Hindi Newsबिहार न्यूज़गयाIf data is not meaningful in research then no use Prof Banerjee

शोध में यदि डेटा सार्थक नहीं है तब कोई फायदा नहीं : प्रो बनर्जी

शोध में यदि डेटा सार्थक नहीं है तब कोई फायदा नहीं : प्रो बनर्जी

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाTue, 2 June 2020 07:29 PM
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एमयू के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग एवं भारतीय लेखा परिषद, पटना शाखा के संयुक्त तत्वावधान में शोध पद्धति पर चल रही सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को प्रो. प्रदीप्ता बनर्जी, विभागाध्यक्ष, वाणिज्य विभाग, सिद्धो-कान्हो बिरसा विश्वविद्यालय, पुरुलिया ने डेटा के स्रोत एवं प्रतिचयन विधियों को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि यदि डेटा सार्थक नहीं है तो इसका कोई फायदा नहीं है। एक शोधकर्ता गैर-सांख्यिकीविदों के लिए डेटा को सार्थक बनाता है। इसके बाद उन्होंने कई उदाहरणों का उपयोग करके डेटा के प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों को समझाया। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रतिचयन और प्रतिचयन विधियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिचयन शोध के परिणाम की गुणवत्ता निर्धारित करता है। सत्र का समापन कार्यशाला के अध्यक्ष प्रो. जीएन शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। दूसरे सत्र की शुरुआत अर्पिता मोर्या द्वारा डॉ. चिन्मय कुमार रॉय, सहायक प्राध्यापक, वाणिज्य संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वागत और परिचय के साथ हुई। डॉ. चिन्मय ने ‘माप, स्केलिंग और प्रश्नावली डिजाइन विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि माप और स्केलिंग, प्रश्नावली तैयार करने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने प्रतिभागियों को कई स्केलिंग तकनीकों और प्रश्नावली डिजाइनों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि प्रश्नावली में गलत प्रश्नों के चयन से अनुचित डेटा प्राप्त हो सकता है। अंततः आपके शोध की गुणवत्ता प्रभावित होगी। प्रश्नावली दिलचस्प होनी चाहिए और साथ ही उपयुक्त लक्षित दर्शकों तक भी पहुंचनी चाहिए। सत्र का समापन आयोजन सचिव डॉ. धरेन कुमार पाण्डेय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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