सभी छात्रों के पास होनी चाहिए संविधान की पुस्तक : प्रो. कुमार वीरेंद्र सिंह
संविधान दिवस की 75वें वर्षगांठ और राष्ट्रीय युवा सप्ताह का हुआ आयोजन बोधगया,
सिर्फ किताब पढ़ने से वह ज्ञान नहीं आ सकता है, जो एक आयोजन में अनेकों लोगों का विद्वत्तापूर्ण वक्तव्य सुनने से आता है। संविधान की पुस्तक हर छात्रों के पास होनी चाहिए। उक्त बातें सोमवार को मगध यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में आयोजित संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ के पूरे होने और राष्ट्रीय युवा सप्ताह कार्यक्रम में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रो. कुमार वीरेंद्र सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि संविधान एक त्रिकाल डमरू की तरह है, जिसे हम वर्तमान में पकड़कर अतीत की प्रेरणाओं के सहारे भविष्य के सुनहरे पथ पर चलने का प्रयास करते हैं। कार्यक्रम में हिंदी, मगही और संविधान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर वक्ताओं ने चर्चा की। बंकिमचंद्र की आनंदमठ, रांगेय राघव की विषादमठ, हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचना, प्रेमचंद के प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्षीय भाषण, दिनकर, उदय प्रकाश की वारेन हेस्टिंग्स का सांड़ सहित अन्य साहित्यिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए भारतीय राजनीति और संविधान को दिशा दिखाने वाले हिंदी साहित्य को रेखांकित किया। हिंदी और मगही स्नातकोत्तर व पीएचडी के विद्यार्थी शुभम, मनीष, रवींद्र, कंचन, अपराजिता, सुमित्रा, केसरी, अर्चना, रविरंजन, अमित, सुशीला, शैलेन्द्र, प्रेमदानी, वीरेंद्र, आलोक, संगीता, सत्येंद्र और माला ने भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।
शीर्ष तीन विजेताओं का चयन किया गया जिसमें प्रो. कुमार वीरेंद्र, प्रो. ब्रजेश कुमार राय और प्रो. सुनील कुमार को निर्णायक-मंडल द्वारा किया गया। मंच संचालन डॉ. परम प्रकाश राय ने किया। कार्यक्रम में प्रो.सुनील कुमार, डॉ. आनंद कुमार सिंह, डॉ. राकेश कुमार रंजन, डॉ. अनुज कुमार तरुण, डॉ. अम्बे कुमारी, डॉ. उमाशंकर सिंह, डॉ. कुणाल किशोर, डॉ. किरण कुमारी मौजूद रहे।
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