शहाबुद्दीन, एके 47 और अजय राय; डीपी ओझा की वो रिपोर्ट जिसने लालू-राबड़ी की विदाई की नींव रखी
- उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय और सीवान के बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बीच एके 47 की खरीद-बिक्री की गोपनीय रिपोर्ट बनाकर डीपी ओझा ने 2003 में ही लालू यादव की राजद की सत्ता से विदाई की नींव रख दी थी।
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के शासनकाल के दौरान बहुचर्चित पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रहे डीपी ओझा का निधन हो गया है। आईपीएस सर्विस के आखिरी दौर में सरकार के खिलाफ बयानबाजी के कारण डीपी ओझा को तब की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने रिटायरमेंट से दो महीने पहले ही पद से हटा दिया था। उन्होंने भी लालू यादव के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा था कि वो इस सरकार के अंदर काम नहीं करेंगे और वीआरएस ले लिया था। 2003 के दिसंबर की इस कहानी ने सवा साल बाद बिहार से लालू यादव और राजद की सत्ता से विदाई की नींव रख दी थी। लालू, राबड़ी और राजद की विदाई के कई राजनीतिक कारण रहे लेकिन विपक्ष ने जंगलराज को पकड़ लिया था जिसे डीपी ओझा के शहाबुद्दीन के खिलाफ अभियान ने मजबूत आधार दिया।
उस समय डीजीपी डीपी ओझा ने एक गोपनीय रिपोर्ट सरकार को भेजी थी जिसमें उन्होंने सीवान के बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन से जुड़े कई माफिया और राजनेताओं का जिक्र किया था। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के वाराणसी की कोलअसला सीट से तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक रहे अजय राय का भी नाम था। रिपोर्ट में तब या अब भाजपा और नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ रहे विधायक और पूर्व विधायक रामा सिंह, सुनील पांडे और विक्रम कुंवर समेत कई अपराधियों के नाम थे। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि शहाबुद्दीन से अजय राय ने एके 47 खरीदी है।
बिहार ने लफंगों के हाथ में सत्ता सौंप दी, डीजीपी रहते लालू-राबड़ी से खुलकर भिड़ गए थे डीपी ओझा
डीपी ओझा ने रिपोर्ट में शहाबुद्दीन पर कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों से कई एके 47 खरीदने और उसमें कुछ एके 47 अजय राय को बेचने का आरोप लगाया था। ओझा ने यह दावा दिल्ली में गिरफ्तार किसी अपराधी के द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के आधार पर किया था। अजय राय ने इन आरोपों का खंडन किया था।
बिहार के पूर्व DGP डीपी ओझा का निधन, शहाबुद्दीन और लालू की नाक में दम कर दिया था
जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने गए तो कांग्रेस ने भाजपा के टिकट पर कई बार विधायक रहे अजय राय को ही उनके सामने उतारा था। तब यूपी भाजपा के प्रभारी रहे अमित शाह ने अजय राय द्वारा शहाबुद्दीन से एके 47 की खरीद की जांच की मांग की थी। इस मामले में लोकसभा चुनाव के बाद पिछले दस साल में क्या हुआ, ये साफ नहीं है।