गरीबों के लिए वरदान साबित होगा एम्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा में एम्स का शिलान्यास किया, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए सुपर स्पेशियलिटी इलाज की सुविधा मिलेगी। यह कदम मिथिला, कोसी और सीमांचल के गंभीर मरीजों के लिए...
दरभंगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुधवार को शोभन-एकमी बाइपास किनारे बलिया मौजे में दरभंगा एम्स के शिलान्यास से सुपर स्पेशियलिटी इलाज मिलने का सपना अब जल्द साकार होने वाला है। गरीब और माध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह वरदान साबित होगा। केंद्र ने दरभंगा एम्स का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 36 महीने का समय निर्धारित कर दिया है। वहां इलाज शुरू होते ही केवल मिथिला नहीं बल्कि कोसी और सीमांचल तक गंभीर मरीजों के इलाज में क्रांति आ जाएगी। एम्स के मूर्त रूप लेने के बाद गरीब और माध्यम वर्गीय परिवारों में इलाज की चिंता दूर हो जाएगी। परिवार के किसी सदस्य के गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर पूरा परिवार इलाज को लेकर चिंता में डूब जाता है।
एम्स में इलाज शुरू होने के बाद बेहतर इलाज के लिए लोगों को बड़े शहरों की खाक नहीं छाननी पड़ेगी। खासकर दरभंगा के अलावा मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, मुजफ्फरपुर आदि जिलों के गंभीर मरीजों को जिन्हें बेहतर इलाज के लिए एक जगह से दूसरी जगह रेफर करने का सिलसिला जारी रहता है। दरभंगा के अलावा समस्तीपुर, मधुबनी, सहरसा व सुपौल के मरीजों को जिन्हें डीएमसीएच आने के बाद बेहतर इलाज के लिए पटना के अलावा दूसरे प्रदेशों का रुख करना पड़ता है। सुपर स्पेशियलिटी इलाज के लिए लाखों की राशि खर्च करनी पड़ती है।
एम्स का निर्माण पूरा होने के बाद इलाज के लिए एक जगह से दूसरी जगह की दौड़ लगाने के सिलसिले पर विराम लग जाएगा।
इसे सुनिश्चित करने के लिए 750 बेड के एम्स में सुपर स्पेशियलिटी विभागों और क्रिटिकल केयर यूनिट में मरीजों के इलाज के लिए 390 बेड की व्यवस्था है।
दरभंगा एम्स में कार्डियोलॉजी, कार्डियो-थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यूरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, पीडियाट्रिक सर्जरी, बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी, मेडिकल ऑनकोलॉजी, सर्जिकल ऑनकोलॉजी, रेडिएशन ऑनकोलॉजी, एंडो किर्नोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन आदि सुपर स्पेशियलिटी विभाग स्थापित किए जाएंगे जहां हर मर्ज की दवा हो सकेगी। सुपर स्पेशियलिटी के अलावा अन्य विभागों में भी मरीजों को विद स्तरीय सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
इमरजेंसी से 35 से 50 मरीज जाते हैं बाहर
हाल के दिनों की बात की जाए तो सितंबर महीने में डीएमसीएच के इमरजेंसी विभाग से 35 गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज के लिए बाहर जाना पड़ा। हर महीने बेहतर इलाज के लिए वहां से बाहर जाने वाले मरीजों की संख्या कमोवेश 35 से 50 तक रहती है। शहर के निजी अस्पतालों से भी हर महीने दर्जनों मरीजों को बाहर भेज दिया जाता है। इनमें से कई मरीज निजी अस्पतालों के चंगुल फंसकर लाखों की राशि लुटा बैठते हैं। बाहर जाने वालों में अधिकतर हृदय रोग, हेड इंजरी, किडनी, ब्रेन हेमरेज, सड़क दुर्घटना, बर्न, कैंसर आदि के गंभीर मरीज शामिल रहते हैं।
दो एम्स वाला तीसरा राज्य बना बिहार
शोभन के बलिया मौजे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शिलान्यास के बाद बिहार दो एम्स वाला देश का तीसरा राज्य बन गया। केंद्र सरकार की सौगात से केवल मिथिला ही नहीं बल्कि पूरे सूबे में लोग खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के रायबरेली और गोरखपुर और छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर में लोगों को दो एम्स की सौगात मिली थी। अब पटना के बाद दरभंगा में एम्स मिलने से बिहार भी इस सूची में शामिल हो गया है। फिलहाल जिन राज्यों में एक-एक एम्स स्थापित हैं इनमें दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश, ओडिसा, झारखंड, असम, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर शामिल हैं। हरियाणा के रेवाड़ी में एम्स प्रस्तावित है।
पीएम ने बिहारियों का बढ़ाया सम्मान : मदन
सूबे के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में बहादुरपुर में एम्स का शिलान्यास करने के लिए मैं पीएम मोदी व सीएम नीतीश कुमार का आभार व्यक्त करता हूं। लोग इसके लिए पिछले कई वर्षों से इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो लोग कहते थे कि 500 रुपए
लेकर बिहार के लोग दिल्ली एम्स में आ जाते हैं, पीएम ने उन लोगों को जवाब देकर बिहारवासियों का मान-सम्मान बढ़ाया है।
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