वजीरगंज में मगही कविताओं का हुआ पाठ, नई रचनाओं ने किया प्रभावित
हिन्दी-मगही साहित्यिक मंच की मासिक बैठक रविवार को आयोजित की गई। सदस्यों ने नई रचनाओं का पाठ किया और मगही भाषा के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पुराने रचनाकारों की कमी के कारण मगही...
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हिन्दी-मगही साहित्यिक मंच की मासिक बैठक रविवार को पैरू साव के मकान परिसर में आयोजित की गई। बैठक में मंच के सदस्यों ने कई कविता पाठ किये, जिसमें नई रचनाओं से लोग प्रभावित भी हुए। मंच सदस्यों ने कहा कि पूर्व के महान रचनाकार अब हमारे बीच नहीं रहे, जिसके कारण हमें आज के परिवेश की रचनाएं नहीं मिल रही और मगही भाषा को हम दरकिनार करते जा रहे हैं, इस भाषा का मधुर श्रवण अब विलुप्त होने के कगार पर है, इसलिये अब नये रचनाकारों को प्रोत्साहित कर हमारी मातृ भाषा मगही को संजोने की जरूरत है। कहे के तो हम हियै आजाद, पर आझो नय हय कम जल्लाद---सहित अन्य कई रचनाओं को पढ़कर सुनाया गया, जिसपर खूब तालियां बजी। सदस्यों ने कहा कि यह हमारी व्यवहारिक भाषा है, जिससे हमें प्रेम है और यही भाषा हमें एक दूसरे से जोड़े रखने की भूमिका निभा रही है। अगर इसका अंत होता है तो हमलोगों की मागधी संस्कृति भी विलुप्त हो जागयी। मौके पर मंच संरक्षक उपेन्द्र पथिक, बच्चु शर्मा, कृष्णचन्द्र चौधरी, प्रभाकर कुमार, संजय कुमार पंकज, अमित कुमार, सुरेन्द्र कुमार, राजेश कुमार, अमित कुमार आदि रहे।
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