खूब छूटे पटाखे प्रदूषित हुई हवा
खूब छूटे पटाखे प्रदूषित हुई हवाखूब छूटे पटाखे प्रदूषित हुई हवाखूब छूटे पटाखे प्रदूषित हुई हवाखूब छूटे पटाखे प्रदूषित हुई हवा
दीपावली में लोगों ने जमकर अतिशबाजी की। आतिशिबाजी से तो लोग आनंदित हुए पर शहर की हवा ज्यादा प्रदुषित हो गयी। इसके पहले लोगों के घरों में हो रही साफ-सफाई और सड़कों पर कचरे के ढेर से उड़ते धूलकण ने भी हवा को दुषित किया। सात दिनों में अगर एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स को देखें तो गया में चार गुनी हवा प्रदुषित हुयी है। पहले था 35 अब एक्यूआई पहुंच गया 144
गया में 26 अक्टूबर को एक्यूआई यानि वायु गुणवत्ता सुचकांक 35 था। जो 27 को 43, 28 अक्टूबर को 54, 29 को 94, 30 को 91, 31 अक्टूबर को 111 व 1 नवंबर को सुबह दस बजे 144 दर्ज किया गया। इस तरह एक सप्ताह में हवा चार गुणा प्रदुषित हो गया।
सांस फुलने और सांस लेने की हुई परेशानी
जयप्रकाश नारायण अस्पताल के फिजिशियन डॉ. हेमंत कुमार ने बताया कि यह सच है कि दीपावली के बाद हवा में प्रदुषण की मात्रा बढ़ जाती है। पटाखे से कार्बन डायऑक्साइड, सल्फर डायाऑक्साइड व अन्य प्रकार के हानिकारक धुंए के कारण हवा में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में सांस संबंधित रोगियों को अधिक परेशानी होती है। उनके श्वांस की नली सिकुडं जाती है जिससे कि उन्हें सांस लेने व सांस फुलने की समस्या हो जाती है। कई ऐसे मरीज आये भी है। खास कर दमा के मरीज को अधिक परेशानी होती है।
कोट
वायु प्रदुषण को कम करने के लिए निगम शहर में स्प्रींकलर से छिड़काव कराता है। इसके अलावा सड़क किनारे पेवर ब्लॉक लगाया है, जिससे कि धुलकण ना उड़े। लोगों को चाहिए वह ग्रीन पटाखा जलाएं वैसे पटाखा जलाने से बचे जिससे ज्यादा प्रदुषण हो।
- मोनू कुमार , लोक स्वच्छता पदाधिकारी, गया नगर निगम।
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