया। इसके अलावा यहां सिंचाई का दूसरा कोई विकल्प नहीं है। सिंचाई के अभाव में हर वर्ष फसलें मारी जाती है। जिस वजह किसानों की आर्थिक स्थिति बदतर है।
सड़क :
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क व मुख्यमंत्री संपर्क पथ योजना से पंचायत के लगभग सभी गांव-टोले तक पक्की सड़क बन चुकी है। जिससे दुरस्त गांवों तक आना-जाना काफी आसान हो गया है। सभी गांव-टोलों तक पक्की सड़क बन जाने से नक्सलवाद भी थम सी गई है। हालांकि जीटी रोड बहेरा गांव तक दो वर्ष पूर्व बने पक्की सड़क की स्थिति जर्जर हो गई है। वहीं गयघटी से बघमरबा तक की सड़क अधूरी रहने से कई गांवों के लोगों को आने-जाने में अब भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली
पंचायत के सभी गांव-टोलों को बिजली से जोड़ दिया गया है। जंगल-पाहाड़ों के तलहटी में बसे शुक्राडीह, बघमरबा, चमरूआ, रेगनियां आदि गांव के लोगों को भी निर्वाध तरीके से बिजली मिल रही है। हालांकि कनेक्शनधारी किसानों के खेतों व मोटर पम्प तक बिजली नहीं पहुंचने से उन्हें परेशानी हो रही है। उन्होंने खूद बांस-बल्ले के सहारे बिचली खिंच कर खेतों तक ले गये हैं।
नल-जल
मुखिया प्रतिनिधि विनोद यादव के अनुसार पंचायत के सभी वार्डों में नल-जल के कार्य पूरा कर लिये गये हैं। किन्तु ग्रामीणों की माने तो उन्हें कभी ठिक नल का जल नहीं मिला। बघमरबा, बिहारी बिगहा, बघबिड़ा, निमियांटाड़ आदि टोले तक नल-जल के पाइप भी नहीं बिछाये गये हैं। जबकि कई वार्डों में विभिन्न फॉल्ट की वजह नल-जल योजना ठप है। जबकि पाहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पंचायत के अधिकांश गांवों में पेयजल की समस्या बनी रहती है।
अस्पताल
रेगानियां गांव में संचालित स्वास्थ्य उप केन्द्र की स्थिति काफी जर्जर है। टीकाकरण के अलावा अन्य दिन यहां नर्स भी नहीं आतीं हैं। जिस वजह शुक्राडीह, बघबिड़ा, चमरूआ, बेलबिगहा, बलियारी, रेगनियां आदि दुरस्त गांव के लोगों को साधारण इलाज के लिए भी कई किलोमीटर दूर आमस व मदनपुर जाना पड़ता है। इनका जीवन ग्रामीण चिकित्सकों के भरोसे है। समय पर सही इलाज नहीं मिलने के कारण कईयों की जान भी चली जाती है।
नाली-गली
मुखिया सुनिता देवी के अनुसार पंचायत के सभी 14 वार्डों में करीब दो हजार फीट पीसीसी व दस हजार फीट पेवर ब्लॉक के काम कराये गये हैं। किन्तु धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। महादलित टोला निमियांटाड़ में एक भी नाली-गली के काम नहीं होने से यहां के लोग खूद को उपेक्षित महसूस करते हैं। बरसात के दिनों में टोले के लोगों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। वहीं कुशा के उदय दास, जितेन्द्र, कृष्णा भुइयां आदि ने भी टोले में नाली-गली के कार्य नहीं होने की बात कही। इसके अलावा अन्य वार्डों में भी नाली-गली की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वहीं झरी गांव की नाली खुले में बह रही है।
रोजगार- दूसरे प्रदेशों में कड़ी मेहनत से कमा कर किसी तरह घर चलाते हैं युवा
पंचायत के अधिकांश युवा दिल्ली, यूपी, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात आदि दूसरे प्रदेशों में कड़ी मेहनत कर किसी तरह जीविका चला रहे हैं। जहां उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मोहन भुइयां, कईलू, दिलचंद, कमल आदि युवाओं ने कहा कि प्रदेश में उनकी कड़ी मेहनत का उचित मजदूरी नहीं मिल पाता है। वहीं कोरोना की वजह अधिकांश युवा करीब एक वर्ष से घर बैठे हैं। यहां उनके पास खेती के लिए कट्ठा-दो कट्ठे भी जमीन नहीं है। जिस वजह उनके लिए जीविका चलाना चुनौती बन गया है। मनरेगा से कुछ को ही काम मिला है। जबकि पंचायत में रोजगार का कोई साधन नहीं है।
पंचायत के किसी वार्ड में सात निश्चय योजनाओं को सही से धरातल पर नहीं उतारा गया है। जरूरतमंदों को इंदिरा आवास व राशन कार्ड नहीं बने हैं। पांच सौ से अधिक आवादी वाले कुशा व ठाड़ी में स्कूल तक नहीं है। चांदनी सिंह, उप विजेता, पंचायत झरी, आमस
पंचायत के सभी वार्डों में विकास के खूब काम हुये हैं। विकास के कार्य धरातल पर दिख रहे हैं। कोई भी गांव-टोला सड़क विहिन नहीं रहा। गांवों की नाली-गली चकाचक है। सुनिता देवी, मुखिया, झरी पंचायत, आमस
उपलब्धियां
पैंतीस सालों से अधूरा सोनदाहा डैम के कार्य पूरा होने से किसानों में है खुशी।
पंचायत में बीस पशु शेड व सात बकरी पालन शेड बनाया गया है।
आहर-पइन की खुदायी कर सिंचाई की व्यवस्था सुदृढ किया गया है।
पंचायत से सभी 14 वार्डों में नल-जल, पीसीसी, नाली-गली के कार्य कराये गये हैं।
नाकामियां-
जमीन के अभाव में नहीं बन रहा पंचातय सरकार भवन। वर्ष पूर्व के पुराने भवन में चल रहा पंचायत कार्यालय।
कुशा व ठाड़ी में स्कूल नहीं होने से दूसरे गांव में पढ़ने जाते हैं बच्चे। बघमरबा आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन सालों से है अधूरा।
कई वार्डों में नाली-गली नहीं बनने से लोगों में है नाराजगी। निमियांटाड़ में नहीं हुये कोई भी विकास के कार्य।
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