Hindi Newsबिहार न्यूज़दरभंगाMother-Child Hospital in Darbhanga Fails to Deliver Promised Care to Newborns

कुव्यवस्था: एमसीएच में बच्चे का जन्म व शिशु रोग विभाग में जांच

दरभंगा के डीएमसीएच में मातृ-शिशु अस्पताल का निर्माण किया गया, लेकिन उद्घाटन के महीनों बाद भी यह अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर सका है। नवजातों को चेकअप के लिए शिशु रोग विभाग भेजा जा रहा है, जिससे...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाFri, 22 Nov 2024 12:10 AM
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दरभंगा। डीएमसीएच में एक ही छत के नीचे जच्चे-बच्चे का इलाज सुनिश्चित करने के लिए मातृ- शिशु अस्पताल का निर्माण तो कर दिया गया, पर उद्घाटन के महीनों बाद भी वह अपने उद्देश्य पर खरा नहीं उतर सका है। जन्म के बाद अधिकतर नवजात को चेकअप के लिए परिजनों के साथ शिशु रोग विभाग भेज दिया जाता है। मातृ- शिशु अस्पताल में नवजात के चेकअप और इलाज के लिए तीन शिफ्टों में डॉक्टरों की ड्यूटी का रोस्टर तो हर महीने जारी कर दिया जाता है, पर दीवार पर चस्पा ड्यूटी चार्ट दिखावा भर है। इक्के-दुक्के डॉक्टर कभी-कभार मातृ-शिशु अस्पताल के चक्कर लगा लेते हैं। डॉक्टरों की ड्यूटी निर्धारित रहने के बावजूद जन्म के बाद नवजात को शिशु रोग विभाग तक ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन को निजी एंबुलेंस संचालक को हर महीने 40 हजार से अधिक राशि का भुगतान करना पड़ रहा है। कई परिजन नवजात को एंबुलेंस से लेकर शिशु रोग विभाग पहुंचते हैं। जानकारी के अभाव में कई परिजन पैदल ही निकल पड़ते हैं।

गुरुवार को जन्म लेते ही कई नवजातों को चेकअप के लिए शिशु रोग विभाग भेजने का सिलसिला जारी रहा। खासकर दोपहर दो बजे के बाद यह सिलसिला लगातार जारी रहता है। शाम करीब चार बजे एक बूढ़ी महिला नवजात को शॉल में लपेटकर गायनी विभाग की ओर बढ़ रही थीं। उनके साथ एक युवक भी था। पूछने पर युवक ने बताया कि वह सिमरी का रहने वाला है। मातृ-शिशु अस्पताल में 19 नवंबर को गर्भवती को दाखिल कराया गया था। अभी से थोड़ी देर पहले उसने नवजात को जन्म दिया। चेकअप के लिए बच्चे को शिशु विभाग के जाने को कहा। वहां से नवजात का चेकअप कर वापस मातृ-शिशु अस्पताल लौट रहे हैं। बहरहाल सरकार की ओर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए डीएमसीएच में लाखों की लागत से 100 बेड के मातृ- शिशु अस्पताल का निर्माण कराया गया। नवजात के त्वरित इलाज के लिए वहां निक्कू की व्यवस्था की गई। मकसद था कि जरूरत पड़ने पर मां के पास ही नवजात का इलाज हो सके। यह संभव नहीं हो पा रहा है। डीएमसीएच शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि तीनों शिफ्टों में ड्यूटी के लिए डॉक्टरों का रोस्टर जारी किया जाता है। डॉक्टरों का वहां रहना आवश्यक है।

डॉक्टर नहीं रहते हैं तो गायनी विभाग से इसकी सूचना दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि वे मातृ-शिशु अस्पताल में औचक निरीक्षण करेंगे। गायब पाए जाने पर संबंधित चिकित्सकों पर कार्रवाई होगी।

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