लैंप पोस्ट से भी रोशनी उपर ना जाए ऐसी हुई थी व्यवस्था
गया वासियों ने 1971 के युद्ध की यादें साझा कीं, जब लोगों में देश के प्रति जज्बा और जोश था। मॉक ड्रिल के तहत युद्ध की स्थिति में क्या करना है, इसकी तैयारी की जा रही है। 82 वर्षीय एसएन गुर्जर ने बताया...

लैंप पोस्ट से भी रोशनी उपर ना जाए ऐसी हुई थी व्यवस्था मॉक ड्रिल के आदेश के बाद गया वासियों ने यादें साझा कीं - पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के बारे में लोगों ने बताया - जोश से भरपूर होते थे लोग, देश के लिए मर मिटने का था जज्बा गया, प्रधान संवाददाता युद्ध की आशंका के बीच मॉक ड्रिल कराने का निर्देश मिला है। पूरे देश में 266 जिलों में लोगों को इस बात के लिए तैयार किया जा रहा है कि युद्ध की स्थिति में क्या करना है। ऐसी स्थिति में गयावासियों ने अपनी यादें साझा की।
बताया कि किस प्रकार 1971 में पाकिस्तान और उससे पहले चीन के साथ युद्ध के दौरान यहां कैसी स्थिति रही। आम लोग में भी सेना के सीने वाला जज्बा होता था। गया के डेल्हा निवासी 82 वर्षीय एसएन गुर्जर बताते हैं कि 1971 के युद्ध के समय आम लोगों में देश सम्मान को लेकर खासा जोश हुआ करता था। उस वक्त गाड़ियों के शीशे काले कर दिए गए थे। यहां तक की लैंप पोस्ट ऐसे थे जिससे रोशनी उपर ना जाए। रात में कम से कम बत्ती जलाने का निर्देश था। छत पर किसी हाल में रोशनी नहीं करनी होती थी। गया में गांधी मैदान, टॉवर चौक सहित कई स्थानों पर बड़े पानी के टैंकर बनाए गए थे। हमले के बाद आग लगने की स्थिति में उस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता था।
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