सम्मेलन में गूंजा अलग मिथिला राज्य का मुद्दा
दरभंगा में आयोजित 22वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में मिथिला के विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन की मांग उठी। सम्मेलन में 10 सूत्री घोषणा पत्र पारित किया गया और मैथिली भाषा को संवैधानिक दर्जा...
दरभंगा। बाबा नगरी देवघर में आयोजित 22वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन का मुद्दा छाया रहा। यह बात अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन एवं विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि मैथिली अधिकार दिवस के रूप में बीते 22-23 को आयोजित इस सम्मेलन में मिथिला धाम एवं बाबाधाम के लोगों ने एक स्वर में मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन को समय की मांग बतायी। इसमें 10 सूत्री घोषणा पत्र पारित किया गया। अमेरिका के गुआना में कारोबार करने वाले प्रवासी मैथिल अजय झा को शामिल किए जाने की घोषणा करते हुए संस्थान की ओर से उनका अभिनंदन किया गया।
अजय झा ने कहा कि मैथिली संसार की संभवत: अकेली ऐसी भाषा है जिसके आदि काल के प्रामाणिक एवं ठोस गद्य साहित्य उपलब्ध हैं। इसे संवैधानिक दर्जा हासिल हुए 22 साल बीतने के बावजूद यह अब तक ना तो प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बन पाई है और ना ही इसे राजकाज में ही अब तक कोई स्थान मिल पाया है। यह अत्यंत चिंताजनक है। मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं. कमलाकांत झा ने कहा कि समय पर यदि हम नहीं चेते तो मिथिला, मैथिली व मैथिल के उत्कर्ष की अधोगति होना अवश्यंभावी है। उन्होंने पृथक मिथिला राज्य के गठन के लिए चल रहे आंदोलन में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। मौके पर प्रो. विजयकांत झा, दुर्गानंद झा, विनोद कुमार झा, प्रो. चन्द्र शेखर झा बूढ़ा भाई, डॉ. गणेश कांत झा, सुधीर कुमार झा, प्रवीण कुमार झा, आशीष चौधरी आदि थे। प्रेस वार्ता के दौरान सेवानिवृत्त आईपीएस व संस्कृत विवि के पूर्व कुलपति आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की गयी।
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