कोरोना से बचने को ग्रामीण इलाकों में गंभीर नहीं दिख रहे लोग
कमतौल | संवाद सूत्र कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते सूबे में आगामी 15 मई
कमतौल | संवाद सूत्र
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते सूबे में आगामी 15 मई तक लॉकडाउन लगा है। लॉकडाउन का पालन करने के लिए जिला प्रशासन व पुलिस द्वारा बराबर लाउडस्पीकर के माध्यम से घरों में रहने की भी अपील की जा रही है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोग कोरोना को लेकर गंभीर नहीं दिखते हैं। बाइक पर तीन-तीन लोग सवार होकर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कमतौल बाजार सहित अधिकतर जगहों पर न तो लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और न ही मास्क का उपयोग कर रहे हैं। बेखौफ लोगों की ये लापरवाही हजारों की जान को मुश्किल में डालने पर आमादा है। पुलिस अधिकारियों द्वारा जांच अभियान चलाकर लोगों को सावधान एवं जागरूक करने के साथ साथ जुर्माना भी वसूल किया जा रहा है। फिर भी लोग आदत से लाचार हैं। बाजार के दुकानदारों के साथ-साथ आम लोगों को बार-बार समझाने के बाद भी लोग बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं कुछ लापरवाह लोग इसे हल्के में लेकर सभी लोगों के बीच मुश्किलें पैदा करने में जुटे हुए हैं। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि बाजार में घूमने वाले लोग व चुपके से दुकान खोले कुछ दुकानदार पुलिस की गाड़ियों को देखते ही भाग खड़े हो जाते हैं। पुलिस के जाते ही फिर जमा हो जाते हैं। जबकि प्राय: गांवों में एक दो और कहीं कहीं इससे भी ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं। कमतौल थाना क्षेत्र के कई गांवों में कोरोना ने कई जिंदगियां लील हैं, फिर भी लोग न तो सजग हैं और न ही कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के प्रति गंभीर हैं। लोग बेखौफ इधर-उधर आ जा रहे हैं। सरकार व प्रशासन की चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं। ग्रामीण इलाके से मिल रही जानकारी के मुताबिक यहां ज्यादा सख्ती नहीं होने से लोग बेवजह बाहर निकल रहे हैं। आम गली-मोहल्ले व चौक-चौराहे में पहले जैसी भीड़ तो नहीं दिखती, मगर लोगों की दिनचर्या में कोई खास बदलाव नजर आ रही है। पुलिस क्षेत्र में गश्ती के दौरान डंडे भी चला रही है, लेकिन पुलिस के जाते ही फिर सबकुछ पूर्ववत हो जा रहा है। बाहर से आने वाले भी आराम से गांव में आ रहे हैं। गांवों में जांच की कोई भी समुचित व्यवस्था नहीं है। जिनकी तबीयत लगातार खराब होती है, वे जाले रेफरल अस्पताल में जाकर अपनी जांच करवाते हैं और पॉजिटिव होने पर होम आइसोलेट हो जाते हैं। अधिकतर गांवों में अभी सर्दी-खांसी और फीवर से लोग पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे लोग स्थानीय चिकित्सक व दवा दुकानदार से दवाइयां लेकर अपना इलाज करा लेते हैं। जब तबीयत अधिक बिगड़ती है तब शंका होने पर जांच कराने जाते हैं।
परदेसियों के आते ही हो जाते हैं चौकन्ना:
सिंहवाड़ा। परदेस से जहां कोई व्यक्ति गांव में आता है तो जागरूक ग्रामीण उसे जांच के लिए सीएचसी भेजने के लिए दबाव बनाने लगते हैं। बिना जांच के घर से बाहर चौक-चौराहे पर निकलने पर सामाजिक बहिष्कार के जैसा माहौल गांव में बन गया है। यही कारण है कि पीएससी में कोविड-19 जांच कराने वालों की संख्या बढ़ गई है। पहले बड़ी मशक्कत से 50 से सौ लोगों की जांच हो रही थी। अभी दो ढाई सौ लोग प्रतिदिन जांच के लिए सिंहवाड़ा पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही जांच के लिए गांव-गांव में भी जांच शिविर लगाया जा रहा है।
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