70% से अधिक विद्यार्थी नीट-जेईई के प्रश्नपत्र नहीं कर पा रहे हल
मुजफ्फरपुर में प्लस 2 स्कूलों के 70 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी नीट और जेईई के मॉक टेस्ट में सवाल हल नहीं कर पा रहे हैं। समीक्षा में पाया गया कि विद्यार्थियों ने प्रश्नपत्र को कठिन बताया है। निदेशक ने...
मुजफ्फरपुर। सूबे में प्लस 2 स्कूलों के 70 फीसदी से अधिक विद्यार्थी नीट, जेईई के प्रश्नपत्र नहीं हल कर पा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में आयोजित मॉक टेस्ट की समीक्षा में यह मामला सामने आया है। प्लस 2 स्कूल के विद्यार्थियों को इस मॉक टेस्ट में शामिल करना है, ताकि वे नीट व जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने और सफलता के लिए तैयार हो सकें। मुजफ्फरपुर समेत सूबे के विभिन्न जिलों में इस मॉक टेस्ट में शामिल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है। इसकी पड़ताल की गई तो अलग-अलग जिलों से कारण बताया गया कि विद्यार्थियों ने प्रश्नपत्र के स्तर को कठिन बताया है। सवाल को हल नहीं कर पाने के कारण वे मॉक टेस्ट में शामिल नहीं होना चाह रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा के निदेशक ने इसको लेकर बदलाव के निर्देश दिए हैं, ताकि 100 फीसदी विद्यार्थी इस मॉक टेस्ट में शामिल हो सकें। विद्यार्थियों की कक्षा के अनुरूप प्रश्नपत्र में सुधार होगा। समीक्षा में मधुबनी और किशनगंज जिलों में स्थिति सबसे खराब पाई गई है। यहां के विद्यार्थी न केवल आईसीट लैब में शामिल होने से कतरा रहे हैं, बल्कि मॉक टेस्ट में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। मधुबनी में 43 फीसदी स्कूलों में ही मॉक टेस्ट हुआ। किशनगंज में बच्चे कंप्यूटर चला ही नहीं पा रहे हैं।
अधिक बच्चे पास हों, इसके लिए प्रश्नपत्र में होगा बदलाव
समीक्षा में निर्देश दिया गया कि कक्षा 11वीं और 12वीं के विज्ञान विषय पढ़ने वाले हर एक विद्यार्थी का रिकार्ड सभी जिले रखेंगे और उन्हें अलग से ई-शिक्षा कोष एप पर डालेंगे। मॉक टेस्ट में 100 फीसदी विद्यार्थी बच्चे शामिल हों और अधिक से अधिक पास हों, इसे लेकर बिहार शिक्षा परियोजना को जिम्मेदारी दी गई। जिला से लेकर विद्यालय स्तर पर इसकी समीक्षा की जाएगी। मुजफ्फरपुर जिले में करीब 60 फीसदी विद्यार्थी ही मॉक टेस्ट में शामिल हुए। इनमें से 30 फीसदी भी सवाल हल नहीं कर पाए।
शिक्षकों से मांगा गया बदलाव को लेकर सुझाव
निदेशक ने सभी जिलों को शिक्षकों से प्रश्नपत्र के स्तर में बदलाव को लेकर सुझाव मांगने का निर्देश दिया गया है। ताकि, विद्यार्थियों की रुचि पढ़ाई में बढ़े और वे सवालों को हल कर सकें। जिले के विभिन्न स्कूल के शिक्षकों ने कहा कि विद्यार्थी 11वीं-12वीं में पढ़ रहे हैं। वहीं, नीट और जेईई के सवाल का स्तर उच्च श्रेणी का होता है।
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