मीडिया स्टडीज विभाग की स्थापना की पहल शुरू
दरभंगा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में मीडिया स्टडीज एंड रिसर्च विभाग की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने बायलॉज, रेगुलेशन और सिलेबस तैयार करने के लिए...
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में जल्द ही डिपार्टमेंट ऑफ मीडिया स्टडीज एंड रिसर्च की स्थापना होगी। इसको लेकर आवश्यक पहल शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने इस नए विभाग की स्थापना के लिए बायलॉज, रेगुलेशन एवं सिलेबस तैयार करने के लिए दो अलग-अलग कमेटियों का गठन कर दिया है। कुलसचिव डॉ. अजय कुमार पंडित ने कमेटियों की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार मीडिया स्टडीज विभाग के सुगम व सुचारू संचालन के लिए बायलॉज एवं रेगुलेशन तैयार करने के लिए नौ सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी के कंवेनर विवि के साइंस डीन प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा को बनाया गया है। सदस्य के रूप में इस कमेटी में कॉलेज विभाग के प्रो. बीबीएल दास, कुलानुशासक डॉ. अजय नाथ झा, डीएसडब्ल्यू डॉ. विजय कुमार यादव, परीक्षा नियंत्रक डॉ. विनोद कुमार ओझा, बॉटनी विभाग के डॉ. गजेंद्र प्रसाद, आईआईएमसी, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, सिंडिकेट सदस्य प्रो. हरि नारायण सिंह तथा एकेडमिक काउंसिल के सदस्य सह राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मुनेश्वर यादव को शामिल किया गया है।
विभाग के अंतर्गत संचालित होने वाले यूजी, पीजी व रिसर्च स्तर के कोर्सों के लिए सिलेबस तैयार करने के लिए भी साइंस डीन प्रो. मिश्रा के संयोजन में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष, मानविकी संकायाध्यक्ष, ललित कला संकायाध्यक्ष एवं हिंदी विभाग की डॉ. बिंदू चौहान को सदस्य बनाया गया है। महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मोतिहारी के मीडिया स्टडीज विभागाध्यक्ष अंजनी कुमार झा को आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।
गौरतलब है कि विवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष सह डब्ल्यूआईटी निदेशक प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा ने इस विभाग की स्थापना के लिए इस वर्ष सीनेट से पूर्व ही कुलपति को पत्र लिखकर अनुरोध किया था। कुलपति ने इस पर संज्ञान लेते हुए सिंडिकेट से पारित कराया जिसके बाद इसे सीनेट से भी हरी झंडी मलि चुकी है। अब बायलॉज व कोर्स स्ट्रक्चर तैयार होगा। इसके बाद राजभवन से अनुमोदन लेकर विभाग की स्थापना की जाएगी। शुरुआत में इसका संचालन सेल्फ फाइनेंस मोड में होगा, लेकिन यदि राज्य सरकार से इसकी स्वीकृति मिलती है तो भविष्य में अन्य स्नातकोत्तर विभागों की तरह इसका भी संचालन संभव हो सकेगा।
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