Hindi Newsबिहार न्यूज़Five children death within a week in Bihar Village medical experts reached to investigate

बिहार के इस गांव में पांच बच्चों की मौत से हड़कंप, जांच करने पहुंचे मेडिकल एक्सपर्ट

अररिया जिले के रानीगंज ब्लॉक के मझुवा गांव में महादलित परिवारों के पांच बच्चों की एक सप्ताह के भीतर मौत हो चुकी है। पटना से मेडिकल एक्सपर्ट की टीम जांच करने गुरुवार को अररिया पहुंची।

Jayesh Jetawat अररिया, हिन्दुस्तान टाइम्सWed, 11 Sep 2024 03:07 PM
share Share

बिहार के अररिया जिले के एक गांव में बीते एक सप्ताह में 5 बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है। मरने वाले सभी बच्चों की उम्र 10 साल से कम थी। वे कुपोषित थे और हाल ही में वे चिकनगुनिया बुखार की चपेट में आए थे। पटना से 12 मेडिकल विशेषज्ञों की टीम गुरुवार को गांव पहुंच रही है, जो बच्चों की मौत की वजह का पता लगाएगी। यह मामला रानीगंज ब्लॉक के मछुआ गांव का है। पिछले एक हफ्ते में जान गंवाने वाले सभी बच्चे वार्ड नंबर 11 के ही रहने वाले थे। सभी महादलित परिवारों से थे, जिनके घर वाले मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते हैं।

प्रभावित गांव में मौजूद सिविल सर्जन केके कष्यप ने एचटी से फोन पर बातचीत में कहा कि 12 मेडिकल एक्सपर्ट की टीम यहां बुधवार शाम को पहुंची है। वे मझुवा गांव में जाकर गुरुवार को जांच करेंगे। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट में मृतक बच्चों को चिकनगुनिया बुखार होने की पुष्टि हुई थी। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहतु कम थी और वे चिकनगुनिया से नहीं लड़ सके। हालांकि, उनके कुपोषित होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। बच्चों को कुछ अन्य घातक बीमारियां भी हो सकती हैं।

रानीगंज रेफरल अस्पताल के डॉक्टर रोहित कुमार का मानना है कि बच्चे कुपोषित थे और इसलिए वे चिकनगुनिया बुखार को बर्दाश्त नहीं कर सके। बता दें कि मझुवा गांव के वार्ड 11 के रहने वाले पांच बच्चों रौनक कुमार, अंकुश कुमार, गौरी कुमारी, आंचल कुमारी और मुस्कान ने बीते एक सप्ताह के भीतर जान गंवा दी। गांव में मौजूद एक डॉक्टर का कहना है कि अब भी 6 से 7 बच्चे बुखार से पीड़ित हैं। ऐसे में मृतकों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण अंधविश्वास पर ज्यादा यकीन करते हैं। उनमें स्वच्छता बनाए रखने और सामाजिक जागरुकता लाने की जरूरत है।

आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवा) की जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) रंजना सिंह ने कहा कि हम सभी एंगल से स्थिति की निगरानी क रहे हैं। उन्होंने बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) को गांव का दौरा करने के लिए कहा है ताकि पता लगाया जा सके कि मृतक बच्चे बहुत ज्यादा कुपोषित थे या नहीं।

हालांकि, सीडीपीओ बबीता कुमारी ने बच्चों के गंभीर रूप से कुपोषित होने के दावे को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि बच्चे कुपोषित थे, लेकिन गंभीर रूप से कुपोषित नहीं थे। हमारे पास गांव के सभी बच्चों का माप है। उन्होंने यह भी कहा कि गांव में एक अतिरिक्त आंगनवाड़ी केंद्र खोलने के लिए सरकार को लिखा जाएगा। बच्चों को अभी आंगनवाड़ी तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से गांव का दौरा कर रहे हैं कि बच्चों को पोषक तत्व ठीक से मिल रहे हैं या नहीं। बता दें कि गांव के इसी वार्ड में 10 साल पहले भी 11 बच्चों की मौत हो गई थी और उस समय मेडिकल टीम ने गांव का दौरा किया था।

अगला लेखऐप पर पढ़ें