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पड़ताल: सरकार के निर्धारित राशि से अधिक पैसा ले रहे निजी एम्बुलेंस

पड़ताल: सरकार के निर्धारित राशि से अधिक पैसा ले रहे निजी एम्बुलेंस चालको ने कहा जान जोखिम में डालकर पॉजिटिव मरीज को ले जाना मुश्किलपटना जाने के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाThu, 6 May 2021 07:20 PM
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गया। निजी संवाददाता

कोरोना संक्रमण में तेजी के कारण संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हो रही है। गंभीर रूप से बीमार होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे में इन मरीजों को घर से या शहर में निजी अस्पताल से लेकर सरकारी अस्पताल तक ले जाने में एम्बुलेंस की आवश्यकता पड़ रही है। जिले में वर्तमान में 45 सरकारी एम्बुलेंस हैं। इनमें शव वाहन तीन, 38 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस व चार एडवांस लाइफ स्पोर्ट एम्बुलेंस है। इनकी सेवाएं नि:शुल्क हैं। लेकिन मरीजों की संख्या में इजाफा होने के कारण इन एम्बुलेंस के अलावे निजी एम्बुलेंस का भी सहारा लेना पड़ रहा है। वर्तमान समय में जिले में करीब एक सौ से अधिक निजी एम्बुलेंस हैं।

निर्धारित राशि से अधिक पैसा ले रहे निजी एम्बुलेंस चालक

डेल्हा थाना क्षेत्र के रहने वाले पिन्टु कुमार ने बताया कि गुरुवार को उसकी मां की तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण उसे एम्बुलेंस की आवश्यकता पड़ने पर निजी एम्बुलेंस को बुलाया। मां को गांधी मैदान के पास एक निजी क्लिनिक में ले गया। एम्बुलेंस चालक ने दो हजार रूपये लिये। सरकार के निर्देश का हवाला देने के बाद भी वह मानने को तैयार नहीं था।

जान जोखिम में डालकर ले जा रहे हैं मरीज

एक निजी एम्बुलेंस चालक ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद परिवार वाले भी मरीज को नहीं छू रहे हैं। ऐसे में हमलोग अपनी जान जोखिम में डालकर मरीज को अस्पताल में ले जा रहे हैं। हमें कुछ होने पर कोई मदद करने वाला नहीं है। इसी दो पैसा के लिए जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं।

नहीं रहेगा निजी एम्बुलेंस तो बढ़ जाएगी मरनेवालों की संख्या

एक एम्बुलेंस चालक ने बताया कि सरकारी एम्बुलेंस से कितना मरीज अस्पताल आ पायेगा। इतना मरीज है कि सरकारी एम्बुलेंस से पार नही लग सकता है। अगर हमलोग नहीं रहे तो मरीजों की मौत की संख्या और बढ़ जायेगी। हमलोग हैं तो समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचा रहे है।

ड्राइवर काम छोड़ कर भाग रहे एम्बुलेंस चलवाना मुश्किल

एक निजी एम्बुलेंस के मालिक ने बताया कि ड्राइवर बीमार पड़ जा रहे हैं। वह खुद दस दिन तक बीमार रहे हैं। ड्राइवर के नहीं रहने पर वे स्वंय एम्बुलेंस चला कर मरीज को अस्पताल पहुंचाते हैं। कोरोना के कारण कई ड्राइवर ने काम छोड़ दिया है। जो काम कर रहे हैं वे दो गुना-तीन गुना पैसे मांग रहे हैं। पहले लोकल में एक मरीज को कहीं ले जाने पर महीना के वेतन के अलावे एक सौ रूपये लेता था। अब पांच सौ रूपये ले रहा है। सीधे कहता है कि पॉजिटिव मरीज है। वहीं पटना जाने के लिए एक हजार रूपये ले रहा है। इतना ही नहीं ऑक्सीजन भी मिलना मुश्किल हो गया है।

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