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बिहार के मदरसों में कट्टरपंथ की क्लास, मंत्री जमा खान ने काफिर और मुशरिक पढ़ाने को सही ठहराया

इस किताब की पेज संख्या-9 में एक सवाल लिखा गया है कि जो अल्लाह को नहीं मानते उन्हें क्या कहते हैं? इसी सवाल के नीचे इसके जवाब में लिखा गया है - उन्हें काफिर कहते हैं।

Nishant Nandan लाइव हिन्दुस्तान, पटनाTue, 20 Aug 2024 10:07 AM
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बिहार के मदरसों में दी जा रही शिक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल सबसे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने एक्स पर यह दावा किया था कि राज्य के मदरसों में कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने मदरसों में पढ़ाई जाने वाली एक किताब 'तालीमुल इस्लाम' का जिक्र करते हुए यह लिखा था कि इसके पृष्ठ संख्या 9 में यह कहा गया है कि जो अल्लाह को नहीं मानते हैं वो काफिर हैं। इस मामले में सियासत भी खूब हुई है और बिहार सरकार के मंत्री प्रेम कुमार ने यह भी कहा था कि अगर कुछ गलत है तो इसकी जांच होनी चाहिए।

अब ‘न्यूज 18’ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस किताब तालीमुल इस्लाम को दिखाते हुए बताया है कि इस किताब का उर्दू और हिंदी वर्जन दोनों ही उपलब्ध है। इस किताब के पेज संख्या-9 में एक सवाल लिखा गया है कि जो अल्लाह को नहीं मानते उन्हें क्या कहते हैं? इसी सवाल के नीचे इसके जवाब में लिखा गया है - उन्हें काफिर कहते हैं। इसी के नीचे एक अन्य सवाल में लिखा गया है- जो लोग खुदा तआला के सिवा और चीजों की पूजा करते हैं या दो-तीन खुदाओं को मानते हैं उन्हें क्या कहते हैं? इसके जवाब में इस किताब में लिखा गया है - ऐसे लोगों को काफिर और मुशरिक कहते हैं।

मदरसों में दी रही शिक्षा को भले ही कट्टरपंथ की क्लास बता कर इसपर विवाद हो रहा हो लेकिन लेकिन नीतीश सरकार के मंत्री जमा खान ने काफिर और मुशरिक पढ़ाने को सही ठहराया है। मीडिया से बातचीत में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, 'ऐसा कुछ नहीं है। बिहार में ही नहीं बल्कि देश के किताब में ऐसा कुछ नहीं है। जो काफिर शब्द आया है उसके लिए मैं बता दूं कि काफिर का मतलब होता है कि जो खुदा को, भगवान को या ईश्वर को नहीं मानता हो उसको काफिर कहते हैं।

किताब में किसी को गलत नहीं कहा गया है। कोई भेदभाव की बात नहीं है। ऐसा कुछ भी नहीं है और इस बात को मैं चैलेंज करता हूं। मदरसा की नीति और नियत साफ है और सबके लिए है। जो भी मुसलमान का बच्चा उसमें जाता है वो भाईचारा, मोहब्बत के साथ रहने, पढ़ने का तरीका, सम्मान करने का तौर-तरीका और देश के लिए कुर्बान होने का तौर-तरीका बताया जाता है।

आपको बता दें कि NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने हाल ही दावा किया था कि बिहार के मदरसों में जो किताब पढ़ाई जा रही है उस किताब में ग़ैर इस्लामिकों को काफ़िर बताया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि इन मदरसों में हिंदू बच्चों को भी दाख़िला दिए जाने की सूचना मिली है परंतु बिहार सरकार संख्या अनुपात की अधिकारिक जानकारी नहीं दे रही है।

 

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