धूल फांक रहे छह मेडिकल यूनिट वाहन
लहेरियासराय | एक संवाददाता महंगे सामान खरीदना बड़ी बात नहीं, बेहतर देखभाल कर लंबे...
लहेरियासराय | एक संवाददाता
महंगे सामान खरीदना बड़ी बात नहीं, बेहतर देखभाल कर लंबे समय तक उसका उपयोग करना बड़ी बात है। लेकिन अधिकतर सरकारी विभागों खासकर स्वास्थ्य विभाग में ठीक इसके विपरीत होता है। यहां महंगे उपकरण खरीदे तो लिये जाते हैं, लेकिन उचित रखरखाव के अभाव में ये समय से काफी पहले ही बेकार हो जाते हैं। सन 2012 में दरभंगा लोकसभा क्षेत्र के सुदूर ग्रामीण इलाकों में लोगों के इलाज के लिए लगभग दो करोड़ की लागत से छह मोबाइल मेडिकल यूनिट की खरीदारी की गयी थी। इसकी खरीदारी दरभंगा के तत्कालीन सांसद कीर्ति झा आजाद के ऐच्छिक कोष की गयी थी। इसका उद्देश्य घर-घर पहुंचकर मरीजों का इलाज करना था। लेकिन, क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य रहा कि विभागीय उदासीनता के कारण बेहद कीमती और सभी मेडिकल सुविधाओं से लैस इस मोबाइल मेडिकल यूनिट का उपयोग अधिक दिनों तक नहीं किया जा सका। वर्तमान में ये वाहन प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्रों की शोभा बढ़ा रहे हैं। मालूम हो कि इस मोबाइल मेडिकल यूनिट में डॉक्टर, नर्स व मेडिकल स्टाफ तैनात किये गए थे। साथ ही उक्त वाहन में एक्स- रे, मशीन से आंखों की जांच, छोटी सर्जरी, ऑक्सीजन की उपलब्धता, खून जांच सहित कई तरह की इलाज की सुविधा उपलब्ध थी। इसके अलावा वाहन में एसी व जेनरेटर की भी सुविधा उपलब्ध थी। इस मोबाइल मेडिकल यूनिट के चलंत होने के कारण इसे ‘अस्पताल आपके द्वार के नाम से भी जाना जाता था। दरभंगा नगर, सदर, बहादुरपुर, बेनीपुर, बिरौल और घनश्यामपुर स्वास्थ्य केंद्रो पर वर्षों से खड़े मोबाइल मेडिकल यूनिट वाहन धूल फांक रहे हैं।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. एसके सिन्हा ने कहा कि इन सभी छह वाहनों को कॉन्ट्रैक्ट पर चलाया जा रहा था। कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने के बाद से ही मोबाइल मेडिकल यूनिट खड़ी है। मैंने बहेड़ी व बहादुरपुर सहित कई जगहों पर जाकर वाहनों का निरीक्षण किया, लेकिन एक भी मोबाइल मेडिकल यूनिट वाहन चलने की स्थिति में नहीं है। वहीं, डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। पता करवा रहे हैं।
प्रशासन से तालमेल के बाद हुई थी खरीद : कीर्ति
पूर्व सांसद कीर्ति झा आजाद ने बताया कि वर्ष 2012 में मैंने लोकसभा क्षेत्र के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों के लिए छह मेडिकल मोबाइल यूनिट वाहनों की खरीदारी की थी। उस समय मैंने जिला प्रशासन से तालमेल के बाद वाहनों की खरीदारी की थी। लेकिन जब जिला प्रशासन इस मेडिकल यूनिट को चलाने में असफल रहा तो बाद में एक एनजीओ के माध्यम से मोबाइल मेडिकल यूनिट को चलाने का प्रयास किया गया। हालांकि छह माह चलने के बाद एनजीओ कर्मियों को भुगतान नहीं होने पर उन्होंने काम छोड़ दिया और मोबाइल मेडिकल यूनिट वाहनों को प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्रों पर खड़ा कर दिया गया। जब दरभंगा के डीएम चंद्रशेखर सिंह बने तो उनके साथ समन्वय बनाकर पुन: मोबाइल मेडिकल यूनिट को हरी झंडी दिखाकर चालू किया गया लेकिन बात वहीं रही। वे भी वाहनों को चलाने में असमर्थ रहे और पुन: मोबाइल मेडिकल यूनिट जस की तस खड़ी रह गई।
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