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िशक्षा के महत्व को समझें व अभाव में भी संघर्ष कर आगे बढ़ें : मंत्री

दरभंगा में केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी ने कहा कि समाज की शक्षिति के बिना समस्याएं बढ़ेंगी। उन्होंने प्रो. हरश्चिंद्र सहनी की पुण्यतिथि पर शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाTue, 22 April 2025 03:07 AM
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िशक्षा के महत्व को समझें व अभाव में भी संघर्ष कर आगे बढ़ें : मंत्री

दरभंगा। यदि समाज शक्षिति नहीं होगा तो कई तरह की समस्याएं होंगी। लोग शक्षिा के महत्व को समझें, बहाना नहीं बनाएं और अभाव में भी तेंदुलकर की तरह संघर्ष कर आगे बढ़ें। सभी लोगों तक शक्षिा के प्रसार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ये बातें केन्द्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी निषाद ने कही। वे सीएम कॉलेज में राजनीति वज्ञिान के पूर्व प्राध्यापक एवं अमर शहीद जुब्बा सहनी शोध व सेवा संस्थान, दरभंगा के संस्थापक निदेशक प्रो. हरश्चिन्द्र सहनी की तीसरी पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज भी निषाद समाज सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा है, परंतु हमारी सरकार पूरे समाज की शक्षिा व प्रगति के लिए लगातार प्रयासरत है। निषाद समाज से कई मंत्री भी बनाए गए हैं। बिहार सरकार में भी इस समाज से तीन मंत्री हैं, जिनमें दो तो दरभंगा जिले से ही हैं। उन्होंने कहा कि 18 पुस्तकों के लेखक प्रो. सहनी ने शक्षिा का अलख जगाकर सामाजिक परिवर्तन का महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री 24 अप्रैल को पंचायती राज प्रतिनिधियों से बात करने मिथिला आ रहे हैं। पंचायत के विकास के बिना बिहार का विकास नहीं हो सकता। बिहार सरकार में भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि दूसरों के लिए जीने वाले महामानव प्रो. हरश्चिन्द्र सहनी गरीबों, दलितों एवं वंचितों की बुलंद आवाज एवं प्रेरणास्रोत हैं। उनकी लिखित पुस्तकें एवं उनके कार्य समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। बिहार सरकार के पिछड़ा-अति पिछड़ा कल्याण मंत्री हरि सहनी ने कहा कि समाज के लिए जीने वाले प्रो. हरश्चिन्द्र सहनी केवल शक्षिाप्रेमी ही नहीं, बल्कि बड़े समाजसुधारक भी थे। वे सर्फि एक शक्षिक ही नहीं, बल्कि समाज के मार्गदर्शक गुरु थे। अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. सहनी के बड़े पुत्र एवं संस्थान के निदेशक कृष्ण कुमार सत्यवादी उर्फ पप्पू सहनी ने संस्थान के उद्देश्यों को वस्तिार से बताया। डॉ. हीरालाल सहनी ने ह्यस्मृति शेष डॉ. हरश्चिन्द्र सहनीह्ण कविता प्रस्तुत की, जिसका पाठ ध्रुव सहनी ने किया। डॉ. डी कुमार, भोला सहनी, गंगा प्रसाद, त्रिभुवन निषाद, बन्दिेश्वर सहनी, सुभाष सहनी, पंडित वेद व्यास, प्रकाश सहनी, पिंकू लखमानी आदि ने संस्मरण सुनाकर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर प्रो. हरश्चिन्द्र द्वारा लिखित 18वीं एवं अंतिम पुस्तक ह्यअंधवश्विास एवं दलित शोषणह्ण का अतिथियों ने विमोचन किया। मौके पर शक्षिा एवं सेवा कार्य में उत्कृष्ट 21 व्यक्तियों को प्रशस्ति पत्र एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया। निषाद समाज के विभन्नि सार्वजनिक पदों पर कार्यरत 21 व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया।

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